रेहान
ENG vs IND 2nd Test : साल 2024 का जनवरी था, भारत और अफ्रीका के बीच केपटाउन में एक टेस्ट खेला गया, सिराज और बुमराह एक साथ बोलिंग कर रहे थे, पहली इनिंग में सिराज ने 6 विकेट लिए तो दूसरी इनिंग में बुमराह ने 6 विकेट, सिराज को मैं ऑफ द मैच लेने के लिए बुलाया गया, बुमराह सिराज के ट्रांसलेटर बन कर गए, सिराज ने अपनी परफॉर्मेंस का क्रेडिट बुमराह को दिया तो बुमराह ने उसे ट्रांसलेट करने के बजाय कहा कि सिराज की परफॉर्मेंस का क्रेडिट मै नहीं के सकता हू। जिन लोगों ने वो मैच का प्रेजेंटेशन देखा होगा, उन्होंने महसूस किया होगा कि सिराज की आंखों में बुमराह के लिए बड़े भाई वाली इज्जत थी, और बुमराह की बातों में सिराज के लिए छोटे भाई वाला प्यार।आज इस बात के डेढ़ साल बाद उसी सिराज का इस्तेमाल कुछ लोग बुमराह को जलील करने के लिए कर रहे है, ऐसी बाते लिखी जा रही है सिराज की तारीफ में, कि सिराज पढ़ें तो खुद उन्हें पीट दे बड़े भाई के साथ बदतमीजी के लिए।
पर क्या करे, यही दुनिया है, यही दुनिया का दस्तूर है, बस अच्छी बात ये है कि दोनों भाई के मन ने एक दूसरे के लिए प्यार और इज्जत है।बुमराह और सिराज की कहानी टिपिकल मिडिल क्लास माइंडसेट का एग्जांपल है। बुमराह घर का वो बड़ा लड़का है जो सालो से हर बड़े मौके पर घर की इज्जत पानी मेंटेन करके चलता आया है। सिराज की हालत उस छोटे भाई जैसी है जो इस चक्कर में फिजूलखर्ची पर उतारू है कि बड़ा भाई है ही, वो तो सम्भाल ही लेगा। पर आज जब बुमराह बेचारा वर्कलोड की बात करके थोड़ा आराम करना चाहता है तो,कुछ दिन घर की जिम्मेदारी से बताकर अपने लिए निकालना चाहता है तो छोटे सिराज पर जिम्मेदारी पड़ गई है, वो निभा भी अच्छे से रहा है, पर घर और समाज के लोग छोटे की तारीफ के चक्कर में बड़े को जलील करने पर उतारू हो गए है।
भारतीय मिडिल क्लास में बड़े भाइयों के जिम्मे छुट्टी नहीं होती है, वो तभी तक बड़े भाई है जब तक खट रहे है, कमा कर दे रहे है, जब तक उनके बिना घर का काम नहीं चल सकता है। और जिस दिन उसकी जगह कोई और जिम्मेदारी उठाने वाला मिल गया, वही समाज वही घर उसी बड़े भाई को पैर की जूती से कुचलने को बेताब हो जाता है। सब भूल जाते है कि वो घर को अपने दम पर किस हाल से किस हाल तक लेकर आया था,सब भूल जाते है कि जब उसने जिम्मेदारी उठाई थी तब तो उसके सर पर हाथ रखने वाला कोई नहीं था।
यही दुनिया है दोस्त, कुछ लोग सिराज की तारीफ में बुमराह को कोसे जा रहे है, वही बुमराह जिसने वो डिपार्टमेंट संभाला है जिस डिपार्टमेंट की कमजोरी की वजह से दर्जनों ट्रॉफियां हाथ से फिसल गई है। जैसे बड़ा भाई घर की जिम्मेदारी से हटकर थकान का कहकर कही घूमने निकल जाए तो पूरा घर उसे ताने मारने लगता है कि घूमने में थकान नहीं होती भाई साहब की। अरे भाई, बुमराह है वो, जिस सिराज के कंधे पर बंदूक रखकर आज तुम बुमराह पर वार कर रहे हो,उससे पूछो कि बुमराह क्या चीज है।
और यही चीज किसी भी मिडिल क्लास फैमिली को टूटने से बचाए रखती है, क्योंकि मौका देखकर बहुत से लोग छोटे को समझाने आते है कि तू ही तो अब बड़ा है घर का, तू ही तो सब देख रहा है, पर छोटे को पता है कि आज उसे इस लायक उसी बड़े भाई ने बनाया है, आज वो अगर कही खड़ा है तो उसकी जमीन उसी बड़े भाई ने बना कर दी है, आज जिस रस्ते पर वो चलकर आगे बढ़ रहा है, बड़े भाई ने उस रस्ते के कंकर पत्थर साफ किए है। समाज चाहे जो भी कहे, पर छोटे को हमेशा याद रखना चाहिए कि अगर उसका बड़ा भाई उसके पीछे खड़ा न होता तो आज ये तारीफ करने वाली दुनिया,कब का उसे कच्चा चबा गई होती।