Chhath Puja Kharna: आस्था का महापर्व छठ पूजा की शुरुआत 25 अक्टूबर से हो गई है, जिसका समापन 28 अक्टूबर को होगा. इस पावन पर्व के दौरान सूर्य देव और माता छठी की उपासना की जाती है. चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व को बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है. छठ पूजा का दूसरा दिन खरना होता है, जो कि 26 अक्टूबर को है. खरना में व्रती सुबह से शाम तक निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को पूजा के बाद गुड़ की खीर और रोटी खाकर अपना व्रत तोड़ती हैं. इस दिन को बहुत ही पवित्र माना जाता है. इस दिन से ही 36 घंटे के लंबे निर्जला व्रत की शुरुआत होती है.
खरना पूजा की विधि
- खरना वाले दिन व्रती सबसे पहले घर के पूजा स्थल या आंगन की मिट्टी से लिपाई करते हैं. इसके बाद स्नान व ध्यान से निवृत्त होकर सूर्यदेव और छठी मैया का ध्यान करना चाहिए और व्रत की शुरुआत कर लें.
- खरना की पूजा और भोग में शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखना जाता है इसलिए पूजा व भोग में विशेष सावधानी बरतें. मन में किसी तरह का नकारात्मक विचार ना आए इसके लिए धार्मिक पुस्तक पढ़ें.
- सूर्यास्त के बाद खरना का भोग बनाया जाता है इसलिए शाम को प्रसाद के लिए मिट्टी का चूल्हा और मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए. इस दिन प्रसाद में गुड़-चावल की खीर (जिसे रसियाव कहते हैं), रोटी या पूड़ी और केला शामिल होता है.
- जब प्रसाद तैयार हो जाए तो छठी माता और सूर्यदेव की आराधना करें और केले के पत्ते पर खरने का भोग अर्पित करें.पूजा के बाद व्रती स्वयं प्रसाद ग्रहण करते हैं और परिवार के लोगों को वितरित करते हैं. इसी के साथ अगले 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ हो जाता है.
खरना का महत्व
पवित्रता:- खरना का अर्थ ‘शुद्धता’ है, इसलिए इस दिन व्रती तन और मन को पूरी तरह शुद्ध रखते हैं.
भक्ति:- यह दिन पूरी तरह से भक्ति और समर्पण का प्रतीक होता है.
छठी मैया का प्रवेश:- धार्मिक मान्यता है कि खरना के दिन ही छठी मैया का घर में प्रवेश होता है.
खरना की पूजा विधि और प्रसाद
व्रत:- सूर्योदय से सूर्यास्त तक बिना जल और अन्न के कठोर उपवास किया जाता है.
पूजा:- शाम के समय धरती माता और छठी मैया की पूजा की जाती है.
प्रसाद:- प्रसाद के रूप में आम की लकड़ी से मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ और चावल की खीर (रसियाव) और रोटी बनाई जाती है.
वितरण:- पूजा के बाद यह प्रसाद परिवार के सदस्यों, दोस्तों और रिश्तेदारों के बीच बांटा जाता है.
अगला दिन:- खरना के बाद तीसरे दिन शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.
छठ पूजा के दूसरे दिन के मंत्र
ॐ ह्रीं षष्ठीदेव्यै स्वाहा
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते। अनुकंपय मां भक्त्या गृहाणार्ध्य दिवाकर:।।
खरना पर 4 शुभ योग और मुहूर्त
आज छठ पूजा के दूसरे दिन खरना पर चार शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व बढ़ गया है. आज सभी कार्य सिद्ध करने वाले सर्वार्थ सिद्धि योग, सभी दोषों को दूर करने वाले रवि योग, सौभाग्य व शांति लाने वाला शोभन योग बन रहा है. साथ ही इस दिन गुरु और बुध के ज्योतिष संबंध से नवपंचम राजयोग भी बन रहा है. खरना पर्व का हर कार्य इन चार शुभ योग में किया जाएगा. पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की आज पंचमी तिथि है और यह तिथि 27 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 4 मिनट तक रहेगी, इसके बाद षष्ठी तिथि का आरंभ हो जाएगा.
(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. बिंदास बोल न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
