Ayodhya Ram Mandir : रामजी के भइले जनमवा हो रामा…

Sarvesh Kumar Srimukh

Ayodhya Ram Mandir : अयोध्यावासियों के खेतों में जव की फसल पक कर पियराने लगी होगी। सरसो, तीसी जैसे तिलहन पीट पाट कर कोठार में रख चुके ग्रामीण जन जौ के ठीक से पक जाने की प्रतीक्षा में कुछ दिन की छुट्टी मना रहे होंगे। पखवाड़े भर से गांव देश को अपनी मंजरियों की महक से मदमस्त कर रहे आम के बगीचों में अब टिकोरे लगने लगे होंगे।
फुलवारियां फूलों से नहा रही होंगी। न गर्मी न ठंढ, वर्ष की सबसे सुंदर सुबहों-शामों का आनन्द लेते लोग टहलते हुए अपने खेतों की ओर जाते होंगे तो पकी फसल को देख कर दुगुने आनन्द से भर जाते होंगे। तभी किसी मनोरम दोपहर में अचानक हल्ला हुआ होगा- “अरे महाराज के घर बेटा हुआ है भाई! वह भी एक नहीं, चार चार…”
अपने राजा को ईश्वर का अंश मानने वाले लोग कैसे उछल पड़े होंगे न? वह भी दशरथ जैसे चक्रवर्ती सम्राट की प्रजा! महाराज ने प्रजा को भी अपनी संतान की तरह ही प्रेम दिया था, सो संतान प्राप्ति की प्रार्थनाओं में पूरे अयोध्या का स्वर था। पुत्र के जन्म पर जो आनन्द, जो तृप्ति राजा को मिली, वही आनन्द वही तृप्ति प्रजा को भी मिली होगी।
एकाएक हर आंगन की महिलाएं सोहर गाने लगी होंगी। हाँ हाँ, हर रसोई में गुड़ वाली खीर बनी होगी… उसी समय किसी मजाकिया युवक ने यह भी कहा होगा, “अब दो चार साल के लिए निश्चिन्त हो जाओ… दो चार साल के लिए करमुक्त तो कर देगा राजा साहबवा! ऊपर से कुछ अनुदान मिलेगा सो अगल… बस समझो कि रामराज्य आ गया है…” सब खिलखिला पड़े होंगे।
गाँव की चौपाल पर एकत्र हुए होंगे लोग। सबके मुख पर केवल चार राजपुत्रों की चर्चा होगी… महाराज के दिन लौट गए… अरे महाराज तो युवक हो गए होंगे युवक… अरे सुनो न! राज बच गया यह कहो, बालक न होता तो महाराज के बाद राज का नाश होना तय था। न जाने किस दैत-पिशाच के हाथ लग जाता अपना नगर! अब निश्चिन्त रहो, महाराज के बालक उन्ही की तरह प्रजावत्सल होंगे भाई….
अच्छा चारों में बड़े कौन हैं? बड़की महारानी के बालक बड़े हैं न? यह ठीक हुआ! भगवान जो करते हैं, बड़ा सोच समझ के करते हैं भाई… बड़की महारानी साफ देवता हैं देवता! उनके महल से कोई खाली नहीं लौटता! उनका बालक राजा बनेगा तो नगर को स्वर्ग बना देगा। जय हो महादेव… जय हो मइया…
उसी समय किसी को सुझा होगा, “अरे गान बजान नहीं होगा जी? ऐ सीपरसात! रामचनर! शंकरलाल! अरे ढोल झाल उतारो भाई… अब आज गवनई न होगा तो कब होगा… निकालो झांझ!”
फिर बात बात में ही गीत जोड़ लेने वाले किसी बूढ़े गवैये ने गाया होगा पहला चइता… ए रामा चइत महिनवा… ए रामजी जनमलें ए रामा, घरे घरे… बाजेला आनन्द बधईया…
हाँ हाँ, सब लगभग ऐसा ही हुआ होगा। मिट्टी अपना तेवर नहीं बदलती भाई… लोग लहलहा गए होंगे। अद्भुत दिन रहा होगा वह… अद्भुत! अद्वितीय!
हरिओम! इस देश पर, इस समाज पर, अपने लोगों पर, कृपा बनाये रखना रामजी! सब आपका ही तो है….

Share This Article
Leave a Comment