आचार्य पंडित सनत कुमार द्विवेदी
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) : दर्श अमावस्या पर पितरों को श्रद्धांजलि देने का महत्व है. इस दिन विशेष रूप से पितृ तर्पण किया जाता है, ताकि पूर्वजों की आत्मा को शांति मिले. इसे “पितृ अमावस्या” भी कहा जाता है. इस दिन लोग पितरों के लिए तर्पण और दान करते हैं। यह दिन व्रत और उपवासी रहने का भी होता है, ताकि पितर और आत्माओं को शांति मिल सके. दर्श अमावस्या की रात में दीप जलाना भी एक प्रमुख परंपरा है. विशेष रूप से घरों में दीप जलाने से अंधकार दूर होता है और शुभ फल की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में इस दिन पितरों को शांति दिलाने के लिए भी विशेष पूजा के विधान बताए गए हैं. अब प्रश्न उठता है कि कब है दर्श अमावस्या, जानें पितरों को कैसे दिलाएं शांति। आइए जानते हैं कि इस साल दर्श अमावस्या कब है?
दर्श अमावस्या तिथि
द्रिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने की दर्श अमावस्या तिथि की शुरुआत 30 नवंबर को सुबह 10 बजकर 29 मिनट से शुरू होगी. जबकि, अमावस्या तिथि की समाप्ति 1 दिसंबर को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर होगी. ऐसे में उदया तिथि की मुताबिक दर्श अमावस्या 30 नवंबर दिन शनिवार को ही मनाई जाएगी.
दर्श अमावस्या पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र जल में स्नान करें. यदि संभव हो तो गंगा, यमुना, या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करें. घर की सफाई करें, विशेष रूप से पूजा स्थल को स्वच्छ रखें. इस दिन पितरों को तर्पण देना बहुत महत्वपूर्ण होता है. इसके लिए श्रद्धापूर्वक जल, तिल, कुशा, आंवला, और अन्य सामग्री लेकर पितरों का स्मरण करें. घर में पूजा स्थल पर दीपक जलाकर ॐ नमः शिवाय, ॐ त्र्यंबकं यजामहे मंत्र का जप करें. घर में दीपक और धूप जलाकर पूजा करें. दीपक को घर के मुख्य स्थान, मंदिर और दरवाजों पर रखें. इस दिन गरीबों, ब्राह्मणों या साधुओं को दान देना लाभकारी होता है. इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है. घर के आंगन में तर्पण का आयोजन करें.
पितरों की शांति के लिए करें पूजा
दर्श अमावस्या के दिन पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल और फूल अर्पित करें. इसके साथ ही ॐ पितृभ्य: नम: मंत्र का जाप करें. इस शुभ अवसर पर पितृसूक्त का पाठ करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. इसके अलावा पितरों की तृप्ति के लिए खीर, पूरी और मिठाई बनाकर दक्षिण दिशा में रखकर दीप जलाने से पितृ संतुष्ट होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
दर्श अमावस्या के उपाय
- इस दिन कौओं को भोजन खिलाने से पितृ प्रसन्न होते हैं.
- दर्श अमावस्या के दिन गाय को चारा खिलाने से भी पितर प्रसन्न होते हैं.
- दान करने से पुण्य मिलता है और पितरों को शांति मिलती है.
- श्राद्ध करने से पितरों का पिंडदान होता है और उन्हें मुक्ति मिलती है.
- इस दिन धार्मिक स्थलों पर जाकर पूजा-अर्चना करने से पितृ प्रसन्न होते हैं.
दर्श अमावस्या का महत्व
दर्श अमावस्या का दिन पितृ तर्पण, पुण्य कार्य और शांति की प्राप्ति के लिए विशेष महत्व रखता है. इस दिन पितृ दोष निवारण के लिए विशेष पूजा-पाठ किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन पितरों को तर्पण देने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए यह दिन पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए सबसे शुभ माना जाता है. इस दिन चंद्र देव की पूजा और पितृ तर्पण किया जाता है. इस दिन दान करना भी पुण्यदायी माना जाता है. परिवार के सदस्यों के पुण्य लाभ और पितृ लोक की शांति के लिए यह दिन बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है.