Bihar Election : बिहार में विधानसभा चुनाव अपने अंतिम दौर में है। प्रथम चरण का मतदान हो चुका है और दूसरे चरण का मतदान कल होना है। चुनाव प्रचार के दरमियान वैसे तो कई मुद्दों पर राजनीतिक पार्टियों में घमासान मचा रहा। मुद्दों की बात करें तो चारा घोटाला भी खूब चर्चा में रहा। शायद आप इस सच से रूबरू नहीं है कि देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार चारा घोटाले के आरोपी थे। राजीव कुमार पर विभागीय कार्रवाई भी हुई थी। राजीव कुमार की रांची उपायुक्त के पद पर पोस्टिंग डॉक्टर श्याम बिहारी सिन्हा ने कराई थी। यह सनसनीखेज खुलासा अभी हाल ही में प्रकाशित हुई किताब “नीले आकाश का सच” में किया गया है। इस पुस्तक के लेखक वरिष्ठ पत्रकार अमरेंद्र कुमार है और इसे विद्या विहार ने प्रकाशित किया है।
किताब में इस बात का उल्लेख किया गया है कि पशुपालन घोटाले की जाँच और इसके कई अभियुक्तों को सजा दिलाने में सप्लायर दीपेश चांडक के बयानों का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा। चांडक इस घोटाले में शामिल बताए जाते थे और बाद में सी.बी.आई. ने चांडक को सरकारी गवाह बना लिया था। चांडक ने कोर्ट में दर्ज बयान में कई चौंकाने वाले तथ्यों की जानकारी दी थी।
अमरेंद्र कुमार लिखते हैं कि चांडक पशुपालन विभाग का एक प्रमुख सप्लायर था। वह पशुपालन (चारा) घोटाले के आरोपी और इस घोटाले का मास्टर माइंड डॉ. श्याम बिहारी सिन्हा का विश्वासपात्र माना जाता था। बाद में सरकारी गवाह बनने के बाद सी.आर.पी.सी. की धारा 164 के तहत कोर्ट में उसका बयान दर्ज किया गया था। उसकी गवाही काफी महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। चाईबासा ट्रेजरी केस में 326 पेज के फैसले में विस्तार से सी.बी.आई. द्वारा पेश किए गए गवाहों के बयान की चर्चा है। सी.बी.आई की विशेष अदालत द्वारा दिये गए फैसले में लालू प्रसाद समेत अन्य को दोषी और सजा देने में इसे निर्णायक सबूत माना गया है। इसमें राज्य सरकार के तत्कालीन संबंधित प्रमुख अधिकारी और राजनेता कैसे मैनेज किया जा रहे थे, इसकी पूरी चर्चा है। इस बयान में चांडक ने बताया था कि पूरे घोटाले में पैसों की कैसे बंदरबाँट हुई थी।
दीपक चांडक ने अपने बयान में कई अन्य बातें बताने के साथ-साथ यह भी कहा था कि राजीव कुमार की रांची उपयुक्त के रूप में पोस्टिंग डॉक्टर श्याम बिहारी सिन्हा ने कराई थी। उसमें उन्होंने सजल चक्रवर्ती समेत कुछ अन्य आई.ए.एस. अधिकारियों के बारे में भी कई बातों की जानकारी सी.बी.आई को दी थी।
उसमें यह भी शामिल आपूर्तिकर्ता मो. सईद राँची डी.सी. राजीव कुमार को मैनेज करता था और उनके हितों का ख्याल रखता था। राजीव कुमार इसके एवज में बोगस बिल ट्रेजरी पास करने में आपूर्तिकर्ताओं की मदद करते थे। हालाँकि दीपेश चांडक के बयान को लेकर सी.बी.आई. ने राज्य सरकार को मैटर रेफर किया था। राजीव कुमार के खिलाफ विभागीय कार्यवाही भी चली थी। मजबूत सबूत नहीं रहने की बात कर उस आधार पर विभागीय कार्यवाही से उन्हें मुक्त किया गया। बाद में विभागीय कार्यवाही के फलाफल पर सवाल उठा था।
गौरतलब है कि मई 2022 में राजीव कुमार को देश का मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया गया।
