Bihar : बिहार बना सियासी बिसात का नया अखाड़ा!

Bindash Bol
  • सासाराम में मंच पर राहुल ने लालू को पानी पिलाया,तो उधर तेज प्रताप यादव ने एक झटके में लालू का पानी ही उतार दिया
  • लालू प्रसाद यादव के परिवार में सत्ता संघर्ष मनोज कुमार

Bihar : बिहार में विधानसभा चुनाव करीब है। राजनीतिक दल चुनाव के दंगल में उतर चुके हैं। गुणा भाग जोड़ घटाव का खेल शुरू हो चुका है। सत्ता की गलियारे तक पहुंचाने के लिए हर कोई आतुर है। जहां विपक्ष यानी इंडिया गठबंधन वोटर अधिकार यात्रा के सहारे चुनावी मैदान में ताल ठोक रही है वहीं दूसरी तरफ सत्ताधारी दल यानी एनडीए गठबंधन चुनाव की बिसात बिछानी शुरू कर दी है।

कहीं सत्ता का खेल तो कहीं परिवार का घालमेल

हाल की सियासी घटनाओं में बिहार की राजनीति एक बार फिर रोचक मोड़ पर पहुंचती दिखाई दे रही है। एक तरफ़ लालू प्रसाद यादव और राहुल गांधी का मंच साझा करना और सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे के प्रति आत्मीयता दिखाना, तो दूसरी ओर तेज प्रताप यादव का नया राजनीतिक प्रयोग और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से परोक्ष संपर्क स्थापित करने की चर्चा—ये दोनों घटनाएं आने वाले समय के लिए कई संकेत छोड़ जाती हैं।

तेज प्रताप यादव ने अपनी नई पार्टी “जनशक्ति जनता दल” का गठन और चुनाव आयोग में पंजीकृत करा कर जहां एक ओर परिवार और पारंपरिक पार्टी संरचना से अलग अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान बनाने की कोशिश की है, वहीं दूसरी ओर यह भी स्पष्ट कर दिया है कि लालू परिवार में सत्ता संघर्ष की पिक्चर अभी बाकी है।

चर्चा है कि तेज प्रताप केंद्रीय पर्यावरण, जंगल (वन) और जलवायु मंत्री भूपेंद्र यादव के माध्यम से गृह मंत्री अमित शाह के संपर्क में हैं।
यह इस बात का संकेत है कि तेज प्रताप न केवल राज्य की राजनीति में, बल्कि देश की सियासी बिसात पर अपनी जगह बनाने की महत्वाकांक्षा रखते हैं।

मतलब तेजू भैया के इस तेज चाल से अब लालू के जंगल में दंगल भी और जलवायु परिवर्तन भी होना तय है। राजनीति की जानकार मानते हैं कि चाहे यह संपर्क प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष, बिहार की पॉलिटिक्स में इसका प्रभाव निश्चित रूप से दिखेगा, खासकर मुस्लिम-यादव समीकरण के संदर्भ में।

गौरतलब है कि कभी राहुल गांधी ने ही अध्यादेश फाड़कर लालू को प्यासा ही मारने की कोशिश की थी, आज उन्हीं राहुल को मजबूरी में ही सही, पर लालू को फिर एक बार “सियासी पानी पिलाओ—फोटो जरूर खिंचावओ” की राजनीति करनी पड़ रही है।

इसी का नाम राजनीति है जिसमें पुराने विरोध और आलोचनाओं के बावजूद वर्तमान समीकरणों के तहत सब कुछ बदल जाता है। आने वाले समय में बिहार में बहुत रोचक तस्वीर देखने को मिल सकती है।

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