Gyanpeeth Award : राजनीति के आईने में ज्ञानपीठ की याद

Bindash Bol

उमानाथ लाल दास
Gyanpeeth Award : भारतीय अंग्रेजी लेखक भले ही नोबेल पुरस्कार, मैन बुकर पुरस्कार, इरास्मस पुरस्कार, अंतर्राष्ट्रीय डबलिन साहित्य पुरस्कार झटक लिये हों, पर ज्ञानपीठ तो भारतीय भाषा के ही लेखक को मिलेगा।

जोड़ दीजिए न ज्ञानपीठ को भी भाषा-क्षेत्र, लिंग-संप्रदाय-नर-नारी की वर्चस्ववादी राजनीति से, 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोषणा तक 61 लेखक पुरस्कृत हो चुके हैं। सभी तरह और पसंद के डाटा उपलब्ध हैं इसके लिए। 61 पुरस्कृतों में 23 ही ओबीसी-हरिजन-दलित हैं, मुसलमान दो, उर्दू तीन (कुर्रतुल एन हैदर महिला में भी) तो कहां गये ज्ञान और विचार के क्षेत्र में आरक्षण के हिमायती योगेन्द्र यादव, अनिल चमड़िया आदि का जत्था, मीडिया में सोशल इंजीनियरिंग के दमदार आवाज उर्मिलेश, 62 में बस आठ ही लेखिकाएं हैं तो
स्त्रीवादी स्त्रीविमर्श के प्रवर्तक राजेंद्र यादव का सौर परिवार कहां गया, 62 में 14 ही द्रविड़ लेखक हैं तो उत्तर-दक्षिण करने वाले करुणानिधि की प्रेतछायाएं कहां हैं, 2014 के बाद से सिर्फ एक गुजराती को ज्ञानपीठ तो मोदी-गोदी करने वाले रवीश कुमार के चट्टे-बट्टे कहां हैं….।

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