रेहान अहमद
Champions Trophy 2025 : बाज़ जब बूढ़ा हो जाता है तो छोटे छोटे शिकार भी उसकी गिरफ्त से छूटने लगते हैं। क्यूंकि उसके पंजों में न तो जवानी वाला रिफ्लेक्शन रहता है,न ही उसके पंखों में ऊंचा उड़ने की ताकत।न ही उसकी चोंच इस काबिल रहती है कि अपनी चोट से किसी जानवर की पत्थर जैसी खोपड़ी तोड़ दे।जिस बाज को कभी आसमान का राजा कहा जाता था,वो इस वक्त, इतना कमजोर हो जाता है कि जमीन पर सरवाइव करना भी उसके लिए दूभर हो जाता है।छोटे छोटे जानवर भी बाज पर सवाल उठाने लगते है,बाज की नौबत भूखे मरने की आ जाती है,तरीके से देखा जाए तो ऐसे वक्त में बाज को रिटायर हो जाना चाहिए,और आसमान में उड़ने का लालच छोड़कर जमीन पर रहकर,छोटे मोटे शिकार से पेट भरते हुए मौत का इंतजार करना चाहिए। पर बाज़ ऐसा नहीं करता,वो अपने पंखों में जमा आखिरी ताकत इकट्ठा करता है,और उड़ते हुए दूर किसी पहाड़ की चोटी पर जाता है। फिर वो अपनी चोंच से बदन का एक एक पंख नोचकर फेंकना शुरू करता है,तब तक जब तक आखिरी पंख उसके बदन से अजग न हो जाए,फिर वो पत्थर पर अपनी चोंच को मार मारकर चोंच तोड़ देता है। धीरे धीरे बाज के बदन पर न तो पंख बचता है,न चोंच।इस हालत में बाज इतना कमजोर होता है कि छोटे से छोटा जानवर भी उसका शिकार कर सकता है। पर बाज़ चुपचाप इंतजार करता है,वक्त गुजरने का। धीरे धीरे वक्त गुजरता है,पंख वापस उगते है,चोंच और नुकीली और पैनी हो जाती है। फिर बाज उस पहाड़ की चोटी से अपने नए पंख लिए उड़ता है,पहले से ज्यादा नुकीले पंजे और चोंच के साथ,उसकी तेज निगाह ढूंढती है अपने अगले शिकार को,ऐसा शिकार जो ये घोषणा कर सके कि आसमान का राजा वापस आ गया है,इतना बड़ा शिकार कि ,जिसे बाज जब अपने पंजों में फंसाकर उड़े तो पूरा जंगल उसके पंजों में फंसे उस शिकार को देखने के लिए इकट्ठा हो जाए…
Champions Trophy 2025 : आसमान का राजा “बाज” रोहित शर्मा

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