US China Trade War : अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध एक बार फिर तेज हो गया है. ये टकराव अब एक नए मोड़ पर पहुंच चुका है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आने वाले प्रोडक्टस पर टैरिफ बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया है, जो तुरंत प्रभाव से लागू भी कर दिया गया है. ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर इस घोषणा करते हुए चीन पर “वैश्विक बाजारों के प्रति सम्मान की कमी” का आरोप लगाया और कहा कि अब अमेरिका और बाकी देशों को चीन नहीं लूट पाएगा.
इस कदम के साथ ट्रंप ने 75 से ज्यादा देशों के लिए एक अस्थायी राहत भी घोषित की है. उन्होंने कहा कि जो देश अमेरिका के खिलाफ कोई जवाबी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, उनके लिए अगले 90 दिनों तक टैरिफ को केवल 10 प्रतिशत रखा जाएगा. इस फैसले के तहत मैक्सिको और कनाडा जैसे अमेरिका के करीबी व्यापारिक साझेदार भी शामिल हैं. ट्रंप ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है जब वैश्विक व्यापारिक रिश्ते बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे हैं.
वैश्विक बाजारों में फिर हलचल
ट्रंप के इस फैसले का असर वित्तीय बाजारों पर तुरंत देखने को मिला. NASDAQ इंडेक्स में 9 प्रतिशत और S&P 500 में 8 प्रतिशत की तेज़ी दर्ज की गई है. यह बढ़त बाज़ार में निवेशकों के विश्वास को दर्शाती है, जो मान रहे हैं कि अमेरिका का यह रुख उसे वैश्विक व्यापार में मजबूती देगा. हालांकि, यह फैसला चीन-अमेरिका संबंधों को और तनावपूर्ण बना सकता है.
चीन पर आफत और सभी को राहत
ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने पुष्टि की कि मैक्सिको और कनाडा को भी इस 10 प्रतिशत वाले टैरिफ दायरे में शामिल किया गया है. उन्होंने कहा कि यह 90 दिन की मोहलत अमेरिका को वैश्विक साझेदारों के साथ बेहतर व्यापारिक समझौते की दिशा में काम करने का अवसर देगी. इस दौरान, अमेरिका उन देशों के साथ नए व्यापार नियमों और टैरिफ की समीक्षा करेगा, जो सहयोग की भावना दिखा रहे हैं.
अब क्या करेगा चीन?
अमेरिका ने जब इसके पहले टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की थी, उसके बाद समय चीन ने सख्त रुख दिखाया था. जहां एक ओर उसने अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ 34% से बढ़ाकर 84% कर दिया है, वहीं दूसरी ओर अपने नागरिकों को अमेरिका यात्रा को लेकर अलर्ट भी जारी कर दिया था. हालांकि, अब फिर ट्रंप ने टैरिफ बढ़ाकर चीन को तगड़ा झटका दिया है.
अब यह देखना अहम होगा कि चीन इस ताजा टैरिफ बम का क्या जवाब देता है. बीते कुछ महीनों में दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात शुल्क को लेकर तीखा संघर्ष देखने को मिला है. ट्रंप की रणनीति स्पष्ट है जो देश अमेरिका के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करेंगे, उन्हें व्यापारिक सहयोग मिलेगा, अन्यथा सख्त आर्थिक कदम उठाए जाएंगे. यह नीति अमेरिका की “अमेरिका फर्स्ट” सोच को दोहराती है, जो ट्रंप प्रशासन की आर्थिक दिशा का मूल आधार रही है.