mahakumbh 2025 : महाकुम्भ की आध्यात्मिक ऊर्जा बटोर त्रिवेणी के तट से विदा हुए 10 लाख से अधिक कल्पवासी

Siddarth Saurabh

mahakumbh 2025 : प्रयागराज के संगम तट में लगे आस्था के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक समागम महाकुम्भ में एक महीने से प्रवाहित हो रही जप, तप और साधना की त्रिवेणी की धारा के साक्षी रहे कल्पवासियों की माघ पूर्णिमा स्नान के साथ विदाई हो गई। पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ त्रिवेणी की रेत पर शुरू हुआ कल्पवास का माघ पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ समापन हो गया। सभी कल्पवासी स्नान, दान और मां गंगा का आशीष लेकर महाकुम्भ की आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ अपने-अपने गंतव्य की तरफ प्रस्थान कर गए।

महाकुम्भ अध्यात्म और संस्कृति का दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन है। महाकुम्भ का हर सेक्टर, हर स्थान ज्ञान, भक्ति और साधना के विविध रंगों से गुलजार है। महाकुम्भ में अखाड़ों के वैभव के अलावा जप, तप और साधना की त्रिवेणी के प्रवाह के साक्षी रहे कल्पवासियों की माघ पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ विदाई हो गई। ब्रह्म मुहूर्त में त्रिवेणी में माघ पूर्णिमा की डुबकी लगाकर कल्पवासी अपने शिविर पहुंचे। कल्पवासियों ने तीर्थ पुरोहितों के सानिध्य में विधि विधान से दान और हवन का अनुष्ठान पूरा किया। तीर्थ पुरोहित राजेंद्र पालीवाल बताते हैं कि वैसे तो शास्त्र में 84 तरह के दान का उल्लेख है, लेकिन जिसकी जो श्रद्धा होती है उसका दान तीर्थ पुरोहित स्वीकार कर लेते हैं। शैय्या दान, अन्न दान, वस्त्र दान और धन दान आदि का अनुष्ठान माघ पूर्णिमा को किया जाता है। किसी कारण वश अगर कोई कल्पवासी माघ पूर्णिमा को यह अनुष्ठान पूरा नहीं कर पाता तो वह अगले दिन त्रिजटा का स्नान कर यहां से विदा हो जाता है। माघ पूर्णिमा में दस लाख से अधिक कल्पवासी महा कुम्भ की आध्यात्मिक ऊर्जा लेकर यहां से प्रस्थान कर गए।

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