Bangladesh Crisis :बांग्लादेशी हिंदुओं पर अत्याचार बंद करें….

Bindash Bol

Bangladesh Crisis : सामाजिक कार्यकर्ता बिनोद गाडयायन ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यको के खिलाफ हो रहे अत्याचार और मानवाधिकार के उलंघन पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि बंग्लादेश सरकार को अविलंब इस सेलेक्टिव/चयनित अत्याचार को रोकना चाहिए। बिनोद गाडयायन आज सोमवार को रांची के होटल ग्रीन होराइजन में प्रेस वार्ता का संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि सर्व सनातन समाज की ओर से मंगलवार को रांची के मोरहाबादी ग्राउंड में बापू वाटिका के पास धरना प्रदर्शन किया जाएगा। प्रेस कांफ्रेंस को चिन्मय मिशन के प्रमुख स्वामी परिपूर्णानंद स्वामी,बिनोद गाडयायन,मेन रोड गुरुद्वारा के मुख्य ग्रंथि विक्रमजीत सिंह, श्वेतांबर जैन समाज के सचिव बिनोद विरमानी,बौद्ध समाज के पावन लामा ने सयुक्त रूप से प्रेस को सम्बोधित किया।

उन्होंने कहा कि झारखंड़ की राजधानी रांची में भी हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन धर्म को मानने और बांग्लादेश के अल्पसंख्यको को लेकर जो लोग चिंतित है वे सभी लोग 10 दिसंबर को मोरहाबादी से राजभवन तक प्रदर्शन मार्च निकाल कर अपनी गहरी आवाज भारत के प्रधानमंत्री एवं बांग्लादेश के प्रधानमंत्री को संदेश देने के लिए जुटेंगे और राज्यपाल को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपेंगे।

श्री गाडयान जी ने इस्कॉन फाउंडेशन के संत चिन्मय दास जी को देशद्रोही का आरोप लगाकर गिरफ्तार किये जाने का विरोध जताया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के संविधान के अनुच्छेद 2 ए में कहा गया है कि यद्यपि हम मुस्लिम राष्ट्र हैं फिर भी यहां हिन्दू, बौद्ध, सिख और ईसाई सहित अन्य सभी धर्मों की सुरक्षा के लिए हम संकल्पित हैं।फिर भी आज जिस प्रकार से वहां के अल्पसंख्यको के मानवाधिकार का हनन हो रहा है और यूनाइटेड नेशन खामोश है यह एक चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा कि हद तो तब हो गयी जब लोगों के अधिकार को लागू करवाने के लिए कोर्ट होता है किंतु बंग्लादेश के कोर्ट ने भी चिन्मय दास जी को जमानत देने से इनकार कर दिया। तथा इस्कॉन फाउंडेशन को बैन करने का आदेश तक दे चुकी है। जो कहीं से जायज नहीं है। बांग्लादेश में आज अल्पसंख्यक अपनी आवाज भी नही उठा पा रहे हैं। चिन्मय दास जी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति नही है। वे धर्म के कामों में लगे रहते है वैसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया, साथ ही साथ उनके वकील पर जानलेवा हमला करना, वकीलों के लिए फ़तवा जारी करना, जान बूझ कर बेल न देना यह अत्याचार की पराकाष्ठा है।
बंग्लादेश में हिन्दूओं की जनसँख्या वर्ष 1971 से पहले 20 प्रतिशत थी जो अब घटकर 8 प्रतिशत रह गई है। बंग्लादेश में एक सुनियोजित तरीके से बगलादेश की मिलिट्री ने 20 लाख लोगों की हत्या कर जीनोसाइड किया। बांग्लादेश की सेना के द्वारा महिलाओं के साथ दुष्कर्म और उनकी हत्या की गयी।
श्री गाड़यान जी ने बांग्लादेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि बांग्लादेश में हो रहे अत्याचार के खिलाफ एक फ़ार्स्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना हो और दोषियों को सजा दी जाए। बांग्लादेश के अल्पसंख्यको की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाया जाए। बांग्लादेश में एक अल्पसंख्यक मंत्रालय बनाया जाए। बांग्लादेश में हिंदूओं की धार्मिक और शिक्षणिक संस्थानों पर सरकारी हस्तक्षेप बंद हो, बांग्लादेश में जिन लोगों के साथ अत्याचार हुआ है, जिनकी संपत्ति छीन ली गई,दुकान बर्बाद कर दिया गया उनको पुनर्स्थापना के लिए सरकार कोशिश करें। बांग्लादेश की कानून और नीतियों में अल्पसंख्यकों की भी जगह दी जाए।
उन्होंने दुनियां भर के हिन्दू समाज के लोगों से आह्वान करते हुए कहा बांग्लादेश की घटना हमारे लिए चेतावनी है कि हम हिदू समाज जागे और अपनी सुरक्षा का ख्याल रखें।
अखिल भारतीय संत समाज समिति के उपाध्यक्ष के प्रमुख स्वामी दिव्यानंद महाराज ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार को रोके। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने भी सीधे और सरल शब्दों में निंदा की और कहा कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों की मानवाधिकार की रक्षा बांग्लादेश सरकार करे।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार के विदेश सचिव अपने 20 से ज़्यादा प्रतिनिधियों के साथ बांग्लादेश गए हैं । यह प्रतिनिधिमंडल वहां की सरकार से वार्ता करेगी और भारत सरकार की चिंता और मांगों से अवगत कराएगा। उन्होंने कहा कि पूरे दुनियां के लोगों को जगने का अवसर है। सिर्फ मानवाधिकार दिवस मानना काफी नही है बल्कि इसको लागू भी सही ढंग से लागू किया जाना चाहिए।
चिन्मय मिशन के प्रमुख स्वामी पूर्णानन्द ने कहा कि बांग्लादेश को यह नहीं भूलना चाहिए कि आपका जन्मदाता भारत ही है अगर भारत आपसे रूठ जाए तो आपको बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। आपकी आर्थिक स्थिति डावांडोल हो सकती है। अतः आप पाकिस्तान के पिछलग्गू होने से अपने देश को बचाएं।
श्वेतांबर जैन समाज के सचिव बिनोद जैन बेगवानी ने कहा कि बांग्लादेश में अविलंब शांति बहाल किया जाए।
बौद्ध समाज के पवन कुमार लामा ने कहा कि भाई भाई का प्रेम नही दिख रहा है।बांग्लादेश में अल्पसंख्यक के खिलाफ हो रहे अत्याचार का पुरजोर तरीके से विरोध किया और भारत सरकार तथा यूएन से मांग करते हुए कहा कि बांग्लादेश में मानवाधिकार की सुरक्षा किया जाए।
मेंन रोड गुरुद्वारा के मुख्य ग्रंथि विक्रमजीत सिंह ने कहा कि चाहे सिख धर्म हो या हिन्दू समाज हो पहले हम मानव है। जब मानव पर कोई अत्याचार होता है तो सबको चोट लगती है। इस अत्याचार को जितनी जल्दी हो रोका जाए उतनी अच्छी है। अगर यह नहीं रुका तो यह और जगह भी बढ़ सकता है। जहां भी अत्याचार होगा सिख समाज वहां खड़ा रहेगा।

नवलजोत अलंग (पूर्व सचिव सिख संगत) ने कहा मानवाधिकार हर मानव का मौलिक अधिकार है, जिससे वंचित करना मौलिक अधिकार का हनन है। बांग्लादेश डीप स्टेट का फेस बनना बंद करे अन्यथा दुर्गति तय है।
आज के प्रेस वार्ता में सर्व सनातन समाज के संयोजक विजय कुमार, रोहित शारदा, सूरज शाहदेव, बसंत कुमार उपस्थित रहे।

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