BJP : फेक न्यूज़ पर बीजेपी की फज़ीहत…शिकारी खुद यहां शिकार हो गया

Bindash Bol

दीपक जोशी

BJP : मज़ा इसलिए आया क्योंकि अंबेडकर को भगवान से भी ऊपर का दर्जा बीजेपी ने ही दिया, खासकर मोदी सरकार ने..अंग्रेजी में एक कहावत है “Pushing something down one’s throat”..यानी किसी चीज़ को ज़बरदस्ती आप पर थोपना..मोदी सरकार ने पिछले 11 साल में अंबेडकर को लेकर वही किया है..अंबेडकर को जो भगवान मानते हैं, मानें..जो उन्हें महापुरुष मानते हैं, मानें..ये उनका लोकतांत्रिक अधिकार है..और हम उनके इस डेमोक्रेटिक राइट का सम्मान करते हैं..लेकिन जो ऐसा नहीं मानना चाहते, उन्हें भी ऐसा करने का लोकतांत्रिक अधिकार है..ये अधिकार उन्हें वही संविधान देता है, जिसे बनाने का श्रेय अंबेडकर को दिया जाता है..अब अगर कोई अंबेडकर का सम्मान करना चाहता है तो उसकी इच्छा..कोई आलोचना करना चाहे तो वो भी करने देनी चाहिए..कोई भी आलोचना से ऊपर क्यों हो? और अगर अंबेडकर को ये विशेषाधिकार हासिल है तो दूसरों को क्यों नहीं? इसी तरह का सुलूक दूसरे नेताओं के साथ क्यों नहीं होना चाहिए? महात्मा गांधी की गिनती दुनिया के सबसे सम्मानित नेताओं में होती है, आप उन्हें गाली दीजिए..हो सकता है आपको बीजेपी में कोई पद दे दिया जाएगा..नेहरू को तो पिछले 11 साल से हर नाकामी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है..हर रोज़ चरित्र हनन हो रहा है..खुद प्रधानमंत्री के स्तर पर ये काम हो रहा है..लेकिन ऐसा करने वालों को भी ईनाम-ओ-बख्शीश दी जा रही है..लेकिन आप अंबेडकर का सिर्फ नाम लेकर देखिए..आप जेल में होंगे..अगर अंबेडकर महापुरूष हैं, तो गांधी और नेहरू को भी करोड़ों लोग अपना आदर्श मानते हैं..क्या उनकी भावनाओं को सम्मान नहीं होना चाहिए?

हालांकि मैं उन लोगों में से हूं, जो किसी भी महापुरूष को आलोचना से ऊपर नहीं मानता..हर व्यक्ति के श्वेत और स्याह पहलू होते हैं..अगर धवल पक्ष का गुणगान होता है तो स्याह पक्ष पर भी स्वस्थ बहस या फिर मर्यादित आलोचना नहीं होनी चाहिए..अगर गांधी और नेहरू के कुछ आलोचनात्मक पक्ष हैं तो अंबेडकर के भी होंगे..वो क्यों आलोचना से ऊपर होने चाहिए..लेकिन आज अंबेडकर का नाम लेना ही ब्लासफेमस यानी ईशनिंदा के तुल्य बना दिया गया है..इसकी आड़ में आप कुछ भी करिए..कुछ ही दिन पहले महाराष्ट्र के परभणी में अंबेडकर की मूर्ति की उंगली तोड़ने पर ज़बरदस्त हिंसा हुई थी..किसी पर कोई बडा एक्शन नहीं..देशभर में अंबेडकर की हज़ारों मूर्तियां लगी हैं..सबकी सुरक्षा करनी संभव नहीं है..कोई भी सिरफिरा मूर्ति के किसी भी हिस्से को तोड़ सकता है..क्या उसकी आड़ में हिंसा और आगजनी जायज है? गांधी की मूर्तियों के अंग-भंग होने की तस्वीरें अक्सर आती रहती है..तब कोई हिंसा नहीं होती..

अंबेडकर का ये डेमीगॉडीकरण मोदी सरकार ने ही किया है..नेहरू से लेकर मनमोहन राज तक कांग्रेस ने अंबेडकर के साथ क्या सलूक किया..ये सब जानते हैं..यही वजह है कि कांग्रेस आज अंबेडकर के नाम पर जो कर रही है, उसमें दोगलापन झलकता है. कांग्रेस आज अंबेडकर की बात सिर्फ वोट के लिए कर रही है..वर्ना 1990 तक अंबेडकर को सिर्फ दलित समाज के लोग ही जानते और मानते थे..1993 में मायावती के यूपी की मुख्यमंत्री बनने के बाद अंबेडकर का महिमामंडन शुरू हुआ, जो मोदी सरकार ने चरम पर पहुंचा दिया..तमाम स्मारकों से लेकर पता नहीं कौन-कौन से दिवस घोषित कर दिए..हालांकि यहां भी नीयत वोट हासिल करने की ही है..

खैर महापुरुषों के नाम पर वोट बैंक का जुगाड़ करने का तरीका नया नहीं है..कीजिए..लेकिन कृपया उसे परपीड़ा का ज़रिया ना बनने दें..आज इस बात पर कम्पटीशन चल रहा है कि दहेज विरोधी कानून और डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट रोज़गार का बड़ा माध्यम है या फिर SC-ST एक्ट..हर कानून में चेक एंड बैलेंस होते हैं लेकिन ये दोनों कानून इससे परे हैं..आप आरोप लगा दीजिए और अगला बिना किसी सुनवाई के ज़िंदगी भर रोता रहेगा..एक कानून कांग्रेस की देन हैं तो दूसरा बीजेपी की..

कुछ मिलाकर मेरा ये कहना है कि अंबेडकर जिस समाज से आए, जिन परिस्थितियों से लड़ते हुए जिस मुकाम पर पहुंचे..अपने समाज के लिए उन्होंने जो किया, उसका सम्मान मैं भी करता हूं..अगर उनका समाज उन्हें भगवान मानता है तो ये उनका अधिकार है..बस मेरा ये कहना है कि किसी को भी आलोचना से ऊपर मत रखिए..लेकिन अंबेडकर के मामले में ऐसा ही हो रहा है और सबसे बड़ी बात ये है कि वोट बैंक के चक्कर में सारी पार्टियां इस पर एकमत भी हैं..मैं तो ये सोच रहा हूं कि अगर आज अरुण शौरी ने ‘The False God’ जैसी किताब लिखी होती तो उन्हें या तो जान गंवानी पड़ती या जेल में सड़ते..

PS – पिछले 10 साल में शायद ये पहला मौका है, जब मोदी-शाह समेत बीजेपी के सारे नेता डिफेंसिव पर नज़र आए..हालांकि वो भी ये बात जानते थे, और सारा देश भी जानता था कि कांग्रेस ने जो किया, वो फेक न्यूज़ थी..फिर भी अगर इनका घमंड टूटा तो इसकी वजह यही है कि इसी सरकार ने देश का अंबेडकरीकरण किया है. यानी शिकारी खुद यहां शिकार हो गया..हालांकि इसका असर ज्यादा दिनों तक नहीं रहेगा..

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