Vande Mataram : जवाहरलाल नेहरू ने मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेका और वंदे मातरम के टुकड़े कर दिये : PM मोदी

Siddarth Saurabh

Vande Mataram : वंदे मातरम पर संसद में चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवाहरलाल नेहरू पर हमला बोला. पीएम मोदी ने कहा कि नेहरू को सिंहासन डोलता नजर आया और वंदे मातरम से समझौता कर लिया. उन्‍होंने बताया कि 26 अक्टूबर को कांग्रेस ने वंदे मातरम पर समझौता कर लिया. वंदे मातरम के टुकड़े कर दिए उस फैसले के पीछे नाकाब पहना गया. कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेक दिए और मुस्लिम लीग के दबाव में किया. ये तुष्टिकरण की नीति को साधने का कांग्रेस का तरीका था.

वंदे मातरम पर जिन्ना की भावना से नेहरू की सहमति

पीएम मोदी ने बताया, ‘मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ से 15 अक्तूबर 1937 को वंदेमातरम के विरुद्ध नारा बुलंद किया. फिर कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा. बजाय नेहरू जी मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों को करारा जवाब देते, निंदा करते… और वंदेमातरम के प्रति खुद की और कांग्रेस की निष्ठा को प्रकट करते. लेकिन उल्टा हुआ. लेकिन उन्होंने वंदेमातरम की ही पड़ताल शुरू कर दिया. जिन्ना के विरोध के 5 दिन बाद ही 20 अक्तूबर को नेहरू जी ने नेताजी सुभाष बाबू को चिट्ठी लिखी. उस चिट्ठी में जिन्ना की भावना से नेहरू जी अपनी सहमति जताते हुए कि वंदेमातरम की आनंदमठ वाली पृष्ठभूमि मुसलमानों को इरिटेट कर सकती है.’

वंदे मारतम पर कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेके

पीएम मोदी ने चर्चा के दौरान बताया, ‘नेहरू जी लिखते हैं- मैंने वंदे मातरम गीत का बैकग्राउंड पढ़ा है. मुझे लगता है कि ये जो बैकग्राउंड है इससे मुस्लिम भड़केंगे. इसके बाद कांग्रेस की तरफ से बयान आया कि 26 अक्तूबर से कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक कोलकाता में होगी. इसमें वंदेमातरम के उपयोग की समीक्षा की जाएगा. बंकिम बाबू का बंगाल. बंकिम बाबू का कोलकाता को चुना गया. पूरा देश हैरान था. पूरे देश में देशभक्तों में इस प्रस्ताव के विरोध में प्रभातफेरियां निकाली. लेकिन देश का दुर्भाग्य कि 26 अक्तूबर को कांग्रेस ने वंदेमातरम पर समझौता कर लिया.

गांधी चाहते थे, वंदे मातरम बने ‘नेशनल एंथम’

महात्‍मा गांधी वंदे मातरम पर क्‍या राय रखते थे, पीएम मोदी ने बताया, ‘वंदे मातरम पर महात्मा गांधी की भावना क्या थी, वो भी रखना चाहता हूं. 1905 में गांधी जी लिखते हैं, यह गीत इतना लोकप्रिय हो गया, जैसे ये हमारा नेशनल एंथम बन गया है. इसकी भावनाएं महान है और यह अन्य राष्ट्रों के गीतों से मधुर है. इसका एकमात्र उद्देश्य हमारे भीतर देश भक्ति की भावना जगना है और ये भारत को माता के रूप में दिखता है….

दरअसल, उस समय नेशनल एंथम के रूप में दिखता था. उस समय वंदे मातरम की ताकत बहुत बड़ी है. फिर पिछली सदी में इसके साथ इतना बड़ा अन्याय क्यों हुआ? वंदे मातरम के साथ विश्वासघात क्यों हुआ? वो कौन सी ताकत थी, जिसकी इच्छा खुद पूज्य बापू की भावनाओं पर भी भारी पड़ गई. जिसने वंदे मातरम जैसी पवित्र भावना को भी विवादों में घसीट दिया. हमें उन परिस्थितियों को भी नई पीढि़यों को बताना है, जिसकी वजह से वंदे मातरम के साथ विश्वास घात किया गया.

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