उमानाथ लाल दास
Chandrashekhar Azad Ravan : अपने नाम व बयान से चर्चा में बने रहनेवाले चंद्रशेखर आजाद रावण नगीना (यूपी) से आजाद समाज पार्टी (कांशी राम) के सांसद हैं. सनातन से घोर घृणा करनेवाले चंद्रशेखर आजाद रावण में न तो चंद्रशेखर आजाद की गरिमा का ख्याल है और न ही रावण की समझ-संस्कार-आस्था का कोई ज्ञान. सनातन से इतनी ही घृणा है तो नाम में पेरियार जोड़ लेते या आंबेडकर. आखिर यूपी के ललई सिंह उत्तर भारत के पेरियार कहलाए कि नहीं. और अपने नाम में रावण जोड़कर उन्हें लगता है कि राम के शत्रु के पक्ष में खड़े होकर सनातन के खिलाफ की लड़ाई में सेफ पैसेज मिल जायेगा. इस रावण को पता होना चाहिए कि रावण भी राम की तरह ही परम शिवभक्त थे. और इस तरह देखा जाए तो राम-रावण गुरुभाई थे. दूसरी बात, रावण का तांडव स्तोत्र सनातन मूल्यों का पोषक है. राम के भक्त इसे सहर्ष पूरी श्रद्धा से इस स्तोत्र का पाठ करते हैं. यही नहीं, लक्ष्मण के मूर्च्छा में आने के बाद रावण का वैद्य सुषेण ही काम आया था. यह एथिक्स इस रावण के पल्ले नहीं पड़ेगा.
और यह सब वह दलित व अल्पसंख्यकों को अपने पक्ष में करने के लिए करते हैं. लेकिन नफरत के पहाड़ पर चढ़कर किसी का भी दिल नहीं जीता जा सकता है. यही कारण है कि 20 सितंबर 2024 को हरियाणा के जिंद में तब भारी विरोध का सामना करना पड़ा जब भारतीय दलित-बहुजन अधिकार कार्यकर्ता रावण वहां प्रचार में पहुंचा था. प्रचार के लिए पहुंचे रावण को बाल्मीकि समाज के लोगों ने काले झंडे और जूते दिखाकर उसका विरोध किया. अन्य दलित समाज के लोगों का कहना था कि वह चमार और मुसलमानों का नेता है.
फरवरी 2021 में, टाइम पत्रिका की 100 उभरते नेताओं की सूची में शामिल रावण जंतर-मंतर पर मुस्लिमों के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जय भीम बोल दिया था तो मुस्लिमों ने मंच पर धक्का-मुक्की की और भीड़ ने चप्पल फेंक कर मारी भी. विरोध बढ़ता देख रावण को मंच छोड़कर जाना पड़ा. दरअसल यहां मुस्लिम समाज ने धार्मिक एकता का कार्यक्रम आयोजित किया था. इसमें मंच पर बोलते हुए रावण ने वक्फ बोर्ड के मुद्दे पर मोदी सरकार पर सियासी हमले शुरू कर दिये. इससे कार्यक्रम में मौजूद लोग नाराज हो उठे. इससे आक्रोशित भीड़ हूटिंग करने लगी और चंद्र शेखर वापस जाओ के नारे लगाने लगी.