आचार्य पंडित सनत कुमार द्विवेदी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) :
देवउठनी एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे कार्तिक एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा से जागते हैं, इसलिए इसे देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, ये तिथि विशेष महत्व रखती है. इस दिन को देवताओं के जागरण का दिन माना जाता है, इस दिन से विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है, जो चातुर्मास (श्रावण से कार्तिक माह तक) के दौरान नहीं किए जाते थे. देवउठनी एकादशी के बाद शुरू होने वाले मांगलिक कार्य धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं. आइए जानते हैं देवउठनी एकादशी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में.
देवउठनी एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर 2024 की शाम 6 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी. वही तिथि का समापन 12 नवंबर 2024 को शाम 4 बजकर 4 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, देवउठनी एकादशी का व्रत मंगलवार 12 नवंबर को रखा जाएगा. ऐसे में 13 नवंबर को सुबह 6 बजकर 42 मिनट से 8 बजकर 51 मिनट तक व्रत का पारण किया जा सकता है.
देवउठनी एकादशी के नियम
इस दिन पूरी तरह से शुद्ध रहना आवश्यक है. इसलिए स्नान करने के बाद शुद्ध वस्त्र पहनकर ही पूजा करना चाहिए. इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि यह दिन भगवान के जागने का होता है. भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी और तुलसी की भी पूजा की जाती है. एकादशी के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए. इस दिन प्याज और लहसुन का सेवन भी वर्जित है. रात्रि का जागरण भी देवउठनी एकादशी का एक प्रमुख अंग है. कुछ लोग पूरी रात जागते हैं, भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहते हैं और कीर्तन करते हैं. यह रात भगवान विष्णु के जागने की रात मानी जाती है, इसलिए रात भर जागने का महत्व है.
देवउठनी एकादशी की पूजा विधि
देवउठनी एकादशी के दिन सुबह सबसे पहले उठकर स्नान करें. पूजा स्थल को फूलों, दीपक और धूप से सजाएं. भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. मूर्ति या चित्र को गंगाजल से स्नान कराएं. चंदन, कुमकुम और फूल चढ़ाएं. भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की दीपक जलाकर आरती करें. भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी के मंत्रों का जाप करें. देवउठनी एकादशी के दिन दान का बहुत महत्व है. ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा देने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अनाज, वस्त्र, या अन्य वस्तुएं दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है.
देवउठनी एकादशी का महत्व
देवउठनी एकादशी का महत्व इस बात से जुड़ा हुआ है कि इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु चार महीनों तक योग निद्रा में रहते हैं, जिसे चातुर्मास कहा जाता है. चातुर्मास के दौरान, विशेष रूप से विवाह, भूमि पूजन और अन्य शुभ कार्यों को टाल दिया जाता है, देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का जागरण होता है, और फिर से शुभ कार्यों की शुरुआत की जाती है. मान्यता के अनुसार, देवउठनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसे विशेष रूप से एक पुण्यकारी दिन माना जाता है, जो व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का संचार करता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. बिंदास बोल इसकी पुष्टि नहीं करता है.