डॉ प्रशान्त करण
(आईपीएस)
Honesty : रांची : गर्मी के दिन थे। एक दिन सूर्यास्त के गाँव के चौपाल के चुबतरे पर पण्डित जी आकर बैठे और बड़े पीपल के वृक्ष के पास पहले से बिछी पर आकर सुस्ताने के लिए लेट गए। थोड़ी देर में उन्हें नींद आ गयी। तभी तेज स्वर से उनकी नींद उचट गयी।पण्डित जी ने आँखें खोली तो देखा कि मुखिया जी,सरपंच साहब, पूर्व जमींदार साहब ,गाँव के इकलौते विद्यालय के एकलौते अपेक्षाकृत युवा शिक्षक आदि लोग पँहुच गए हैं।पण्डित जी उठकर बैठ गए। औपचारिक अभिवादनों के लेन देन के बाद लोगों का ध्यान पास की झाड़ी के उस पार गाँजे का सामूहिक सेवन करते लोगों की ओर उन सब का ध्यान गया। मुखिया जी ने डांट कर सबको भगा दिया। इस आकस्मिक व्यवधान के बाद बातचीत का क्रम प्रारम्भ हुआ। पूर्व जमींदार साहब बोले- अब समय बदल गया है।पहले वाली बात नहीं रही। आजकल सही अर्थ में आदमी कहने योग्य लोग कठिनाई से मिलते हैं। झूठ आज का धर्म हो गया है और सभी कड़ाई से उसका पालन करने लगे हैं।
इस पर बात चल निकली। सरपंच जी ने कहा- ईमानदारी कपूर की टिकिया हो गयी है। तभी मुखिया जी ने पण्डित जी से मुस्कुराते हुए बोले- पण्डित जी, आप तो हम सबों में सबसे ज्ञानी हैं।आप ही बताइए कि ईमानदारी की परिभाषा क्या है? पण्डित जी ने प्रश्न सुनकर लंबी साँस ली।कुछ देर आँखें बंद कर चिंतन में लगे।फिर बोल पड़े- महाशय, आपका प्रश्न बड़ा उत्तम और प्रासांगिक है।यह हमारे भारतीय समाज के आगे भी बड़ा प्रश्न है।पूरे राष्ट्र को भी इसपर चिंतन करना चाहिए। पहली बात तो ईमानदारी को समझिए। ईमानदारी का अर्थ सत्यनिष्ठा है।सत्य अथवा सच्चाई के प्रति आदर भाव रखकर उसे स्वीकार करना,अपने मन-वचन-कर्म में उसे स्थापित करना।अपने आचरण से उसे व्यक्त करना। ईमानदारी शब्द ईमान पुलिंग शब्द से बना है।ईमान का शाब्दिक अर्थ धर्म विश्वास, ईश्वर पर विश्वास,धर्म , सच्चाई, खरापन, लेन-देन में आदि सच्चाई, दयानत ,नियत होता है। ईमानदार इसी का विशेषण शब्द है और इसका अर्थ सच्चा , विश्वसनीय , रुपए-पैसे आदि के लेन-देन में सच्चा, दयानत होता है। ईमान शब्द से लगे हिंदी के कई प्रचलित मुहाबरे हैं। ईमान का सौदा का अर्थ खरा व्यवहार होता है।ईमान की कहना का मतलब सच कहना,सच्ची बात कहना, खरी-खरी कहना होता है। ईमान ठिकाने न रहना का मतलब होता है ,धर्म पर दृढ़ न रहना।वहीं ईमान डिगने का अर्थ नियत में खामी आना।ईमान देना का अर्थ है-सत्य को छोड़ देना।ईमान बिगड़ना का मतलब हुआ , ईमान में फर्क आना,नियत बिगड़ना,धर्म में सच्ची निष्ठा न रखना और ईमान लाने का साफ मतलब है कि किसी मत , सिद्धांत पर, धर्म पर सच्चाई के साथ विश्वास करना,उसे धर्म के रूप में स्वीकार करना। अब आप लोग ईमानदारी की परिभाषा से अवगत हो गए न !ईमानदारी ही सत्यनिष्ठा है।सत्य के प्रति निष्ठावान होना है।
सभी एक साथ बोल उठे- क्या बात है, पण्डित जी! आपने कितने अच्छे से व्याख्या कर दी।तभी सरपंच जी बोले- जानते हैं?मुसलमान का मतलब है कि जिसका ईमान मुसल्लम रहे, दृढ़ और मजबूत हो। परन्तु , बहुतेरे हिन्दू क्या,मुलमान क्या , ईसाई क्या, कोई भी ईमान,सच्चाई , सत्यनिष्ठा, ईमानदारी को धर्म की तरह धारण करना तो दूर, इससे ही दूरी बनाकर चलता है।इस पर पण्डित जी ने कहा- आप फिर नकारात्मक बात ले आए।अरे पूरे राष्ट्र को चिंतन करना चाहिए कि सत्यनिष्ठा फिर से किस प्रकार सुदृढ हो।असल चिंतन और चिंता इस विषय पर केंद्रित होनी चाहिए।
तभी अध्यापक जी कहने लगे- अरे, पण्डित जी! आप तो पुरानपंथी हैं।आज जमाना कहाँ से कहाँ चला गया!समय के साथ चलना चाहिए।उससे ही हम आगे बढ़ते हैं, प्रगति करते हैं। आज ईमानदारी का अर्थ यह है कि चोरी और इसी तरह के भ्रष्ठ आचरण करते हुए, झूठ बोलते हुए कोई रंगे हाथ पकड़ा जाए और न्यायलय उसे सिद्ध कर दे,तब जाकर उसे बेईमान कहते हैं। हमारे यहाँ का कानून भी यही कहता है। कितने दागी हमारे जनप्रतिनिधि हैं, पर सभी माननीय हैं कि नहीं।साबित करना होता है और साबित करना कितना कठिन है यह हम सब जानते हैं। मेरे विचार से सत्य वह है, जिससे व्यक्ति को स्वयं लाभ।हो। इससे दूसरों अथवा राष्ट्र की क्षति से हमें क्या लेना?अरे,हम हैं तभी तो समाज या फिर राष्ट्र है।आज बेईमानी पूरे विश्व में है। जिसके पास शक्ति है, वह ईमानदार कहा जाता है और ईमानदार,सच्चा अगर निर्धन भी हो तो वह बेईमान घोषित किया जाता है।समाज मे सच्चे लोग प्रताड़ित होते हैं। हालांकि उनकी संख्या बहुत है, परन्तु जो बेईमान समाज में किसी भी दायित्व में किसी भी प्रकार से ऊपर बैठ।गया है, वह सत्यनिष्ठा को महामारी समझकर उसे नष्ट करने में जी जान से लगा है।
सभी अध्यापक जी की बात सुनकर सन्न रह गए।पण्डित जी ने हिम्मत कर कहा- हमारी चिंता का यही तो विषय है।हमें वैचारिक क्रांति लानी होगी।वातावरण बोझिल होता देख सभी चौपाल से लौट गए।पण्डित जी फिर से दरी पर लेट गए।लेकिन उनकी नींद उड़ गई है।वे चिंतामग्न हैं।