आचार्य पंडित सनत कुमार द्विवेदी
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) : महाकुंभ मेला देश की सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था का प्रतीक है। जहां करोड़ों श्रद्धालु इस मेले में भाग लेते हैं। इसका आयोजन 12 साल बाद किया जाता है। महाकुंभ में शाही स्नान का बड़ा महत्व माना जाता है। इसबार महाकुंभ का आयोजन 2025 में होने वाला है। जिसको लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। आइए जानिए कब और कहां लगेगा महाकुंभ मेला और इन तिथियों पर करें शाही स्नान..।
2025 में कहां लगेगा महाकुंभ मेला
महाकुंभ मेला 2025 में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित किया जाएगा। इस भव्य मेले की शुरुआत 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन से होगी। वहीं इसका समापन 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि पर होगा। इससे पहले साल 2013 में प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन किया गया था।
शाही स्नान की तिथियां
- 13 जनवरी 2025 को पहला शाही स्नान पौष पूर्णिमा के दिन होगा।
- 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर श्रद्धालु शाही स्नान करेंगे।
- 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या के पर्व पर शाही स्नान किया जाएगा।
- 3 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर शाही स्नान होगा।
- 12 फरवरी 2025 को माघ पूर्णिमा के दिन शाही स्नान किया जाएगा।
- 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के पर्व पर शाही स्नान होगा।
शाही स्नान का महत्व
महाकुंभ में शाही स्नान सबसे पवित्र स्नान माना जाता है। इस खास दिन पर अलग- अलग अखाड़ों के साधु-संत, नागा साधु और अन्य संप्रदायों के महंत पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए आते हैं। उनके स्नान के बाद आम श्रद्धालुओं को स्नान का अवसर मिलता है। शाही स्नान धार्मिक परंपरा और आस्था का सबसे प्रमुख भाग है। महाकुंभ के दौरान शाही स्नान के लिए देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु भी यहां आते हैं। मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान संगम का जल अमृतमय हो जाता है। जहां स्नान करने से श्रद्धालुओं के पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कहां-कहां लगता है कुंभ मेला
प्रयागराज
प्रयागराज कुंभ मेले का सभी मेलों में बड़ा स्थान है। त्रिवेणी संगम पर पूजा और स्नान किया जाता है। जो गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यहां तीसरी नदी सरस्वती अदृश्य मानी जाती है।
हरिद्वार
हरिद्वार में हर की पौड़ी पर कुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालु जुटते हैं और अनुष्ठान स्नान करते हैं। उत्तराखंड के इस पवित्र शहर हरिद्वार का ये प्रसिद्ध घाट है। जहाँ गंगा पहाड़ों को छोड़कर मैदानी इलाकों में प्रवेश करती है।
हरिद्वार हिमालय पर्वत श्रृंखला के शिवालिक पर्वत के नीचे स्थित है। प्राचीन ग्रंथों में हरिद्वार को तपोवन, मायापुरी, गंगाद्वार और मोक्ष द्वार के नामों से भी जाना जाता है। यह हिन्दुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थान है।
नासिक
नासिक में त्र्यंबकेश्वर शिव मंदिर और गोदावरी नदी के तट पर पूजा स्नान शामिल है। इस मेले को नासिक त्र्यंबक कुंभ मेले के नाम से भी जाना जाता है। देश के 12 में से एक ज्योतिर्लिंग त्र्यम्बकेश्वर में स्थित है। जहां 12 साल में एक बार सिंहस्थ कुम्भ मेला नासिक और त्रयम्बकेश्वर में होता है। कुंभ मेले में हज़ारों श्रद्धालु गोदावरी के पवित्र जल में नहा कर अपनी आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्रार्थना करते हैं। यहाँ शिवरात्रि का त्यौहार भी धूम धाम से मनाया जाता है।
उज्जैन
उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर आनुष्ठानिक स्नान शामिल है। भक्त महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के भी दर्शन करते हैं। जो भगवान शिव के स्वयंभू लिंग का निवास स्थान है। उज्जैन का अर्थ है विजय की नगरी और यह मध्य प्रदेश की पश्चिमी सीमा पर है। इंदौर से करीब 55 किलोमीटर दूर शिप्रा नदी के तट पर बसा उज्जैन पवित्र और धार्मिक स्थलों में से एक है। यहां भी कुंभ का आयोजन होता है।
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की तैयारी
2025 के महाकुंभ को लेकर उत्तर प्रदेश परिवहन ने तैयारी शुरू कर दी है। इसमें परिवहन निगम ने करीब सात हजार बस संचालित करने की योजना बनाई है। जिसमें करीब 200 वातानुकूलित बस भी सम्मलित हैं। यूपी परिवहन ने श्रद्धालुओं की सुगम यात्रा के लिए यह कदम उठाया है। इसमें महिला और वृद्ध तीर्थ यात्रियों को विशेष सुविधा प्रदान करने की योजना भी है।