कबीर संजय
नई दिल्ली : पृथ्वी की कक्षा में लगभग 10,000 हजार सेटेलाइट घूम रहे हैं। इनमें से लगभग 6,000 हजार सेटेलाइट केवल इलोन मस्क के हैं। इस बात का अर्थ समझिए। एक तरफ पूरी दुनिया के देश हैं और पूरी दुनिया के पूंजीपति हैं। लेकिन, इलोन मस्क की कंपनी स्टारलिंक अकेले ही इन सब पर भारी है।
अभी हाल ही में हमारी हिन्दी एक फिल्म आई थी। एनीमल। इस फिल्म के तमाम पहलुओं को लेकर चर्चा भी हुई। किसी जमाने में पूंजीपति अपना पैसा कमाने के साथ-साथ उसका कुछ हिस्सा चैरिटी में भी खर्च करता था। कुछ महान विचारक तो उन्हें समाज का ट्रस्टी भी कहा करते थे। पहले के उदाहरण भरे पड़े हैं, जब पैसे वाले लोगों की जरूरत पर अपनी झोली खोल भी दिया करते थे। अपनी धन-दौलत और संपदा का कुछ हिस्सा उसमें से खर्च करते थे। लेकिन, अब जमाना बदल गया है।
अब पूंजीपति के पास भलाई का दिखावा नहीं है। उसके पास पैसे का उन्माद है। गांधी जी का जो अंतिम आदमी था, इस पूंजीपति के लिए वो किसी कीड़े-भुनगे जैसा है। उसके लिए फालतू आबादी है। बोझ है। उसकी भलाई का वो दिखावा भी नहीं करता।
उसे हर तरह से अपने बैंक बैलेंस को हर साल कई गुना करते रहना है। वो इतना पैसा कमाएगा कि कितना भी बर्बाद कर ले, वह खर्च नहीं होने वाला। सिर्फ अकाउंट में ही उसके धन-दौलत में बढ़ोतरी होती रहेगी। मस्क अपने पैसे के भोग के लिए भी जाने जाते हैं। वे मन की मौज में ट्विटर भी खरीद सकते हैं। उसका नाम भी बदल सकते हैं। वैसे दुनिया के विचारों को प्रभावित करने वाले इतने बड़े प्लेटफार्म की मालिकी सस्ता सौदा नहीं है। अमेरिका के चुनावों में उन्होंने इसका इस्तेमाल करके दिखाया भी। जिस माई फ्रेंड डोलांड पर ट्विटर पर पाबंदी भी लग चुकी थी, वही प्लेटफार्म उनकी जीत के लिए इस बार हर जतन करता रहा है।
खैर, लौटते हैं माई फ्रेंड डोलांड के फ्रेंड मस्क पर। पृथ्वी के आर्बिट में घूम रहे साठ फीसदी सेटेलाइट पर सिर्फ उनका कब्जा है। अब वे भारत के बाजार में भी आने वाले हैं। जाहिर है कि कुछ उथल-पुथल होगी। पहले से मौजूद मोनोपोली को कुछ सरक कर और कुछ तबाह होकर उनको जगह देनी होगी।
ऐसा अनुमान किया जा रहा है कि अगले दशक तक धरती की कक्षा में घूमने वाले सेटेलाइट की संख्या बढ़कर एक लाख तक हो जाएगी। यानी रात में जब हम आसमान पर नजर डालेंगे तो हो सकता है कि हमें बहुत सारे चलते-फिरते दिखाई दें।
अगर आप तारा टूटने पर विश मांगने वाले अंधविश्वास पर भरोसा करते हैं तो ठगे जाएंगे। क्योंकि हो सकता है कि जिसे आप तारा टूटना समझे वो किसी सेटेलाइट का मूवमेंट हो। ताजा खबर यह है कि अंतरिक्ष में कचरा भी बढ़ता जा रहा है। ये दस हजार सेटेलाइट धरती की सतह से चार सौ से बारह सौ किलोमीटर की दूरी पर घूम रहे हैं। लुक अप स्पेस नाम की संस्था ने हाल ही में सेटेलाइट के साथ-साथ अंतरिक्ष में मौजूद राकेट और सेटेलाइट के कचरे की भी गणना की है। इसने 3200 के लगभग रॉकेट के टुकड़े और तेरह हजार से ज्यादा अन्य कचरे की गणना की है। यह कचरा भी धरती की कक्षा में घूम रहा है। जाहिर है कि आने वाले समय में जब सेटेलाइट की संख्या भी एक लाख होने वाली है। इस कचरे और मलबे की संख्या भी बढ़ेगी। इसके साथ ही अंतरिक्ष यात्रियों के लिए इस मलबे से टकराने का खतरा भी बढ़ेगा। अमेरिका में सौ के लगभग एस्ट्रोनामर्स ने हाल ही में इसे लेकर सरकार को पत्र भी लिखा है।
उनका कहना है कि इसे रेगूलेट किया जाना चाहिए। अब कौन इसे रेगूलेट करेगा। कैसे करेगा। उसका क्या हित होगा। वो धरती के हित को वरीयता देगा या सिर्फ अपनी तिजोरी भरेगा।
इन सब सवालों पर हमें क्या। हम तो चिलम सेवा आयोग ही खोलकर बैठेंगे। क्योंकि, हमारा फायदा तो उसी में है।
पृथ्वी की कक्षा में सैटेलाइट और एलन मस्क 2024
Leave a Comment
Leave a Comment