रेहान अहमद
IPL 2025 : परफॉर्मेंस की भाषा, खेल कोई भी हो,खेलने वाले के लिए,जान लेवा होता है,देखने वाले बाहर बैठकर थियरी बना लेते है, वो ये कर रहा है, वो ऐसा भी कर सकता था,वो वैसा भी कर सकता था, पर जो मैदान से हारकर लौटता है न,वो सब कुछ झोंक के लौट रहा होता है।पर इसमें देखने वालों की गलती नहीं है, जिंदगी हो या,खेल इसी तरह क्रूर होता है।दुनिया को बस एक ही भाषा समझ आती है परफॉर्मेंस की भाषा। दुनिया का कोई भी खेल हो, कोई भी फील्ड हो, इससे सुन्दर कोई भाषा नहीं है दोस्त।ये सबको समझ आती है, या यू कहे कि सब मजबूर हो जाते है सुनने के लिए,समझने के लिए। परफॉर्मेंस की भाषा वो भाषा है,जो गूंगा भी बोल सकता है, और बहरे को भी सुननी पड़ती है।
केएल राहुल ने कल मैच जिताकर कहा,कि ये मेरा ग्राउंड है, उसी मैच में कुछ ओवर पहले भीड़ से किसी ने आवाज दी थी, कि ये केएल राहुल का ग्राउंड है। वो शायद राहुल का फैन रहा होगा। राहुल को कल अचानक से,किसी फैन के बोलने से रियलाइज नहीं हुआ कि ये उनका ग्राउंड है,बस बात ये है कि,यही बात अगर वो पहले बोलते तो न किसी को सुनाई देती न किसी को समझ आती। इस एक लाइन के डायलॉग के इंतजार में, राहुल ने न जाने कितने सालों से न जाने कितनी बाते सुनी है।उसके मन में सालो से छटपटाहट रही होगी, सिर्फ इस एक लाइन बोलने के लिए। तब जब rcb ने रिटेन नहीं किया था, या फिर तब जब पंजाब ने हाथ जोड़ लिए थे, या फिर तब जब गोयनका उसे बीच मैदान में जलील कर रहा था।पर राहुल खामोश रहा, ज्यादातर मामलों में, जबकि उसकी छटपटाहट को आप हर मैच में महसूस कर सकते थे।
चाहे IPL हो या फिर इंटरनेशनल, राहुल के मन में अब भी बहुत सी बाते है, बहुत से डायलॉग जो उसके मन ने,दुख की रातों में लिखे है,ऐसे डायलॉग जो वो हर रोज बोलना चाहता है, पर वो बस इंतजार में है, क्युकी उसे पता है कि खेल हो या जिंदगी, कुछ डायलॉग आपको कमाने पड़ते है। इसलिए मेरे दोस्त लाइफ में कभी तुम्हारे मन में,छटपटाहट मचे तो व्हाट्सएप और इंस्टा पर स्टेटस मत लगाना, कोई नहीं सुनेगा, कोई नहीं मानेगा,और सुनना भी नहीं चाहिए मानना भी नहीं चाहिए।दोस्त,जिंदगी वो सिनेमा है,जहां पहले डायलॉग नहीं आता,पहले एक्शन होता है।
जिंदगी में कुछ भी कर रहे हो, कितना ही परेशान क्यों न हो, खुद को डायलॉगबाजी से दूर रखना,बताने की छटपटाहट, से अपने आपको बचा लेना किसी तरह से। वरना अगर तुमने उस छटपटाहट को बोलकर निकाल दिया न,तो तुम खाली हो जाओगे ,खोखले हो जाओगे।दुनिया खोखले लोगों की चापलूसी तो करती है, पर इज्जत नहीं। पर अगर तुमने इस छटपटाहट को अपने अंदर कैद रखा,तो यही छटपटाहट तुमसे वो काम करवाएगी, जो तुम खुद सोच भी नहीं सकते हो। अपमान में पीड़ा मत ढूंढो, चुनौती ढूंढो,बोलो मत, बस कुछ ऐसा करो कि सब खामोश हो जाए,और ये होगा तुमसे,बस अपनी छटपटाहट को फालतू के स्टेटस और डायलॉगबाजी स्टेटस में खर्च न करो, मेहनत करो, जान लगा दो,लड़ते रहो, तब तक जब तक वो एक डायलॉग न कमा लो,जो तुम बोलना चाहते हो,क्योंकि दुनिया को बस एक ही भाषा समझ आती है और वो है…