Book Review : इसरो की ऐतिहासिक उपलब्धि को समर्पित काव्य संकलन ‘चंद्र विजय अभियान’

Bindash Bol

हिमकर श्याम

Book Review : चांद और साहित्य का गहरा संबंध रहा है। चांद को अक्सर प्रेम, रहस्य, और कल्पना के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। चांद का सौंदर्य हमेशा से ही कवियों, लेखकों और शायरों को लुभाता रहा है। कभी चांद मामा बन जाता है तो कभी चांद को महबूब की उपमा दे दी जाती है। चांद मनुष्य का आदिम सहयात्री है। हर किसी को चांद ने लुभाया है। अपनी तरफ आकर्षित किया है।

साहित्य ही नहीं भारतीय संस्कृति, धर्म, ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। वैदिक, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद्, वेदांग, पुराण, रामायण, महाभारत, जैन एवं बौद्ध साहित्य की सामग्रियों से चन्द्रमा के देवत्व को स्थापित करने का सफल प्रयास किया गया है। धार्मिक जीवन में एवं विश्व की प्रायः सभी धार्मिक परम्पराओं में व्रत, पूजा, अनुष्ठान आदि में चंद्रमा की पूजा की पूजा प्रचलित रही है। विज्ञान कहता है कि चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। अरबों साल पहले एक बड़ा ग्रह पृथ्वी से टकराया था। इस टक्कर के फलस्वरूप चांद का जन्म हुआ। अपोलो -11 के अंतरिक्ष यात्री नील आर्म स्ट्रांग ने चांद पर पहला कदम रखा था।

चंद्रमा पर भारतीय मेधा की दस्तक विषमयकारी है। चांद पर पानी भारत की खोज है। भारत के लिए 23 अगस्त की तारीख महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक है। इसी दिन इसरो के चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रच दिया था। चंद्रयान मिशन की सफलता हर भारतीय का मस्तक गर्व से ऊँचा करने वाली है। बहुभाषीय काव्य-संकलन ‘चन्द्र विजय अभियान’ इसरो की ऐतिहासिक उपलब्धि को समर्पित है।

विश्व कीर्तिमान रचनेवाले इस अनूठे संकलन का प्रकाशन हाल ही में ‘विश्ववाणी हिन्दी संस्थान द्वारा किया गया है। आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ इस पुस्तक के संकल्पक-सम्पादक हैं। पुस्तक पर की गई उनकी मेहनत का आभास इसे हाथ में लेते ही हो जाता है। 300 पृष्ठों के इस संकलन में 5 देशों, 51 भाषा-बोलियों में 213 रचनाकारों की काव्य रचनाएं संकलित हैं। इसमें महत्वपूर्ण संकलन में झारखण्ड के 10 रचनाकारों की रचनाएं संकलित की गई हैं, जिनके नाम हैं- निर्मला कर्ण, नीता शेखर ‘विषिका, पुष्पा पांडे, मनीषा सहाय, सिम्मी नाथ और हिमकर श्याम (राँची), डॉ संगीता नाथ और प्रियदर्शनी पुष्पा (धनबाद), ई. ब्रजेन्द्र नाथ मिश्र और वीणा कुमारी नंदिनी (जमशेदपुर)।

पुरोवाक् में आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ने लिखा है कि ‘चन्द्र विजय अभियान’, भारत ही नहीं मानवता का महाअभियान है। आमुख डॉ साधना वर्मा का है और भूमिका लिखी है गीतिका श्रीव ने। संकलन में सबसे वरिष्ठ कवि 94 वर्षीय तथा सबसे कनिष्ठ कवि 12 वर्षीय हैं। संकलन में गीत, नवगीत, बाल गीत, कजरी गीत, पद, मुक्तक, गीतिका, मुक्तिका, पूर्णिका, गजल, हाइकु, माहिया, दोहे, सोरठे, कुण्डलिया, कहमुकरी आदि काव्य-विधाओं में अनुपम एवं पठनीय रचनाएं हैं।

बैक कवर पर चन्द्रयान पर यशवर्धन श्रीवास्तव, मयंक वर्मा, वर्तिका खरे, खंजन सिन्हा और अर्जिता सिन्हा द्वारा बनाई गई सुंदर तस्वीरें हैं। दो पृष्ठों पर चन्द्रयान की सफलता के नायक/नायिका इसरो के वैज्ञानिकओं एवं अभियन्ताओं के नाम और रंगीन छाया-चित्र हैं, जो उनके प्रति श्रद्धा भाव को दर्शाता है। समन्वय प्रकाशन, जबलपुर से छपी इस किताब का डिजाइन, पृष्ठ सज्जा, रंग रूप और छपाई आकर्षक है। 1100/- रुपये मूल्य की यह संग्रहणीय पुस्तक हर साहित्य प्रेमी के संग्रह की शोभा बढ़ाने योग्य है।

Share This Article
Leave a Comment