Operation Sindoor : ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने मारे 100 से ज्यादा आतंकी, इन 3 बड़े दहशतगर्दों को भी मिट्टी में मिलाया

Bindash Bol

Operation Sindoor : भारत ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर के तहत सटीक एयर स्ट्राइक की. इस सैन्य कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए, जिनमें कई शीर्ष आतंकी कमांडर भी शामिल हैं. यह जानकारी रविवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय सेना के DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने दी.

DGMO ने बताया कि मारे गए आतंकियों में यूसुफ अजहर, अब्दुल मलिक रऊफ और मुदासिर अहमद जैसे कुख्यात आतंकवादी शामिल हैं, जो IC-814 विमान अपहरण और पुलवामा आतंकी हमले जैसे मामलों में शामिल थे. उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना की कार्रवाई सर्जिकल, सटीक और पूरी तरह योजनाबद्ध थी.

लेफ्टिनेंट जनरल घई ने कहा कि आप सभी उस क्रूरता से परिचित हैं जिसमें 22 अप्रैल को 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी गई थी. देश के सैनिकों और नागरिकों पर हाल के हमलों ने यह स्पष्ट कर दिया था कि भारत को अब आतंकवाद के खिलाफ एक और कड़ा संदेश देना है.

उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंक के मास्टरमाइंड्स और उनके बुनियादी ढांचे को नष्ट करना था. भारत का यह संदेश साफ है कि आतंकवाद के खिलाफ अब केवल बयान नहीं, सैन्य कार्रवाई ही जवाब होगा.

PoK में आतंकी ढांचे को भारी क्षति
DGMO के अनुसार, हमलों के दौरान पाकिस्तान की ओर से नियंत्रण रेखा पर उल्लंघन की भी कोशिश की गई. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की प्रतिक्रिया घबराहट और असमंजस से भरी हुई थी. उसने गांवों, धार्मिक स्थलों और गुरुद्वारों को निशाना बनाकर यह साबित किया कि उसकी प्रतिक्रिया बिना दिशा के थी, जिसमें कई निर्दोष नागरिकों की जान गई.

इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने आतंकी ठिकानों पर हमले की मुख्य भूमिका निभाई, जबकि भारतीय नौसेना ने मिशन के लिए सटीक हथियार प्रणाली उपलब्ध करवाई. DGMO ने बताया कि वायुसेना के लड़ाकू विमान आसमान में तैनात रहे और अभियान के दौरान वास्तविक समय की निगरानी और लक्ष्य निर्धारण किया गया.

हमले के डर से कुछ आतंकी ठिकाने हो गए थे खाली

डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई कहा कि सीमा पार के आतंकी परिदृश्य पर बहुत ही मेहनत और सूक्ष्मता से पहचान शुरू हुई और आतंकी शिविरों और प्रशिक्षण स्थलों की पहचान की गई. कई जगहें सामने आईं, लेकिन जैसे-जैसे हमने और विचार-विमर्श किया, हमें एहसास हुआ कि इनमें से कुछ आतंकी केंद्र अब मौजूद नहीं थे और हमसे प्रतिशोध के डर से पहले ही खाली कर दिए गए थे.

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