नई दिल्ली : चैंपियंस ट्रॉफी को लेकर पाकिस्तान असमंजस में है। वजह है भारतीय क्रिकेट टीम के नहीं आने का। अब दिन दूर नहीं महज 3 महीने के अंदर पाकिस्तान में चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन होना है। यह टूर्नामेंट अगले साल 19 फ़रवरी से 9 मार्च तक पाकिस्तान में होने वाला है और इसके लिए ट्रॉफ़ी टूर शुरू हो गया है। लेकिन भारत के जाने को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।
जानकारी के मुताबिक भारत के क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देकर आईसीसी को सूचित कर दिया है कि भारतीय टीम पाकिस्तान दौरे पर नहीं जाएगी। आईसीसी ने यह सूचना पीसीबी तक पहुँचा दी है। लिहाजा चैंपियंस ट्रॉफी को लेकर पाकिस्तान असमंजस में है, पीसीबी इस बात पर मंथन कर रहा है कि भारत नहीं गया तो क्या होगा।
ऐसे में सवाल उठता है कि टीम इंडिया पाकिस्तान नहीं गई तो आईसीसी और पाकिस्तान के पास क्या विकल्प होंगे?पाकिस्तान में इसे लेकर बहुत चर्चा है। पाकिस्तान के अंदर इस बात को लेकर चारों तरफ कहां जा रहा है कि एशिया कप की तरह पाकिस्तान को हाइब्रिड मॉडल पर टूर्नामेंट नहीं होने देना चाहिए। यानी कुछ मैच पाकिस्तान में और भारत के साथ होने वाले मैच किसी और देश में। पिछले साल एशिया कप में भी ऐसा ही हुआ था।
ठीक इस बार की तरह ही कहानी थी पाकिस्तान आयोजक था और भारत ने वहाँ जाने से इनकार कर दिया था। ऐसे में आईसीसी ने भारत के मैच श्रीलंका में कराए थे।
पाकिस्तान में इस बात की चर्चा है कि पीसीबी (PCB) इस बार हाइब्रिड मॉडल के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में अब क्या विकल्प बचते हैं? इस टूर्नामेंट को कराने को लेकर अब सबकी निगाहें आईसीसी पर टिकी हैं, जिस पर इस मुश्किल का हल निकालने का दारोमदार है।
बकौल पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के पूर्व चेयरमैन नजम सेठी आईसीसी के पास सिर्फ़ तीन विकल्प थे। पहला कि भारत पाकिस्तान आ जाए, दूसरा हाइब्रिड मॉडल और तीसरा पूरा टूर्नामेंट पाकिस्तान से बाहर कराया जाए। उन्होंने कहा कि भारत ने इस पर कड़ा रुख़ अपनाया है। उनकी टीम नहीं आने जा रही है। उन्होंने कबड्डी टीम और ब्लाइंड क्रिकेट टीम को भी नहीं भेजा। पहले डेविस कप खेलने के लिए टेनिस खिलाड़ी भी आ जाते थे। अब वे भी नहीं आते।
नजम सेठी के मुताबिक दो विकल्प लगभग ख़ारिज किए जा चुके हैं, ऐसे में तीसरा विकल्प बचता है, टूर्नामेंट को पाकिस्तान के बाहर ले जाने का। लेकिन पाकिस्तान फिर टूर्नामेंट के बहिष्कार का निर्णय ले सकता है। उनका मानना है कि पाकिस्तान के लिए भी बहुत जटिल स्थिति है। पाकिस्तान अगर भारत की बात मान लेता है तो घर में बहुत आलोचना होगी। ऐसा कहा जाएगा कि पाकिस्तान को झुकमना पड़ा।
नजम सेठी कहते हैं कि आईसीसी हमेशा बीसीसीआई का पक्ष लेता है। अगर वो इस टूर्नामेंट को श्रीलंका या दुबई शिफ़्ट करता है और पाकिस्तान इसमें न खेले तो आईसीसी का नुक़सान हो जाएगा, जिसमें भारत और पाकिस्तान दोनों का नुक़सान है क्योंकि मैच की कमाई का एक बड़ा हिस्सा भारत को और एक छोटा हिस्सा पाकिस्तान को मिलता है।
हालांकि इससे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को कोई असर नहीं पड़ता है क्योंकि वह बहुत अमीर है लेकिन पाकिस्तान को इससे बड़ा फ़र्क़ पड़ता है। अगर आप बाहर भी नहीं खेलते हैं तो इससे आर्थिक नुक़सान होगा और यह बड़ा मसला बनेगा। लिहाजा चैंपियंस ट्रॉफी को लेकर पाकिस्तान असमंजस में है। पाकिस्तान इस बात को लेकर गंभीर है कि भारत नहीं गया तो क्या होगा।
पीसीबी के फ़ैसले पर क्यों उठ रहे सवाल
चैंपियंस ट्रॉफ़ी मुक़ाबलों को शुरू होने में 100 दिनों से कम का वक़्त रह गया है और पीसीबी ने चैंपियंस ट्रॉफ़ी का टूर शुरू कर दिया है। यह ट्राफ़ी भारत, इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ़्रीका, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान समेत आठ देशों में जाएगी। पाकिस्तान में जब चैंपियंस ट्रॉफी टूर को लेकर पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में ले जाने का शिड्यूल जारी हुआ तो भारत ने आपत्ति दर्ज की थी।
पीसीबी के पूर्व सदस्य ने कहा कि पाकिस्तान अंदाज़ा लेना चाहता था की क्या प्रतिक्रिया होगी लेकिन दांव उल्टा पड़ गया.। अब भारत और कड़ा रुख़ अपनाएगा।
टूर्नामेंट के लिए इन देशों के नाम
पीसीबी के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि आईसीसी की इस टूर्नामेंट में पाकिस्तान और भारत के नहीं खेलने से काफी नुकसान होगा। पाकिस्तान में ये भी एक चिंता है कि उसने इस टूर्नामेंट की तैयारियों पर काफ़ी राशि खर्च कर दी है। पाकिस्तान ने नेशनल स्टेडियम कराची और गद्दाफ़ी स्टेडियम लाहौर और रावलपिंडी स्टेडियम के नवीनीकरण और अन्य तैयारियों पर तक़रीबन 15-16 अरब रुपये ख़र्च कर दिए हैं।
अब देखने वाली बात होगी कि आईसीसी इस समस्या का हल कैसे निकलती है। अगर पाकिस्तान से चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन छीना जाता है तो किस देश में इसका आयोजन होगा यह भी देखने वाली बात होगी।