Putrada Ekadashi 2025: नए साल की पहली पुत्रदा एकादशी पर बन रहा ये शुभ योग, जानिए पूजा विधि और शुभ महूर्त

Sanat Kumar Dwivedi

Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जो दंपत्ति इस दिन विधि पूर्वक पूजा करते हैं। उनको संतान सुख की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं पुत्रदा एकादशी की पूजा किस शुभ योग में होगी?

पुत्रदा एकादशी व्रत का शुभ समय

साल 2025 की पहली पुत्रदा एकादशी 9 जनवरी को दोपहर के 12 बजकर 22 मिनट पर प्रारंभ होगी। वहीं अगले दिन यानि 10 जनवरी को सुबह के 10 बजकर 19 मिनट पर संपन्न होगी। इसलिए उदयातिथि के अनुसार एकादशी का व्रत 10 जनवरी को रखा जाएगा।
पूजा के लिए विशेष योग
पुत्रदा एकादशी के शुभ अवसर पर ब्रह्म योग का विशेष संयोग रहने वाला है, जो अत्यंत लाभकारी और कल्याणकारी योग है। धर्म शास्त्रों में इस योग का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस योग में की गई पूजा शुभफल देने वाली होती है।

साल में दो बार मनाई जाती है पुत्रदा एकदाशी

हिंदू धर्म मे यह पवित्र तिथि हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखती है। पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है। पौष मास में और श्रावण मास में। यह दिन विशेष रूप से संतान प्राप्ति और उनकी समृद्धि की कामना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
पुत्रदा एकादशी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पुत्रदा एकादशी संतान प्रदान करने वाली एकादशी मानी जाती है।यह व्रत उन दंपतियों के लिए बेहद लाभकारी है जो संतान सुख की कामना करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस शुभ दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से संतान से संबंधित सभी समस्याओं का समाधान होता है। यह व्रत केवल संतान प्राप्ति के लिए ही नहीं, बल्कि उनकी लंबी आयु, सुख-शांति और समृद्धि के लिए भी किया जाता है। इसके साथ ही पूर्वजन्म के पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष प्राप्ति होती है।

व्रत और पूजा विधि

स्नान और संकल्प

व्रत रखने वाले भक्त सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें या घर में गंगाजल डालकर स्नान करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें।

भगवान विष्णु की पूजा

भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं, पुष्प अर्पित करें और तुलसी के पत्ते चढ़ाएं। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना विशेष फलदायी माना जाता है।

निर्जल या फलाहार व्रत

पुत्रदा एकादशी व्रत निर्जल रखा जाता है, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी कारणों से फलाहार भी कर सकते हैं। व्रत के दौरान सात्विक आहार लें।

दान का महत्व

व्रत के दिन दान देना बेहद शुभ माना गया है। अनाज, वस्त्र और धन का दान पुण्यफल प्रदान करता है।

धार्मिक कथा

धार्मिक मान्यता है कि एक बार महिष्मति नगरी के राजा सुकेतुमान और उनकी पत्नी शैव्या संतानहीन होने के कारण बहुत दुखी थे। वे वन में तपस्या करने गए और पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की उपासना की। भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन देकर पुत्र रत्न का आशीर्वाद दिया।

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