AICC : गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस के अधिवेशन में ‘न्याय-पथ’ प्रस्ताव पारित किया गया. इसमें कहा गया है कि महात्मा गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने के शताब्दी वर्ष में और सरदार वल्लभ भाई पटेल के 150वें जयंती वर्ष में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ‘न्याय-पथ’ का संकल्प लेती है. न्याय-पथ क्यों? इसकी कांग्रेस ने वजह भी बताई है. पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि सरदार पटेल ने कहा था जब जनता एकजुट हो जाती है तब क्रूर से क्रूर शासन भी उसके सामने नहीं टिक सकता. आज भाजपा सरकार ने देशवासियों के साथ महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक असमानता, ध्रुवीकरण और क्रूरता की सारी हदें पार कर कुठाराघात किया है. यही नहीं सरकार में बैठे हुक्मरानों ने सत्ता की स्वार्थ सिद्धि के लिए संविधान पर सीधा हमला बोल रखा है. आइए जानते हैं अधिवेशन में पारित प्रस्ताव की खास बातें.
पारित प्रस्ताव में कहा गया है, कांग्रेस का राष्ट्रवाद समाज को जोड़ने का है. भाजपा-आरएसएस का राष्ट्रवाद समाज को तोड़ने का है. कांग्रेस का राष्ट्रवाद भारत की अनेकता को एकता में पिरोने का है. भाजपा-आरएसएस का राष्ट्रवाद भारत की अनेकता को खत्म करने का है. कांग्रेस का राष्ट्रवाद हमारी साझी विरासत में निहित है और भाजपा-आरएसएस का राष्ट्रवाद पूर्वाग्रह से ग्रसित है.
प्रजातंत्र की प्रहरी, संविधान की रक्षक कांग्रेस
- भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ. बाबा साहेब ने खुद 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा में कहा था कि कांग्रेस पार्टी के बिना संविधान बनाना असंभव था. संविधान ने एक क्षण में हजारों सालों के भेदभाव, रूढ़ियों की बेड़ियों और दासता को तोड़कर आजाद भारत में सबको समानता, न्याय व बराबरी का अधिकार दिया. पर भाजपा के पितृ-संगठन, आरएसएस-जनसंघ के नेताओं को भारत का संविधान रास नहीं आया और उन्होंने संविधान को खारिज करना शुरू कर दिया. संविधान में दिए अधिकारों के प्रति उनकी यह दुर्भावना आज तक कायम है.
- जैसे ही भाजपा पहली बार केंद्र सरकार में सत्ता में आई तो फरवरी 2000 में ‘संविधान की समीक्षा’ के लिए आयोग बनाकर संविधान पर आक्रमण की साजिश की. पर कांग्रेस के विरोध के चलते उनके मंसूबे कामयाब नहीं हो सके. साल 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा के नेताओं व उनके संसदीय उम्मीदवारों ने 400 पार का नारा देकर संविधान को बदलने की अपनी दुर्भावना का खुलकर इजहार किया. पर देशवासियों ने एक बार फिर भाजपाई सत्ता को बैसाखियों पर लाकर उनकी बदनीयति पर पानी फेर दिया. इसके बावजूद भी 17 दिसंबर 2024 को गृह मंत्री ने राज्यसभा में बाबा साहेब अंबेडकर का अपमान किया. भाजपा के संवैधानिक संस्थाओं पर हमले बदस्तूर जारी हैं.
- हाल में ही एक जज के घर से नकदी की बरामदगी यकीनन चिंताजनक है. कांग्रेस पार्टी का मानना है कि निष्पक्ष व निर्भीक न्यायपालिका ही संविधानिक मूल्यों तथा प्रजातंत्र की रक्षा की गारंटी है, पर यह भी सच है कि न्यायपालिका को स्वयं की जवाबदेही के मानक व मापदंड निर्धारित करने होंगे. संघीय ढांचे पर हो रहे हर हमले से लोहा लेने की हमारी प्रतिबद्धता अटूट है, चाहे वो ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का पुरजोर विरोध हो, जम्मू-कश्मीर को संपूर्ण राज्य का दर्जा दिलाना हो, हमारी शिक्षा प्रणाली की स्वायत्ता व निष्पक्षता की बहाली हो या फिर समानतापूर्ण व न्यायसंगत, डिलिमिटेशन सुनिश्चित करना हो.
- कांग्रेस ने इसी रचनात्मक सहयोग व सामूहिक प्रयासों से न केवल कालांतर से समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों, परंतु जनता से जुड़े मुद्दों के आधार पर समान विचारधारा वाले अन्य मित्र दलों के साथ मिलकर “इंडिया अलायंस” का गठन किया. समय-समय पर देश के समक्ष उठ रहे जनता के मुद्दों व समस्याओं को लेकर सत्ताधारी सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु भविष्य में भी हम मित्र दलों से सहयोग बनाए रखेंगे.
सामाजिक न्याय का संकल्प कल, आज और कल!
- कांग्रेस की वैचारिक बुनियाद ‘सामाजिक न्याय’ है. हमारा मानना है कि देश और समाज शोषितों, वंचितों और पिछड़ों को पीछे छोड़कर आगे नहीं बढ़ सकता. यही संविधान में दिए आरक्षण का आधार भी है. इतिहास गवाह है कि साल 1951 में जब सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को खारिज किया था तो पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार ने पहला संविधान संशोधन किया और मौलिक अधिकारों में अनुच्छेद 15 (4) को जोड़कर आरक्षण का रास्ता सदा के लिए साफ कर दिया. देश में पिछड़ों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण भी मंडल कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र की कांग्रेस सरकार ने सितंबर, 1993 में दिया. इसके अलावा कांग्रेस की केंद्र सरकार ने 20 जनवरी 2006 से संविधान में 93वां संशोधन कर व अनुच्छेद 15 (5) जोड़कर, शिक्षण संस्थानों में भी पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण का ऐतिहासिक अधिकार दिया.
- साल 1951 में ‘प्रथम संविधान संशोधन’ से सामाजिक न्याय की जो पहल कांग्रेस ने की थी, उसकी बागडोर अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने अपने हाथों में ली है. सामाजिक न्याय की इस बुनियाद को और सशक्त बनाने के लिए जातिगत जनगणना जरूरी है. कांग्रेस द्वारा कराई गई 2011 की ‘सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना’ के निष्कर्ष को भी आज तक मोदी सरकार ने प्रकाशित नहीं किया. पिछले एक दशक में सत्ताधारी दल ने एससी-एसटी सबप्लान व उसके बजट आवंटन को इकतरफा तरीके से समाप्त कर दिया. यही नहीं, एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण पर 50 प्रतिशत की कृत्रिम सीमा निर्धारित कर देना अपने आप में इन वर्गों के साथ न्यायसंगत नहीं है. यहां तक कि ओबीसी, एससी-एसटी वर्गों को प्राईवेट शिक्षण संस्थानों में आरक्षण के संवैधानिक अधिकार से भी वंचित रखा गया है. यह सत्तासीन भाजपा के एससी, एसटी तथा ओबीसी विरोधी चेहरे को दर्शाता है.
- कांग्रेस द्वारा बनाए गए कानून जैसे पेसा (PESA) 1996, वन अधिकार अधिनियम 2006, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है. संविधान में आदिवासियों को अधिकार देने वाले 5वें और 6वें शेड्यूल को भी कमजोर किया जा रहा है. कांग्रेस पार्टी इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि हम केंद्रीय कानून बनाकर एससी-एसटी सब-प्लान को कानूनी आकार देंगे और इन वर्गों की जनसंख्या के आधार पर बजट में हिस्सेदारी देंगे. हम एससी, एसटी व ओबीसी वर्गों के आरक्षण के लिए कृत्रिम तौर से निर्धारित की गई 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने के लिए कटिबद्ध हैं ताकि उन्हें सामाजिक न्याय का पूरा लाभ मिल सके.
मेहनतकश मजदूर हुए मजबूर!
कांग्रेस पार्टी की नीतियां हमेशा मजदूरों के आर्थिक और सामाजिक उत्थान की रही हैं. पिछले 10 साल में केंद्र सरकार ने मनरेगा सहित सभी मज़दूर हितैषी कानूनों को नियोजित रूप से कमजोर किया है. कांग्रेस पार्टी गिग प्लेटफॉर्म और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए नए कानूनों की आवश्यकता की पुरजोर समर्थक है.
देश का सद्भाव- सर्व धर्म संभाव!
सरदार पटेल ने कांग्रेस के 18 दिसंबर 1948 के जयपुर अधिवेशन में कहा था कि कांग्रेस और सरकार इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि भारत एक सच्चा धर्मनिरपेक्ष राज्य हो. धर्मनिरपेक्षता में हमारा अमिट विश्वास है. दूसरी ओर भाजपा सरकार और उसके संगठन ‘सत्ता स्वार्थ’ और ‘वोट की राजनीति’ के लिए देश की इस मूल भावना को तोड़ने पर आमादा हैं. धार्मिक उन्माद फैलाने की मंशा से मुसलमानों व ईसाईयों पर किए जा रहे हमलों ने इन वर्गों को भय के वातावरण में जीवन जीने को मजबूर कर रखा है. वक्फ़ बोर्ड संशोधन कानून हो या फिर ईसाई समाज के गिरिजाघरों की जमीन व संपत्ति को लेकर खड़ा किया जा रहा विवाद हो, दोनों ही इस विभाजन की नीति का परिणाम हैं.
महिला अधिकार- आधी आबादी, पूरा हक!
सशक्त महिलाओं जैसे एनी बेसेंट, सरोजिनी नायडू, नेली सेन गुप्ता, इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी ने राष्ट्रीय अध्यक्षा के तौर पर सदैव कांग्रेस को दिशा दी है. महिला सशक्तीकरण का सफर कांग्रेस ने संविधान में महिलाओं को समानता का मौलिक अधिकार देकर शुरू किया. पहली बार राजीव गांधी के दूरदर्शी फैसले से 1993 में संविधान में महिलाओं को पंचायती राज संस्थाओं व नगर पालिकाओं में ऐतिहासिक एक-तिहाई आरक्षण का प्रावधान किया गया. सितंबर 2023 में संसद में महिला आरक्षण विधेयक पारित तो हुआ पर आज तक लागू नहीं किया गया. कांग्रेस का विश्वास है कि देश तरक्की तभी कर सकता है, जब उसकी आधी आबादी को न केवल पूरा हक मिले, बल्कि बराबरी का दर्जा, सम्मान, व सशक्तीकरण में संपूर्ण हिस्सेदारी भी हो.
किसान को मिले ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ का कानूनी अधिकार!
- अंग्रेज हुकूमत के खिलाफ चंपारण, बिहार के किसान आंदोलन से लेकर महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में हुए खेड़ा और बारडोली किसान सत्याग्रह तक अन्नदाता किसानों की लड़ाई कांग्रेस और किसान के अटूट रिश्ते का प्रमाण है. आजादी के बाद फसल खरीदने के लिए बनाई ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली’ से लेकर ‘हरित’ व ‘श्वेत’ क्रांति तक, कांग्रेस की नीतियां किसान हितैषी रही हैं. प्रधानमंत्री, लाल बहादुर शास्त्री का ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा आज भी देशभर में गूंजता है.
- मगर, अंग्रेजों के रास्ते पर चलते हुए आज की सत्ता के अहंकारी शासक एक बार फिर तीन ‘खेती विरोधी काले क्रूर कानून’ लेकर आए थे. ताकि किसान के खेत-खलिहान-आमदनी छीनकर उसे गुलाम बनाया जा सके. कांग्रेस संकल्प लेती है कि किसानों को एमएसपी का कानूनी अधिकार भी देगी. लागत के 50% ऊपर समर्थन मूल्य भी तय करेगी और किसान कर्जमुक्ति की दिशा में निर्णायक कदम भी उठाएंगे.
डूबती अर्थव्यवस्था व आर्थिक अन्याय!
समावेशी विकास व आर्थिक उदारीकरण की नीतियों से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सरकारों ने देश को आर्थिक मजबूती दी. साल 2004 से 2014 तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने देश में पहली बार औसत आर्थिक वृद्धि दर को 8% तक पहुंचाया. पिछले एक दशक में मौजूदा सत्ताधारियों ने अधिकार संपन्न भारत की भावना को रौंदकर मुट्ठीभर लोगों के आर्थिक हित साधने की अर्थव्यवस्था को आकार दिया. साल 2011 के बाद जनगणना न करवाकर उन्होंने 11 करोड़ लोगों को भोजन के अधिकार से वंचित कर दिया. आज देश के 1% अमीरों के पास देश की 40% से अधिक संपत्ति है. देश के 10% अमीरों के पास तो देश की कुल संपत्ति का 70% हिस्सा है. पर देश की 50% गरीब व सामान्य आबादी के पास केवल 6.4% हिस्सा है.
विदेश नीति बनाम विवश नीति !
- कांग्रेस की सरकारों ने अपनी विदेश नीति से विश्व स्तर पर भारत की साख भी स्थापित की और वैश्विक नेतृत्व भी किया. दुर्भाग्य से मौजूदा सरकार ने वक्त की कसौटी पर प्रमाणित हमारी विदेश नीति को व्यक्तिगत ब्रैंडिंग और स्वार्थ सिद्धि की नीति में बदल दिया है. कांग्रेस पार्टी का मानना है कि देश की विदेश नीति घरेलू राजनीतिक एजेंडा के आधार पर विभाजन का विषय नहीं हो सकती, जैसा कि सत्ताधारी सरकार कर रही है. आज चीन ने पूर्वी लद्दाख में भारत की सरज़मीं में हजारों वर्ग किलोमीटर में कब्जा कर रखा है. पर झूठी ‘लाल आंख’ की दुहाई देने वाली भाजपा सरकार आज तक चीन से अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति को सीमा पर बहाल नहीं कर पाई है. बांग्लादेश में बसे धार्मिक अल्पसंख्यकों-हिंदुओं, बुद्ध व ईसाईयों के लिए असुरक्षित माहौल पैदा हो गया है.
- फिलिस्तीन-इजराइल संघर्ष में हो रही गाजापट्टी में निर्दोषों की हजारों मौत, बमबारी व उग्रवाद की घटनाओं पर मौजूदी सरकार की चुप्पी स्थापित भारतीय कूटनीति के विपरीत है. कांग्रेस फिर दोहराती है कि बातचीत व शांति वार्ता से ही हल निकलेगा और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के मुताबिक फिलिस्तीन का गठन किया जाए. कांग्रेस भारत और अमेरिका के बीच घनिष्ठ संबंधों की पक्षधर है लेकिन यह भारत के राष्ट्रीय हितों की कीमत पर नहीं हो सकता. जब प्रधानमंत्री वॉशिंगटन डीसी गए तो उनकी मौजूदगी में भारत को ‘टैरिफ एब्यूज़र” कहकर अपमानित किया गया.
- अमेरिका ने भारत द्वारा अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले सभी उत्पादों पर 27% टैरिफ लगा दिया है. इससे भारतीय निर्यात व्यापक तौर से प्रभावित होगा. दूसरी ओर अमेरिका भारत पर दबाव डाल रहा है कि हम अमेरिकी उत्पादों पर लगाया जाने वाला आयात शुल्क कम कर दें. मौजूदा भाजपा सरकार के लिए विदेश नीति राष्ट्रीय हितों की रक्षा, बराबरी के दर्जे और परस्पर सम्मान की नीति न होकर अब ‘विवश नीति’ बन गई है.
सशक्त संगठन – हमारा ध्येय!
कांग्रेस के संगठन का सृजन आजादी के आंदोलन से हुआ है. यह आंदोलन गुलामी की बेड़ियां तोड़कर भारत के नागरिकों के हक और अधिकारों की लड़ाई का था. जब-जब जाति या धर्म के आधार पर, गरीब और अमीर की आर्थिक असमानता के आधार पर, वंचितों-शोषितों-पीड़ितों के साथ हो रहे भेदभाव के आधार पर अन्याय होता है तो कांग्रेस का संगठन जनआंदोलन के रूप में हमेशा खड़ा हो जाता है. बेलगावी की विशेष कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में साल 2025 को संगठन सशक्तीकरण का वर्ष घोषित किया गया है. हम संकल्पबद्ध हैं कि इस वर्ष हम अपने संगठन को इतना सशक्त करेंगे कि बड़ी से बड़ी अन्यायी, अहंकारी व दमनकारी शक्तियों को संगठन की ताकत से हराया जा सके.
न्याय का संकल्प – संघर्ष का पथ!
आज महात्मा गांधी और सरदार पटेल की पावन भूमि देश भर से आए कांग्रेस कार्यकर्ताओं से आह्वान कर रही है कि हम सब एकजुट हो जाएं और पूरी दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ न्याय का संकल्प लेकर संघर्ष के पथ पर आगे बढ़ते जाएं. आज देश बेहद कठिन दौर से गुजर रहा है. अपने सब साथी कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस यह प्रतिज्ञा लेती है कि कांग्रेस अपनी असीम संगठनात्मक क्षमता, दक्षता और कार्यकुशलता के आधार का अधिकाधिक विस्तार करेगी और भारतवासियों के लिए न्याय के संघर्ष का संकल्प साकार करेगी. यह संघर्ष रंग लाएगा और न्याय को विजय दिलाएगा.