Chunav : चुनाव आकाशी

Bindash Bol

डॉ प्रशान्त करण
(आईपीएस)

Chunav : घनघोर जंगल और नीरव स्थान पर एक छोटे जलप्रपात के किनारे ऊँची शिला पर बैठे एक महात्मा, जिनके तेज से दिग्दिगंत प्रकाशित हो रहा था, उनके मूछें -दाढ़ी – केश से पूरा शरीर आच्छादित था , ने मुझे देखते ही पास बुलाया . उन्होंने अपनी गंभीर वाणी से अपनी आयु पंद्रह हजार वर्ष से अधिक बताई . उन्होंने एक रहस्य भी बताया . जनहितार्थ उसे साझा करता हूँ .
माता पृथ्वी पर जब पाषाण युग से लोग ऊब गए तब भगवान विष्णु ने नर – नारियों की व्यवस्था में अनुशासन लाने के लिए नियम बनाने प्रारम्भ कर दिए . वह भी इसलिए कि मनुष्य अन्य थलचर , जलचर और नभचर से भिन्न हों और मनुष्य को छोड़ सभी स्वछंद हो अपने – अपने नियमों से भी चलें . उस समय आर्यावर्त में ही इसका प्रयोग कर मनुष्यों को सभ्य बनाने का निर्णय लिया गया .इसके अनुसार कालांतर में राज चलाने की व्यवस्था आर्यावर्त में सबसे पहले विकसित हुई . लोगों को आपस में मिलजुल कर राज व्यवस्था चलाने की शिक्षा दी गयी . काल बीतते – बीतते उनमें भगवान विष्णु ने मनुष्यों के रक्त में महत्वाकांक्षा के रस की मिलावट कर दी . तब जाकर राजतंत्र स्थापित हुआ , लेकिन महत्वाकांक्षियों को नियंत्रित करने के लिए महामात्य की व्यवस्था कर दी गयी .
इसे देखकर पशुओं ने भी सीखा और शेर को अपना राजा स्वीकार कर लिए . अब पक्षियों की बारी आयी . कोयलिया ने अपने मीठे स्वर में सलाह दी कि भगवान विष्णु के ही वाहन गरुड़ को हमें राजा घोषित कर देना चाहिए . पपीहे और बुलबुल ने समर्थन कर दिया . तभी राजहंस ने दावा ठोंक दिया और कहा – मैं राजा बनने के लिए ही उत्पन्न किया गया हूँ . मेरे नाम में ही राजा लगा है . मानसरोवर झील में देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए मेरे ही पूर्वज अनंत फेरे लेते रहते हैं . तभी गिद्ध बोल उठा – मैं ही गरुड़ का वंशज हूँ . जब से गरुड़ भगवान विष्णु की सेवा में लगे हैं , उसकी संख्या कम है . मतदान से तो मैं ही जीत सकता हूँ . वैसे तुम सब जानते हो , मैं सबसे ऊँचा उड़ता हूँ . किसी पक्षी को नहीं मारता . मैं ही सब पंछियों की रक्षा कर सकता हूँ . मेरी दूर दृष्टि है , मेरा इरादा पक्का है . मेरा शरीर तुम सब से बड़ा भी है . मैं किसी पक्षी को हानि पँहुचाने वालों को जानवरों को मार सकता हूँ . फिर मोर ने कहा – मैं भी सेवा करना चाहता हूँ . कौओं, चीलों और मोर ने गिद्ध का समर्थन कर दिया . सरकार गिद्ध की बन गयी . अब कोई पक्षी जो ऊँचे स्वर में बोलता , उसका शिकार कर लिया जाता . छः – सात हजार वर्षों तक गिद्ध शासन करते रहे . पक्षिगणों की स्थिति दयनीय हो गयी . उन सब की दृष्टि हंस पर पड़ी . उसकी दूध और पानी को पृथक करने और मोती ढूंढने की विलक्षण शक्तियों से सारे पंछी बहुत प्रभावित हुए . उसके श्वेत शरीर पर कोई दाग नहीं था . उसमें सभी गुण थे . उसे पंछियों ने सरकार चलाने का अनुरोध किया . अब हंस का शासन चलने लगा . तब से कौवे – काँव – काँव करते हैं . लेकिन स्वभाव से शांत और सहनशील हँस चुपचाप पंछियों की भलाई में लगे हैं .
इतनी कथा कहकर वे दिव्य पुरुष अंतर्ध्यान हो गयी . मेरी नींद खुली और मैंने आकर सीधे आपको कथा सुनाई , इसे आप जनहितार्थ सार्वजनिक कर दें , रवि बाबू ने कहा . सो पाठकों , रवि बाबू ने जैसा कहा , वैसा का वैसा ही आपको बताया . मेरा दायित्व समाप्त . अब आप जानें , आपका काम जाने !

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