INS Tushil: भारतीय नौसेना में शामिल हुआ INS तुशिल कितना ताकतवर? जानें यह कैसे बनेगा ‘रक्षा कवच’

Bindash Bol

INS Tushil:भारतीय नौसेना में सोमवार को मल्टी-रोल स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट INS तुशिल को शामिल किया गया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस यात्रा के दौरान कलिनिनग्राद में इसे सेना का हिस्सा बनाया गया. राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा है, कलिनिनग्राद (रूस) में यंतर शिपयार्ड में INS Tushil के कमीशनिंग समारोह में भाग लेने पर खुशी हुई. यह भारत की बढ़ती समुद्री ताकत का एक गौरवपूर्ण प्रमाण है और रूस के साथ संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.

इस युद्धपोत के नाम तुशिल का मतलब है रक्षक कवच. 125 मीटर लम्बे INS तुशिल के निर्माण के लिए के लिए भारत और रूस के बीच 2016 में 2.5 बिलियन डॉलर की डील हुई थी. युद्धपोत के निर्माण की निगरानी कलिनिनग्राद में तैनात ‘वॉरशिप ओवरसीइंग टीम’ के विशेषज्ञों की देखरेख में हुई थी, जिसमें भारतीय एक्सपर्ट भी शामिल थे. इसकी खूबियां बताती हैं कि कैसे यह समुद्र की लहरों पर दुश्मनों पर नजर रखेगा. उनको मुंहतोड़ जवाब देता और रक्षा कवच साबित होगा. पढ़ें INS तुशिल की खूबियां.

3900 टन वजनी युद्धपोत की खूबियां

1- एक बार ईधन से 30 दिन तक चलने की क्षमता

INS तुशिल का समंदर में डिस्प्लेसमेंट 3850 टन है. यह समुद्र में अधिकतम 59 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने में माहिर है. इसकी क्षमता भी अधिक है. एक बार ईधन से लैस होने के बाद यह 30 दिन तक 180 नौसेनिकों के साथ चलने की क्षमता रखता है. यही वजह है कि समुद्र में इसकी तैनाती से भारत को रक्षा कवर की तरह सुरक्षा मिलेगी.

2- इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम से लैस

तकनीक के मामले में यह अपने पिछले वर्जन से काफी अपग्रेड है. INS तुशिल अपनी इस सीरीज का सातवां जहाज है. INS तुशील प्रोजेक्ट 1135.6 का एक अपग्रेडेड क्रिवाक III क्लास का फ्रिगेट है, जिसमें से 6 पहले से ही सेवा में हैं. यह इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम से लैस है.

3- ब्रह्मोस और 24 मीडियम मिसाइल रेंज की मिसाइलें तैनात


रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस युद्धपोत में 24 मीडियम रेंज की मिसाइल मौजूद हैं. इसके अलावा INS तुशिल 8 वर्टिकल लॉन्च एंटी-शिप और लैंड अटैक ब्रह्मोस मिसाइल से भी लैस है. इसमें लगी 100 मिलिमीटर की A-190E नेवल गन भी खास है. 76 एमएम की ओटो मेलारा नेवल गन भी इसका हिस्सा है.

4- टॉरपीडो ट्यूब्स भी हैं मौजूद

मिसाइल और बंदूकों के अलावा इसमें दो 533 मिलिमीटर की टॉरपीडो ट्यूब्स मौजूद हैं और यह एक रॉकेट लॉन्चर से भी लैस है. निर्माण के दौरान यह युद्धपोत कई तरह के परीक्षणों से गुजरा है. जहाज पर लगे सभी रूसी उपकरणों की जांच की गई जो सफल रही है.

5- हथियार फायरिंग में मिली सफलता


टेस्टिंग के दौरान इसमें लगे रूसी इक्विपमेंट्स के अलावा हथियार फायरिंग की भी जांच की गई, जाे सफल रही. इसके अलावा टेस्टिंग के दौरान युद्धपोत ने 30 नॉटिकल से जयादा की गति रिकॉर्ड की.

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