India Action : बांग्लादेश को भारत ने तीन तरफ से घेरा, हमले की तैयारी !

Siddarth Saurabh
  • भारत के बांग्लादेश सीमा पर तीन नए सैन्य ठिकाने
  • तीन नए मिलिट्री बेस… राफेल, ब्रह्मोस और S-400 की तैनाती, भारत ने ‘चिकन नेक’ बनाया अभेद्य किला

India Action : सेना ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने के लिए तीन नए सैन्य ठिकाने स्थापित किए हैं। सुरक्षा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यह ठिकाने बामुनी, किशनगंज और चोपड़ा में बनाई जा रही हैं। यह सभी स्थान बांग्लादेश सीमा के करीब और सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास स्थित हैं। यह कदम पिछले दिनों पाकिस्तानी जनरल साहिर शमशाद मिर्जा की बांग्लादेश यात्रा के बाद बढ़ी सुरक्षा चिंताओं के बीच उठाया गया है। 

दूसरी तरफ भारत ने अपनी पूर्वी सीमा पर अब तक की सबसे बड़ी सैन्य तैनाती शुरू कर दी है। सिलिगुड़ी कॉरिडोर, यानी 22 किलोमीटर चौड़ा वह क्षेत्र जिसे चिकन नेक कहते हैं, जिसके जरिए उत्तर-पूर्वी भारत के सात राज्य देश की मुख्य भूमि से जुड़े हैं, अब पूरी तरह अभेद्य किला बनने जा रहा है। इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में तीन नए मिलिट्री स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं, जो नई दिल्ली की सैन्य रणनीति में मूलभूत बदलाव का संकेत देते हैं।
असम के धुबरी के पास लाचित बोरफुकन मिलिट्री स्टेशन स्थापित किया जा रहा है। वहीं बिहार के किशनगंज और पश्चिम बंगाल के चोपड़ा में फॉरवर्ड बेस बनाए जा रहे हैं। चोपड़ा फारवर्ड बेस बांग्लादेश सीमा से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ये सिर्फ सैन्य अड्डे नहीं, रैपिड डिप्लॉयमेंट फोर्स, पैरा स्पेशल फोर्सेज, इंटेलिजेंस यूनिट और हाई-टेक सर्विलांस उपकरणों से लैस स्ट्रैटेजिक नोड हैं, जो किसी भी विपरीत परिस्थिति में ‘सिलिगुड़ी कॉरिडोर’ की सुरक्षा सनिश्चित करेंगे।

भारत के इस बड़े रणनीतिक कदम की असली वजह बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन है। शेख हसीना की भारत समर्थक सरकार की जगह मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम प्रशासन ने ले ली है, जिसकी विदेश नीति में भारत के मुकाबले चीन और पाकिस्तान को तरजीह दी जा रही है। रिपोर्ट्स की मानें तो बांग्लादेश 2.2 अरब डॉलर में चीन से J-10C फाइटर जेट खरीदने जा रहा है। ड्रोन बनाने में भी चीन से सहयोग ले रहा है। वहीं पाकिस्तान ने उसे JF-17 ब्लॉक-C थंडर जेट ऑफर किए हैं।

मिर्जा ने किया था दौरा, सैन्य सहयोग बढ़ाने पर हुई थी बात

पाकिस्तान की ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी के मुखिया मिर्जा आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ 24 अक्तूबर को बांग्लादेश पहुंचे थे। इस दौरे में उन्होंने बांग्लादेश के सेना प्रमुख वकार-उज़-जमां से मुलाकात की थी और सैन्य सहयोग गहरा करने पर बातचीत की। मिर्ज़ा ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस से भी मुलाकात की थी। यूनुस ने मिर्जा को ‘आर्ट ऑफ ट्रायम्फ’ नाम की एक किताब भेंट की थी, जिसके कवर पेज पर छपे नक्शे में पूर्वोत्तर के हिस्सों को बांग्लादेश का भाग दिखाया गया था। बांग्लादेश के इस कदम के बाद देशभर में असंतोष था।

सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता

देश की मुख्य भूमि को पूर्वोत्तर से जोड़ने वाला संकरा भूभाग सिलीगुड़ी कॉरिडोर कहलाता है। संकरा होने के कारण इसे कई बार चिकन नेक भी कहा जाता है। कुछ स्थानों पर इसकी चौड़ाई केवल 21 किलोमीटर के आसपास है। इसके पड़ोस में नेपाल, बांग्लादेश और भूटान स्थित हैं। सूत्रों ने बताया कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता रखती है। यह तीनों नए सैन्य ठिकाने कमजोर हिस्सों की सुरक्षा सुनिश्चित करने से साथ ही ज़रूरत पड़ने पर सशस्त्र बलों को नए रणनीतिक विकल्प भी प्रदान करेंगे। साथ ही पूर्वोत्तर सीमा पर निगरानी और संकट की सूरत में सेना की प्रतिक्रिया क्षमता में बढ़ोतरी करेंगे।

बांग्लादेश लालमोनिरहाट एयरबेस शुरू करने जा रहा

बांग्लादेश सिलीगुड़ी कॉरिडोर से सटे अपने लालमोनिरहाट एयरबेस को फिर से शुरू करने जा रहा है। ब्रिटिश काल में बना यह एयरबेस लंबे समय से वीरान पड़ा था। बांग्लादेश सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां ने 16 अक्तूबर को ही 1931 में बने इस पुराने एयरबेस का दौरा किया था। यहां लड़ाकू विमान रखने के लिए विशाल हैंगर बनवाया जा रहा है। एयरबेस शुरू करने के पीछे चीन का हाथ होने के आसार हैं। मोहम्मद यूनुस ने मार्च में चीन का दौरा किया था और बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी।

भारत ने रिएक्टिव नहीं, प्रो-एक्टिव रुख अपनाया

बांग्लादेश के साथ लगने वाली सीमा भारत के लिए रणनीतिक रूप से काफी संवेदनशील है। बांग्लादेश का चीन और पाकिस्तान की ओर झुकाव भारत के लिए रणनीतिक लिहाज से अच्छा संकेत नहीं है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जो अपने सबसे संकरे बिंदु पर सिर्फ 22 किलोमीटर चौड़ा है, पूर्वोत्तर के 4.5 करोड़ से ज्यादा लोगों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। दुश्मन देश किसी विपरीत परिस्थिति में उत्तर-पूर्वी राज्यों को भारत की मुख्य भूमि से अलग-थलग करने के लिए इस महत्वपूर्ण संपर्क को निशाना बना सकते हैं। इसलिए अब भारत ने रिएक्टिव नहीं, प्रो-एक्टिव रुख अपनाया है।

ये तीनों नए सैन्य अड्डे पूरे सिलि​गुड़ी कॉरिडोर को सिक्योरिटी कवरेज प्रदान करते हैं। पश्चिम बंगाल का चोपड़ा मिलिट्री स्टेशन बांग्लादेश की सीमा से एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित है। इन सैन्य ठिकानों से बांग्लादेश के अंदर तक निगरानी संभव है और किसी भी खतरे की स्थिति में भारत की सेनाएं मिनटों में जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार हो सकती हैं। भारत ने पूर्वी सीमा पर राफेल लड़ाकू विमानों, ब्रह्मोस मिसाइलों और S-400 जैसे अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम की तैनाती की है।

बांग्लादेश के लिए, संदेश स्पष्ट है। भारत और उसके बीच सैन्य ताकत का अंतर बहुत बड़ा है। उसकी तरफ से कोई भी गलत कदम उठाया गया तो भारत का जवाब भयानक होगा। सिलिगुड़ी कॉरिडोर अब भारत की कमजोरी नहीं, बल्कि मजबूत स्ट्रेटेजिक एसेट बन चुका है। देश अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है।

Share This Article
Leave a Comment