Vijay Shah Resignation: कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन बताना जनजातीय कार्य विभाग के मंत्री विजय शाह को भारी पड़ गया। हाईकोर्ट की युगलपीठ के स्वत: संज्ञान लेने और दोपहर 2 बजे मंत्री पर आपराधिक एफआइआर दर्ज करने के आदेश के 9 घंटे बाद इंदौर पुलिस ने मंत्री पर देर रात मानपुर थाने में अपराध दर्ज कर लिया।
प्रदेश में पहली बार किसी मंत्री पर गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज
प्रदेश के इतिहास में पहली बार किसी मंत्री पर देश की अखंडता, एकता को खतरे में डालने जैसी गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज हुआ। जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की डिवीजन बेंच ने शाम तक केस दर्ज करने के आदेश दिए थे। डीजीपी कैलाश मकवाना को दिए निर्देश में कहा कि आज शाम (14 मई) को ही एफआइआर दर्ज की जाए। कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा- आदेश का पालन न करने पर अवमानना की कार्रवाई होगी।
इधर, देर रात तक मंत्री इस्तीफे को लेकर हां, ना करते रहे। जिन धाराओं में अपराध दर्ज हुआ, वह गंभीर है। उमा भारती के खिलाफ भी हुबली कांड के चलते गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज हुआ था। सीएम बनने के बाद फैसला आया, उन्होंने 2004 में सीएम पद से इस्तीफा दिया। मंत्री शाह संभवत: गुरुवार को इस्तीफे की पेशकश कर सकते हैं।
पहले मंत्री के इस्तीफा न देने को लेकर अड़ने की खबर, बाद में राजी
11 मई से शुरू हुए घटनाक्रम में मंत्री शाह की ओर से इस्तीफे की पेशकश नहीं कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक वह बुधवार देर शाम तक इस्तीफा नहीं देने को लेकर अड़े रहे। उनका तर्क था कि उन्होंने जानबूझकर कर्नल सोफिया के खिलाफ नहीं बोला, बल्कि भूल हुई है। इसके लिए वे माफी भी मांग चुके हैं। यही बात वे हाईकोर्ट के सामने भी कहने के लिए तैयार है। राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने भी अपना पक्ष रखने को तैयार हैं।
सत्ता-संगठन का एक धड़ा मंत्री के इन तर्कों से सहमत नहीं बताया जा रहा है, उन्हें इस्तीफा देने के लिए कह रहा है। वहीं, एक धड़ा बयान को बेहद आपत्तिजनक मानता है, लेकिन देशद्रोह जैसी धाराओं से कानूनी रियायत चाहता है।
सत्ता, संगठन व कानूनी जानकारों के बीच मंथन, सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं शाह
मंत्री विजय शाह के मामले में सत्ता, संगठन और कानून मामलों के जानकारों के बीच मुख्यमंत्री निवास पर बुधवार रात करीब पौन घंटे मंथन हुआ। जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा समेत अन्य थे। इनके सामने कानूनी मामलों के जानकारों ने हाईकोर्ट के आदेश का अध्ययन किया। एडवोकेट जनरल से चर्चा की। सूत्रों के मुताबिक शाह इस्तीफा देने के बावजूद गंभीर धाराओं से बचने और आदेश के खिलाफ स्थगन के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।