NSA : भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल बीजिंग यात्रा पर हैं. उनका ये दौरा कई लिहाज से अहम माना जा रहा है. उनका ये दौरा 24 अक्टूबर को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर रूस में हुई पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक के दौरान बनी आम सहमति के आधार पर हो रहा है.
इस बैठक का मकसद LAC विवाद को पूरी तरह सुलझाने और आपसी संबंध फिर से बहाल करना है. सरकारी सोर्स के मुताबिक LAC पर हालिया समझौते के बाद ये बातचीत बेहद अहम है. बुधवार को डोभाल चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक करेंगे, ये बैठक करीब 5 साल बाद हो रही है.
दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच आखिरी बार बैठक दिसंबर 2019 में हुई थी. 2020 में हुए लद्दाख विवाद के बाद भारत और चीन के रिश्तों में तनाव आ गया था. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी बताया था कि विवाद के 75 फीसदी मुद्दे हल हो चुके हैं और जल्द ही पूरी तरह समाधान होने की उम्मीद है.
कई दौर की हो चुकी है बातचीत
NSA का दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब दोनों देशों ने डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों से अपनी सेना को पीछे हटाने के समझौते पर सहमति बनाई है. खबरों के मुताबिक दोनों ओर से को-ऑर्डिनेट पेट्रोलिंग भी शुरू हो गई है. इस विवाद को सुलझाने के लिए कॉर्प्स कमांडरों की 21 राउंड की बैठक हो चुकी है, इसके अलावा डिप्लोमेटिक लेवल पर भी कई दौर की बातचीत हुई है.
चीन ने डोभाल के दौरे पर क्या कहा?
चीनी विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि चीन भारत के साथ मिलकर दोनों देशों के नेताओं के बीच महत्वपूर्ण आम सहमति को लागू करने और द्विपक्षीय संबंधों को जल्द से जल्द पटरी पर लाने के लिए काम करने को तैयार है. बीजिंग ने एक-दूसरे के मूल हितों और प्रमुख चिंताओं का सम्मान करने, संवाद और संचार के जरिए से आपसी विश्वास को मजबूत करने और ईमानदारी और सद्भावना के साथ मतभेदों को ठीक से सुलझाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया.
भारत पहले भी कई बार बता चुका है कि अप्रैल 2020 की स्थिति पर लौटना ही समाधान की दिशा में पहला कदम होगा. G20 के अलावा ब्रिक्स, SCO और क्वाड में भी भारत की अहमियत ने चीन को पीछे हटने पर मजबूर किया है. अब देखना होगा इस बातचीत के बाद दोनों देशों के रिश्तों में कितना सुधार आता है.
भारत ने झुकने से किया इनकार, अपना स्टैंड रखा सख्त
दोनों देशों में कमांडर लेवल की बातचीत के दौरान कई बार गतिरोध के हालात भी पैदा हुए. इस दौरान डिप्लोमेटिक बातचीत की गई, लेकिन पिछले चार सालों के दरमियान हुई बातचीत में भारत ने किसी भी लेवल पर झुकने से इनकार किया. डेपसांग और देमचोक में पेट्रोलिंग को लेकर भारत का रुख स्पष्ट रहा.
75% विवादों को सुलझा लिया गया है – जयशंकर
मौजूदा हालात में भारत अपनी सैन्य और राजनयिक स्थान को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है. बीते पांच सालों में भारत की तरफ से लद्दाख में जो सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण किया गया है, उसे तत्काल हटाना संभव नहीं है. इसके साथ, दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने सेंट पीटर्सबर्ग में उच्च स्तरीय वार्ता की, जिसमें सीमा के बचे हुए विवादों के समाधान की दिशा में तेजी से कोशिश करने और द्विपक्षीय संबंधों में सुधार पर सहमति बनी. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का भी कहना है कि इस क्षेत्र के 75% मुद्दे हल हो चुके हैं और जल्द ही पूरी तरह समाधान की उम्मीद है. यह वार्ता भारत-चीन संबंधों को स्टेबल करने की दिशा में एक अहम कदम है.