रेहान अहमद
Ishaan : मुंबई इंडियंस के डगआउट में हताश होकर बैठे,ईशान किशन की ये फोटो, हर उस इंसान के लिए एक मिसाल है,जो जिंदगी की थपेड़ों से थक तो गया,पर ब्रेक लेने को हार मानना समझता है।सोचिए एक खिलाड़ी को, डबल सेंचुरी मारने के बाद बेंच पर बिठा दिया जाए, फिर उसके बाद, उसे बेटिंग ऑर्डर में ताश के पत्तों की तरह फेंटा जाने लगे,तो साल भर,लगातार सफर,और परफॉर्मेंस का दबाव से,किसी के भी दिमाग पर कुछ न कुछ तो असर पड़ता ही है।अक्सर ऐसे वक्त में लोगों का दिमाग काम करना बंद कर देता है,पर ईशान किशन का दिमाग सही वक्त पर चला,और उन्होंने वक्त रहते खेल से ब्रेक ले लिया, न लेते तो आज की high pressure वाली क्रिकेट के वो लायक भी न बचते। डॉक्टर्स हो,या टीम इंडिया के कोच, गौतम गंभीर,हर कोई मेंटल हेल्थ की अहमियत को मानता है।बैन स्टोक्स ने भी 2021 कुछ इसी रीजन से ब्रेक लिया था,और ग्लेन मैक्सवेल ने भी। पर इतनी सी बात न मीडिया को समझ आई, न फैंस को। उल्टा जो खिलाड़ी ब्रेक लेने के लिए इंटरनेशनल छोड़ कर आया था,उससे सवाल किया जाने लगा कि तुम डोमेस्टिक क्यू नहीं खेल रहे हो। उसे घमंडी और बेवकूफ मान लिया गया। टीम में जगह चली गई,सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट भी गया,बचा क्या?बस हौंसला और जिद।पर कई बार वापसी के लिए, इतना ही बहुत होता है।हैदराबाद के प्रैक्टिस मैचेज से ही लग रहा था कि, ईशान इस बार कुछ तो,गहरा निशान छोड़ जाने के मूड में है, और फिर आज के मैच में, जब राजस्थान की नजरे हेड और क्लासेन पर थी,तभी उनकी नजरों के नीचे से, ये लड़का मैच ले उड़ा। ईशान किशन की इस शतकीय वापसी ने,ये तो साबित कर दिया है कि,कई बार,खुद को रगड़कर खत्म करने से, ब्रेक ले लेना बेहतर होता है।बस आप के अंदर वापसी करने का,spark बाकी रहना चाहिए,लड़ने की ताकत न सही, लड़ने की हिम्मत होनी चाहिए,अगर ये है, तो फिर ब्रेक में भी आप खुद को, rebuild और reinvent कर सकते है, इसलिए मेरे दोस्त,मेरे भाई, अगर थक गए हो, तो ब्रेक ले लो…