Anarkali : यहां सोई हुई है अनारकली

Bindash Bol

ध्रुव गुप्त

(आईपीएस) पटना

Anarkali : अनारकली मुगल इतिहास की ऐसी शख्सियत रही है जिसका ज़िक्र इतिहास में तो नहीं, साहित्य, विदेशियों के यात्रा विवरणों और दंतकथाओं में मिलता है। अकबर के बेटे सलीम की प्रिया के तौर पर प्रसिद्द अनारकली का सचमुच कोई अस्तित्व था या वह एक काल्पनिक पात्र है, इसपर इतिहासकारों में मतभेद है। अनारकली का ज़िक्र सबसे पहले लेखक अब्दुल हलीम शरर ने करते हुए उसे काल्पनिक बताया था। शरर के बाद 1922 में नाटककार इम्तियाज अली ताज ने अनारकली के किरदार पर एक नाटक लिखा जिसमें उसे कमतर हैसियत वाली कनीज़ के रूप में चित्रित किया गया है जिसे शहज़ादे सलीम से प्रेम करने के जुर्म में अकबर ने दीवार में चिनवा दिया था। इसी नाटक के आधार पर ‘अनारकली’ और ‘मुगले आजम’ फ़िल्में बनीं। एक वास्तविक व्यक्ति के रूप में अनारकली की चर्चा साल 1625 की किताब ‘परचास हिज पिलग्रिम्स’ में मिलती है। इसमें ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारी विलियम फिंच का एक यात्रा रिपोर्ट शामिल है जिसने 1611 में लाहौर की अपनी यात्रा के दौरान बाबा शेख फरीद की मस्जिद के पास सम्राट अकबर की एक बीवी अनारकली की खूबसूरत कब्र का ज़िक्र किया है। उसके अनुसार अकबर की इस खूबसूरत बीवी का शहजादे सलीम का साथ गुपचुप रिश्ता था, जिसका पता चलने पर अकबर ने उसे अपने महल की दीवार में चिनवा दिया था। सलीम अथवा ज़हांगीर ने बादशाह बनने के बाद अनारकली की याद में एक आलीशान मकबरा तामीर करने का आदेश दिया था ।फिंच के पांच साल बाद ब्रिटेन के एक पादरी एडवर्ड टैरी ने अपनी एक यात्रा रिपोर्ताज में लिखा है कि अकबर ने अपनी सबसे प्रिय पत्नी नादिरा बेगम उर्फ़ अनारकली के साथ नाज़ायज रिश्ते के कारण सलीम को उत्तराधिकार से वंचित कर दिया था, जिस हुक्म को मृत्युशैया पर उसने वापस लिया। दोनों रिपोर्ताज में अनारकली को सलीम के प्रेम में पड़ी अकबर की बीवी बताया गया। इतिहासकार अबुल फज़ल की किताब ‘आईने अकबरी’ में अनारकली की चर्चा नहीं है। जाहिर है कि एक बादशाह की सरपरस्ती में लिखी किताब में ऐसे वर्जित संबंध का जिक्र हो भी नहीं सकता था।

लाहौर में अनारकली का मक़बरा और कब्र अभीभी मौजूद है। जहांगीर द्वारा बनवाए इस खूबसूरत मक़बरे को लोग दूसरा ताजमहल भी कहते हैं। इसी मकबरे में अनारकली की कब्र है।कब्र उन्हीं दो दीवारों के बीच है जिनमें उसे चिनवा दि या गया था। अनारकली की कब्र पर दो तारीखें दर्ज़ हैं – 1008 हिजरी (1599 ई.) और 1025 हिजरी (1615 ई.)। पहली तारीख अनारकली की मौत की है और दूसरी मकबरे का निर्माण पूरा होने की। मक़बरे के पास पुराना अनारकली बाज़ार स्थित है। अनारकली की कब्र पर दो मार्मिक पंक्तियां लिखी हैं जिनका हिन्दी में अनुवाद है – ‘अगर मैं अपनी प्रिया का चेहरा एक बार फिर हाथों में थाम सकूं तो क़यामत के दिन तक मैं ख़ुदा का शुक्रगुज़ार रहूंगा !’

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