Mahakumbh 2025 : महाकुंभ का आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक भी है। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने आते हैं। इस अवसर पर महर्षि भारद्वाज का आश्रम एक विशेष आकर्षण का केंद्र बन जाता है। यह पवित्र स्थल प्रयागराज के बालसन चौराहे पर स्थित है और अपनी ऐतिहासिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्ता के कारण लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।
भारद्वाज मुनि सप्तऋषियों में से एक थे और उन्हें प्रयागराज का पहला निवासी माना जाता है। उनकी विद्वत्ता और योगदान का उल्लेख वेदों और पुराणों में मिलता है।
महर्षि भारद्वाज न केवल धार्मिक ऋषि थे, बल्कि विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में भी उनका योगदान अद्वितीय है। उन्हें आयुर्वेद का जनक माना जाता है। उन्होंने वैमानिक शास्त्र जैसे ग्रंथ की रचना की, जिसमें उन्होंने 500 प्रकार के विमानों और उनकी कार्यशैली का उल्लेख किया। उनका यह शास्त्र विज्ञान की प्राचीन भारतीय समझ को दर्शाता है। महर्षि भारद्वाज दुनिया में पहले विमान बनाने और उड़ाने की कला खोजने वालों में से एक हैं, जिसका उल्लेख पुराणों में भी दिया गया है। उनकी पुस्तक यंत्र सर्वस्व पर अमेरिका की स्पेस कंपनी नाशा भी रिसर्च कर रही है। इसमें विमान बनाने और उड़ाने की कला को बताया गया है। इसमें सूर्य की ऊर्जा से चलने वाले विमानों, लड़ाकू विमानों और यहां तक कि अंतरिक्ष यानों के निर्माण की विधियां बताई गई हैं। यह आश्चर्यजनक है कि उनके ग्रंथ में अदृश्य होने वाले विमानों और ग्रहों के बीच यात्रा करने की तकनीकों का भी वर्णन है।भारद्वाज मुनि ने चिकित्सा विज्ञान में भी अहम योगदान दिया। उनके आयुर्वेदिक ज्ञान को आज भी भारतीय चिकित्सा पद्धति में आधारभूत माना जाता है।