yoga : महत्व योग का

Bindash Bol

डॉ प्रशान्त करण
(आईपीएस) रांची :

yoga : योग पर आयोजित कार्यक्रम में समारोह के अंतिम चरण में मुख्य अतिथि के रूप में रवि बाबू ने अपना भाषण प्रारम्भ किया –
उपस्थित सभा आज योग के महत्व से जन – जन को अवगत कराने के लिए आयोजित है . इन सबों का आशय यह है कि योग शरीर , मन और आत्मा को एक सीध में जोड़कर सीधा रखता है . संतुलन में रखता है . संतुलन बिगड़ने ही नहीं देता . योग करने वाले व्यक्ति निरोग होने की दिशा में तीव्र गति से बढ़ चलता है . उसे अपनी क्षमता का आभास होने लगता है . वह स्वयं तनाव से मुक्त होने लगता है , भले ही इससे दूसरों का तनाव क्यों न बढ़ जाए .उसमें आत्मविश्वास इतना लबालब भर कर बाहर बहने लगता है . फिर उसका पूरा व्यक्तित्व उर्ध्वगामी हो जाता है . इस में वह आध्यात्मिक शक्तियों से भी जुड़ सकता है . मन , शरीर और आत्मा के विकार को उखाड़ फेंकता है . उसकी लगन लग जाती है . यह एक कला , विज्ञान के साथ वाणिज्य का भी विषय बन चुका है . विभिन्न समस्याओं से ऊर्जावान बनते हुए सफलतापूर्वक निबट लेने का निःशुल्क साधन है . योग साधक योग से जुड़कर अपनी जीवन शैली तो सुधार कर पटरी पर लाता है .
मेरे पूर्व के अनेक वक्ताओं ने योग के महत्व पर इतना प्रकाश डाल दिया है कि आँखें चौंधियाने लगी हैं . आप सभी भी उत्साह , उमंग से इतने उत्प्रेरित लगते हैं कि क्या कहना . मैं देख रहा हूँ कि इस सभागार में पीछे बैठे कई प्रतिभावान लोग इसे अभी से अपने – अपने प्रकार से प्रारम्भ कर चुके हैं . कोई टेंट के टुकड़े निकालकर शीर्षाशन करने में भिड़ा है तो कई आयोजक से यह करवा रहे हैं . भिन्न – भिन्न प्रकार के आसन दिखने लगे हैं . जहाँ तक मैं स्पष्ट देख रहा हूँ कि आयोजन समिति के सदस्यगण को श्रोता शवासन करा रहे हैं तो वहीं कुछ उनके ऊपर खड़े हो सूर्य नमस्कार करने पर तुले हैं . पूरा वातावरण यहाँ योगमय हो चला है . इसके पूर्व योग क्रिया का शुभारम्भ मंच पर न हो , मैं अपना वक्तव्य यहीं रोकता हूँ . आप श्रोताओं ने योग के जो उदाहरण प्रस्तुत किया है , इसके लिए हृदय से आपका आभार . आपने योग की महत्ता सिद्ध करने में कोई कमी नहीं की है .जय हिन्द !
इतना कहकर रवि बाबू दौड़ते हुए आयोजन स्थल के पिछले दरवाजे से नौ दो ग्यारह हो गए .

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