Raj and Uddhav Thackeray : 19 सालों के बाद ठाकरे बंधु अब साथ-साथ हैं..

Siddarth Saurabh
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Raj and Uddhav Thackeray : महाराष्ट्र की राजनीति में बीते कई हफ्तों से ठाकरे बंधुओं के साथ आने की बातचीत तेज हो रही थी। ऐसे में आज शानिवार को मराठी विजय दिवस रैली में दोनों भाईयों ने करीब 19 साल बाद एक साथ मंच साझा कर सारे सवालों का जवाब दे दिया। दोनों नेताओं ने मुंबई के वर्ली में एक बड़ी विजय रैली को संबोधित किया। बता दें कि यह रैली महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार की तरफ से स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने वाले फैसले को वापस लेने की खुशी में रखी गई थी।

हम मिलकर जीतेंगे महाराष्ट्र की सत्ता- उद्धव

रैली को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम साथ आए हैं और अब साथ रहेंगे। हम मिलकर मुंबई की नगर निगम और महाराष्ट्र की सत्ता में वापसी करेंगे। इस बयान पर वहां मौजूद लोगों ने जोरदार तालियां और नारेबाजी की। उन्होंने आगे कहा कि सरकार जब-जब महाराष्ट्र पर हमला करती है, मराठी लोग एकजुट होते हैं, लेकिन बाद में फिर आपस में लड़ते हैं। यह बंद होना चाहिए।

तीन भाषा नीति का मकसद मुंबई को अलग करना’

इस दौरान राज ठाकरे ने भी राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि तीन-भाषा नीति का असली मकसद मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की साजिश थी। सिर्फ हमारे विरोध मार्च की खबर से ही सरकार को आदेश वापस लेने पड़े। राज ठाकरे ने यह भी कहा कि अगला कदम लोगों को जाति के नाम पर बांटने का होगा। इसके साथ ही उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि यह बांटो और राज करो की नीति अपना रही है।

अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाई के तंज पर राज का जवाब

इसके साथ ही रैली में कई बार विपक्षी पार्टियां राज और उद्धव ठाकरे के बेटों अमित और आदित्य की अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाई को लेकर तंज कसती हैं। इस पर राज ठाकरे ने जवाब दिया बाला साहेब ठाकरे खुद अंग्रेजी स्कूल में पढ़े थे, लेकिन उन्होंने कभी मराठी की अहमियत नहीं कम होने दी। एल.के. अडवाणी भी कॉन्वेंट स्कूल में पढ़े, क्या उनका हिंदुत्व गलत है?

उद्धव ने भाजपा और शिंदे को लिया आड़े हाथ

इसके साथ ही संयुक्त रैली को संबोधित करते हुए शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर जमकर हमला किया। उन्होंने कहा कि बांटेंगे तो कांटेंगे का नारा असल में मराठियों को बांटने के लिए था, न कि हिंदू-मुस्लिम के लिए। इसके साथ ही महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे पर भी जमकर निशाना साथा। उन्होंने उनके गुजरात में जय गुजरात बोलने की बाच पर तंज कसते हुए कहा कि वह जय गुजरात बोलकर खुद को साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।

दोनों भाईयों के साथ आने पर उमड़ा जनसैलाब

20 साल बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के साथ आने से उनके समर्थकों में एक जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। संयुक्त रैली में बड़ा जनसैलाब देखने को मिला। रैली के मंच पर सिर्फ राज और उद्धव ठाकरे ही बैठे थे, और उन्होंने ही भाषण दिया। मंच के सामने हजारों शिवसेना (यूबीटी) और मनसे कार्यकर्ता जमा थे, जिन्होंने झंडे लहराए और नारे लगाए। उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे और राज के बेटे अमित ठाकरे ने भी पहली बार सार्वजनिक मंच पर साथ में हाथ मिलाया और एक-दूसरे के कंधे पर हाथ रखा। ऐसे में ठाकरे बंधुओं का साथ आना यह आने वाली पीढ़ी की एकजुटता का संदेश भी माना जा रहा है।

चुनावों की तैयारी का संकेत

गौरतलब है कि मुंबई निकाय चुनाव से पहले ठाकरे बंधुओं का साथा आना चुनावी तैयारियों का संकेत भी माना जा रहा है। कारण है कि यह रैली केवल एक भाषा के मुद्दे तक सीमित नहीं रही। दोनों ठाकरे भाइयों ने इशारा दिया कि आने वाले मुंबई नगर निगम चुनाव और राज्य चुनावों में दोनों पार्टियां साथ आ सकती हैं। कारण है कि बीते कुछ वर्षों में महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का समीकरण थोड़ा बिगड़ता दिख रहा है।

उदाहरण के तौर पर अब बीते महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को ही लिजिए तो, बीते चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) जहां 2024 में 20 सीटें जीत पाई थी, वहीं मनसे को कोई सीट नहीं मिली थी। ऐसे में अब दोनों पार्टियां साथ आकर एक बार फिर मराठी मानुष के नाम पर अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की कोशिश कर रही हैं।

समर्थकों में दिखा जबरदस्त उत्साह

ठाकरे बंधुओं के साथ आने के लिए आयोजित रैली में समर्थकों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। मुंबई के वर्ली के एनएससीआई डोम में हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। कई लोग गेट फांदकर अंदर घुसे। पूरे मुंबई में एलईडी स्क्रीन और होर्डिंग्स लगाए गए थे, जिनमें लिखा था मराठी मानुष के लिए ठाकरे भाई साथ रहें। कई समर्थक उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का फेस मास्क भी पहनने नजर आएं। ऐसे में अब देखना ये होगा कि यह भाईचारा सिर्फ मंच तक सीमित रहता है या वाकई में महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ लाता है।

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