रेहान अहमद
Virat Cohli : 18 साल पहले RCB और दिल्ली वाले एक जगह एक बराबर खड़े थे, दोनों के पास मौका था विराट कोहली को खरीदने का, दिल्ली ने दिलीप सांगवान को खरीदा, और RCB ने विराट कोहली को। अब RCB की भी इसमें कोई अक्लमंदी नहीं कही जा सकती, क्योंकि उस वक्त खुद विराट को भी अंदाजा नहीं था कि वो आने वाले सालों में क्या बनने वाले है। पर आज 18 साल के बाद, दोनों टीमों का ट्रॉफी कैबिनेट खाली है। परफॉर्मेंस वाइस देखा जाए तो बहुत ज्यादा फर्क नहीं है दोनो में,पर एक ऐसा बड़ा फर्क है जिसकी वजह सिर्फ और सिर्फ एक आदमी है और वो है विराट कोहली है। अगर डॉलर को आज के रेट से एक्सचेंज किया जाए तो IPL में सिर्फ तीन टीमों की ब्रांड वैल्यू हजार करोड़ के पार है। आम तौर पर माना जाता है कि ब्रांड वैल्यू टीम की परफॉमेंस पर डिपेंड रहती है,इसलिए बाकी दो हजार करोड़ की ब्रांड वैल्यू वाली टीमों के पास पांच पांच IPL ट्रॉफी है।पर इनके बाद नंबर आता है, RCB का,जीरो ट्रॉफीज, 3 ट्रॉफी जीतने वाली केकेआर की भी ब्रांड वैल्यू हजार के पार नहीं है। अब इन सब डेटा का मकसद RCB को किसी टीम से बेहतर या बराबर बताना नहीं है। मै कोई ढाई साल पुराना फैन नहीं हू जो जबरदस्ती RCB को बेस्ट साबित करने में जान जलाए अपनी।
हम जो पुराने फैंस है, मतलब जिन्होंने पहले साल से हर साल बेइज्जती झेली है, वो जानते है कि हमारी टीम हमारे मैनेजमेंट में कमी रही है हमेशा से। इसलिए हम ये बात मानते है कि,जो टीमें ट्रॉफी जीतती आई है, वो हमसे कई मामले में बेहतर है। पर बात हर साल फंस जाती है विराट कोहली पर,इसी इंसान के चक्कर में आधे RCB वाले फंसे है। सोचिए अगर विराट कोहली को अपने करियर के शुरुआती दिनों में बेस्ट बनने की सनक न चढ़ी होती, क्या होता अगर विराट कोहली को जिद न लगी होती वर्ल्ड क्रिकेट में बेस्ट बनने की।तो इंडियन क्रिकेट और IPL कितना अलग होता, खासकर RCB ,कौन पूछता यार इस टीम को, ऐसी परफॉर्मेंस के बाद,और कौन पूछता विराट कोहली को भी अगर उस इंसान ने अपने आपको तपाया नहीं होता बनाया नहीं होता,पर इस एक आदमी की जिद और मेहनत ने इसके आस पास की चीजों को किस कदर बदल दिया है।आज इस एक बंदे की वजह से हमारे जैसे लोग हर साल मुंह उठाकर चले आते है RCB का झंडा लेकर, अब चाहे ये जीते हारे, जलील होय,न तो विराट टीम बदलने वाला है न अपन। बस मजे है तो RCB के मैनेजमेंट की, बाकी टीमों की तरह न ऑक्शन में दिमाग खपाना है, न टूर्नामेंट में। एक आदमी लगा रखा है, जो बेचारा हर साल जान भिड़ा देता है, और उसके फैंस लगे हुए है जो ब्रांड वैल्यू मेंटेन करके रखते है, दोनों के हाथ में हर सीजन के आखिर में कुछ नहीं आता, और RCB मैनेजमेंट को पैसा बटोरने के लिए हाथ कम पड़ जाते है। एक सबक तो है इसमें भी, जिंदगी में कुछ करो न करो, मेहनती लोगों को अपने आस पास रखो, हारते भी रहे तो उनकी मेहनत से आप पर कुछ न कुछ पॉजिटिव असर जरूर होता रहेगा। बाकी हर साल की तरह इस साल भी ई साला कप नामदे रहेगा।