Bhojpuri Kavyagoshti : 16 अक्टूबर, 2025 को निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव की अध्यक्षता में झारखंड भोजपुरी विकास केंन्द्र द्वारा लोक आस्था का महापर्व छठ के अवसर पर, “गंगा मइया के ईरी- झीरी पनिया नइया लगले बहुत” कार्यक्रम में छठ के गीत और भोजपुरी काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। संस्था के सचिव बिनोद सिंह गहरवार ने कार्यक्रम में भाग लेने वालों का स्वागत किया। पूनम वर्मा के संयोजन और अर्पणा सिंह के कुशल मंच संचालन में कार्यक्रम की शुरुआत पुष्षा पाण्डेय द्वारा प्रस्तुत गणेश बंदना और सुनीता सिन्हा ‘जागृति’ द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुई। एक से बढ़कर एक छठ गीतों की रसधार बहने लगी। अर्पणा सिंह ने ‘गंगा मइया के ऊंची अररिया’, संगीता सहाय ने ‘चार पहर हम जल – थल सेविला’, सीमा सिन्हा मैत्री ने ‘केरवा के पात पर उगेलें सूरज देव’, डॉ. उर्मिला सिन्हा ने ‘केकरा घरे सोने के कटोरवा’, संतोष कुमार ओझा ने ‘सुनर सोहावन लागे माई तोहरो घटिया’, सविता गुप्ता ने ‘दर्शन दिहिं ना आपार’, पुष्पा पाण्डेय ने ‘रुपे छने लागल हो केंवाड़’, विद्याशंकर विद्यार्थी ने ‘करिला गोहरवा छठी मइया’, गीता चौवे ‘गूंज’ ने ‘घरवा से रथ लेके चलले सूरज देव’, सुनीता श्रीवास्तव ‘जागृति’ ने ‘कोपि – कोपि बोलेली छठीय माई’ जैसे छठ के पारम्परिक गीत प्रस्तुत किया। बिनोद सिंह गहरवार द्वारा स्वरचित छठ गीत ‘कठिन हउवे छठ के बरतिया’, पूनम वर्मा के गोधन गीत ‘छोड़ ननदो आंगना हे’, पंकज कुमार सिंह की देख के अंखिया फेर लेवे भले चुल्हा उपवास और निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव की ‘गांव-नगर-घाट – पनघट पर किरण-किरण छिटके’ कविताओं की प्रस्तुतियों ने भक्तिभाव की रसधार बहा दी।
झारखंड भोजपुरी विकास केंन्द्र के अध्यक्ष निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव ने छठ पर्व की शुरुआत, इसके महात्म्य, छठ के वैदिक और पौराणिक संदर्भों, भगवान कृष्ण के पुत्र साम्ब के द्वारा सूर्यपासना के लिए बनवाये गए भगवान के मंदिरों, उनके अनेकों, सूर्य के नामों की साथर्कता एवं छठ पूजा से जुड़े गूढ़ बातों पर विस्तार से चर्चा की और कार्यक्रम की सफलता के लिए सबको बधाई एवं दीपावली, चित्रगुप्त पूजा एवं छठ की अग्रिम शुभकामनाएँ दी। कार्यक्रम का समापन पूनम वर्मा के धनवाद ज्ञापन से हुआ।
Bhojpuri Kavyagoshti : “गंगा मइया के ईरी-झीरी पनिया नइया लगले बहुत” कार्यक्रम में छठ गीत और भोजपुरी काव्यगोष्ठी का आयोजन
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