सिद्धार्थ सौरभ
नई दिल्ली : भारत में आधी रात से बदल गई इंटरनेट-ब्रॉडबैंड की दुनिया! जी हां हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं एलन मस्क के स्वामित्व वाली स्पेस एक्स ने मंगलवार को फ्लोरिडा के कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के संचार उपग्रह जीसैट-एन2 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इस उन्नत संचार उपग्रह को स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट का उपयोग करके लॉन्च किया गया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राधाकृष्णन दुरईराज के अनुसार, जीसैट एन2 या जीसैट 20 को सटीक कक्षा में स्थापित कर दिया गया है। जीसैट-एन2 एक संचार उपग्रह है जिसे इसरो के सैटेलाइट सेंटर और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। 48 जीबीपीएस डेटा ट्रांसमिशन क्षमता वाला यह हाई-थ्रूपुट उपग्रह ब्रॉडबैंड सेवाओं को बढ़ाएगा और देश भर में इन-फ़्लाइट कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
14 सालों तक लगातार काम करता रहेगा
यह संचार उपग्रहों की जीसैट श्रृंखला को जारी रखेगा और भारत के स्मार्ट सिटी मिशन के लिए आवश्यक संचार बुनियादी ढांचे में डेटा ट्रांसमिशन क्षमता को जोड़ेगा। उपग्रह के 14 वर्षों तक परिचालन में रहने की उम्मीद है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, “उपग्रह 32 उपयोगकर्ता बीम से सुसज्जित है, जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र पर 8 संकीर्ण स्पॉट बीम और शेष भारत पर 24 चौड़े स्पॉट बीम शामिल हैं। इन 32 बीमों को मुख्य भूमि भारत के भीतर स्थित हब स्टेशनों द्वारा समर्थित किया जाएगा। का-बैंड एचटीएस संचार पेलोड लगभग 48 जीबीपीएस का थ्रूपुट प्रदान करता है।”
इसरो ने ऐसे भारी उपग्रह प्रक्षेपणों के लिए फ्रांसीसी वाणिज्यिक प्रक्षेपण सेवा प्रदाता एरियनस्पेस को चुना है; हालांकि, कंपनी के पास वर्तमान में कोई भी परिचालन रॉकेट नहीं है, जिससे वह भारी पेलोड का प्रक्षेपण कर सके – जीसैट एन2 उपग्रह के मामले में 4,700 किलोग्राम। भारत का प्रक्षेपण यान, एलवीएम-3 भी 4,000 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकता है। इसलिए, उपग्रह को लॉन्च करने के लिए स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट को चुना गया।
क्या होगा फायदा?
अब तक भारत में उतरने वाली अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को अपने इंटरनेट सेवाओं को बंद करना पड़ता था. क्योंकि भारत पहले इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी की अनुमति नहीं देता था. लेकिन हाल ही में नियमों में बदलाव के बाद अब भारतीय हवाई क्षेत्र में इन-फ्लाइट इंटरनेट एक्सेस की अनुमति मिल गई है. नए नियमों के तहत 3,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले विमानों में वाई-फाई सेवाओं की अनुमति है. हालांकि, यात्री इन सेवाओं का उपयोग तभी कर सकते हैं, जब उड़ान के दौरान इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग की अनुमति हो.इस सैटेलाइट से पूरे भारत में न केवल ब्रॉडबैंड सर्विस में सुधार होगा बल्कि इससे इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी यानी उड़ान में रहते हुए इंटरनेट के इस्तेमाल में भी बेहतरी आएगी. ये सैटेलाइट 14 साल तक काम कर सकती है.