Nuclear Radiation: भारतीय सेना ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने के साथ वहां के सैन्य ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचाया। अपने परमाणु ठिकानों की सुरक्षा की चिंता के कारण पाकिस्तान को भारत के सामने घुटने टेकने पड़े लेकिन इसके बाद दुनिया के सामने बड़ा सवाल खड़ा हुआ है कि क्या पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों की सुरक्षा करने में सक्षम है? पाकिस्तान में आतंकियों को पनाह देने के इतिहास के चलते अमरीका समेत कई देशों की एक चिंता पाक के परमाणु हथियार किसी गलत हाथों में नहीं चले जाए वहीं दूसरी उसके परमाणु ठिकानों की सुरक्षा की क्षमता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
दरअसल, भारतीय सेना ने पीओके के साथ पाकिस्तान के अंदर सैकड़ों किलोमीटर अंदर घुसकर हमला किया और एयर बेसों को जमकर नुकसान पहुंचाया। खासतौर पर पाकिस्तान के नूर खान, रफीकी, मुरीद सुक्कर,सियालकोट एयरबेस को हुए खासे नुकसान से पाकिस्तान के रक्षा तंत्र की पोल खुलकर दुनिया के सामने आ गई। नूर खान जैसे कुछ एयरबेस सैन्य परिवहन और एयर रिफ्यूलिंग के लिए महत्वपूर्ण है। वहीं यहीं से पाकिस्तान की परमाणु हथियारों की सुरक्षा और संचालन का तंत्र भी बताया जाता रहा है। सुक्कुर एयरबेस परमाणु गोदामों के दायरे में आता है।
अमरीका को एयरबेस देने से मना करता रहा पाक
भारत और पाक के बीच सीजफायर में अमरीका की दिलचस्पी को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हुए हैं। अमरीका की भारत से ज्यादा पाक के सैन्य अड्डों, एयरबेस व परमाणु हथियारों में दिलचस्पी रही है। अमरीका पहले कई बार पाक के सैन्य अड्डों व एयरबेस को इस्तेमाल करने की कोशिश करता रहा है। अफगानिस्तान, चीन जैसे देशों के दबाव के चलते पाक इससे बचता रहा है, जिसकी गूंज पाकिस्तान की संसद में कई बार सुनाई दे चुकी है। लेकिन इस बार हालात अलग दिख रहे हैं। भारत के हाथों पाक को अच्छी मार पड़ी है, जिसके बाद पाक को अमरीका के सामने गिड़गिडऩा पड़ा। वहीं अमरीका को पाक के कुछ सैन्य अड्डों व एयरबेस को अपने कब्जे में करने का सही मौका मिलता दिख रहा है।
सोशल मीडिया पर अटकलें जोरदार
सोशल मीडिया पर पिछले दो दिन से पाकिस्तान की परमाणु सुरक्षा व्यवस्था और ढांचे पर खतरा (यहां तक कि नुकसान होने तक की )होने की अटकलें भी जोरदार तरीके से चलती रही। सोशल मीडिया पर यहां तक कहा गया कि नेशनल न्यूक्लियर सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन का परमाणु आपातकालीन सहायता विमान पाकिस्तान में देखा गया है। पाकिस्तान के किराना हिल्स स्थित न्यूक्लियर स्टोरेज फैसिलिटी में भारतीय वायुसेना की कार्रवाई के बाद कोई बड़ी गड़बड़ी या हादसा हुआ है। घटनास्थल पर अमरीकी विमान की मौजूदगी से संकेत मिलता है कि हालात गंभीर हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निगरानी शुरू हो चुकी है!
भारतीय सेना ने खारिज की, परमाणु हथियारों वाली जगहों पर हमले की अटकलें
भारत के एयर मार्शल ए.के. भारती ने ऑपरेशन सिंदूर पर पत्रकार वार्ता के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि ‘हमें यह बताने के लिए धन्यवाद कि पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियार किराना हिल्स पर जमा किए हैं, चाहे वहां कुछ भी हो। हमने किराना हिल्स पर हमला नहीं किया। यह उन लक्ष्यों की सूची में नहीं था, जिनके बारे में हमने आपको बताया था।’
पाकिस्तान क्यों पहुंचा इस मुस्लिम देश का कार्गो विमान
भारत से तनाव के बीच मिस्र की वायुसेना के परिवहन विमान के पाकिस्तान दौरे ने सोशल मीडिया में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह परिवहन विमान पाकिस्तान के पहाड़ी जिले मुरी में एक छोटे से हवाई अड्डे से उड़ान भरता देखा गया था। ऐसे में तनाव के समय इस विमान की उड़ान के उद्देश्य के बारे में अटकलों की लहर पैदा कर दी है। फ्लाइटराडार24 के आंकड़ों से पता चलता है कि मिस्र की वायुसेना का परिवहन विमान, जिसका कॉल साइन EGY1916 था, 11 मई की दोपहर भुरबन हवाई अड्डे (BHC) से रवाना हुआ। इसके एक दिन पहले ही भारत और पाकिस्तान ने सभी सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई थी।
विमान चीन से पाकिस्तान पहुंचा, लेकिन उसका अगला गंतव्य स्पष्ट नहीं था। विमान के पहुंचने की खबर ऐसे समय में आई है जब भारत ने हवाई अड्डे की कुछ पट्टियों पर हमला किया है, माना जाता है कि वे पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार के करीब हैं। न तो भारतीय और न ही पाकिस्तानी अधिकारियों ने ऐसा दावा किया है, लेकिन सोशल मीडिया पर उपग्रह चित्रों की बाढ़ से अफवाहों को हवा मिल रही है।
क्या बोरॉन लेकर पहुंचा था जहाज
ऐसी अटकलें हैं कि मिस्र का यह जहाज बोरॉन नाम का तत्व लेकर पाकिस्तान पहुंचा हो। बोरॉन उत्तरी नील नदी डेल्टा क्षेत्र में पाया जाने वाला एक खनिज है। कई तरह के उद्योगों में इसका व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें रेडिओएक्टिव विकिरण को अवशोषित करने की क्षमता होती है। अपने इन गुणों के कारण इसका उपयोग परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भी किया जाता है।
बोरेट्स, विशेष रूप से आइसोटोप बोरॉन-10, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के सुरक्षित संचालन के लिए महत्वपूर्ण हैं। यूरेनियम विखंडन से थर्मल न्यूट्रॉन को अवशोषित करने की अपनी क्षमता के कारण, बोरॉन-10 का व्यापक रूप से दबावयुक्त और उबलते पानी के रिएक्टरों को नियंत्रित करने और स्थिर करने में उपयोग किया जाता है। आपातकालीन परमाणु प्रतिक्रिया प्रयासों में बोरॉन एक महत्वपूर्ण घटक रहा है। यूक्रेन में 1986 के चेरनोबिल आपदा के दौरान, रेडियोधर्मी उत्सर्जन को दबाने और परमाणु प्रतिक्रियाओं को रोकने के लिए उजागर रिएक्टर पर रेत, बोरॉन, मिट्टी और सीसा का मिश्रण गिराया गया था।
क्या पाकिस्तान का परमाणु बुनियादी ढांचा खतरे में है?
पाकिस्तानी एयरबेस पर भारत के मिसाइल हमलों के बाद, जिसमें इस्लामाबाद के पास रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नूर खान एयरबेस भी शामिल है, सवाल उठ रहे हैं कि क्या हमलों ने संवेदनशील परमाणु सुविधाओं को प्रभावित किया है। पाकिस्तान की सेना ने पुष्टि की है कि उसके तीन वायु सेना ठिकानों पर भारतीय मिसाइलों ने हमला किया, जिसमें रावलपिंडी में नूर खान एयरबेस भी शामिल है, जो पाकिस्तान का सैन्य मुख्यालय है। नूर खान बेस पाकिस्तान के परमाणु कमांड बुनियादी ढांचे के लिए भी महत्वपूर्ण है।
पाकिस्तान को सता रहा किस बात का डर
न्यूयॉर्क टाइम्स की 11 मई की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम से लंबे समय से परिचित एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान का सबसे बड़ा डर अपने परमाणु कमांड प्राधिकरण के सिर काटे जाने का है। पूर्व अधिकारी ने कहा कि नूर खान पर मिसाइल हमले को एक चेतावनी के रूप में समझा जा सकता है कि भारत ऐसा कर सकता है, रिपोर्ट में अमेरिका द्वारा “युद्ध विराम” के लिए मध्यस्थता करने के कारणों की जांच की गई है।