Delhi Blast : जाल से जाल तक: बहावलपुर से इस्तांबुल से दोहा से दिल्ली – ISI के हजार सिरों वाला अष्टभुजी नेटवर्क उजागर!

Bindash Bol

मनोज कुमार

Delhi Blast : इसके पहले कि जांच एजेंसियां किसी नतीजे पर पहुंचे आइये- आप और हम मिलकर आज यह साबित कर दें कि व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का मास्टरमाइंड कोई डॉक्टर मुजम्मिल फुजम्मिल नहीं बल्कि फिर एक बार वही कुख्यात पाकिस्तानी “कुतिया” एजेन्सी ISI है। बाकी सारे गद्दार डॉक्टर और जेहादी बस उसके मोहरे और प्यादे भर हैं ।

दिल्ली के रेड फोर्ट के पास हुए भीषण कार ब्लास्ट के बाद पकड़ी गयी डॉ. शाहीन सईद के लिंक्डइन प्रोफाइल पर इस बात के सबूत हैं, जो सारी कड़ियां जोड़ती हैं।

शाहीन सईद की लिंक्डइन प्रोफाइल पर पाकिस्तान की कंबाइंड मिलिट्री हॉस्पिटल (सीएमएच), बहावलपुर के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. परवेज उल हसन ने एंडोर्समेंट दिया हुआ है, और यह बात अपने आप में चौंकाने वाली है क्योंकि बहावलपुर जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय है।

इस एंडोर्समेंट ने यह साफ कर दिया है कि शाहीन का नेटवर्क केवल भारत तक सीमित नहीं था, बल्कि पाकिस्तानी सेना के भीतर गहराई तक फैला हुआ था।

डॉ. परवेज उल हसन का करियर अत्यंत संदिग्ध है और उसकी भूमिकाएं पाकिस्तानी सेना की सबसे संवेदनशील इकाइयों से जुड़ी हुई हैं।

वर्तमान में वो सीएमएच इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, बहावलपुर में डायरेक्टर ऑफ एकेडमिक्स एंड एडमिनिस्ट्रेशन है जो पाकिस्तानी सेना द्वारा संचालित किया जाता है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उसने मिलिट्री हॉस्पिटल रहीम यार खान में कमांडिंग ऑफिसर के रूप में 2001 से 2003 तक, और मिलिट्री हॉस्पिटल गुजरांवाला कैंट में डिप्टी कमांडेंट के रूप में 2004 से 2007 तक सेवा की है।

एक ऐसा व्यक्ति जिसका पूरा करियर पाकिस्तानी सेना के मेडिकल और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क में रहा है, डॉ. शाहीन सईद की लिंक्डइन प्रोफाइल पर सार्वजनिक रूप से एंडोर्समेंट दे रहा है,तो यह अपने आप ही बहुत कुछ कह रहा है।

यह एक साधारण प्रोफेशनल नेटवर्किंग से कहीं अधिक गंभीर मामला है जिससे साबित होता है कि शाहीन का कनेक्शन पाकिस्तानी सैन्य-खुफिया तंत्र से कितना गहरा था।

बहावलपुर का नाम इस पूरे मामले में सबसे अधिक चौंकाने वाला है क्योंकि यह शहर जैश-ए-मोहम्मद का स्थापित मुख्यालय है। यहां उसका प्रमुख आधार “मरकज़ सुभान अल्लाह” स्थित है। यह वह केंद्र है जहां से भर्ती, प्रशिक्षण और जेहाद की शिक्षा दी जाती थी। आतंकवादी कमांडर मसूद अजहर जैसे आतंकी नियमित रूप से इस कैंप में आते जाते थे।

ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने इसी मुख्यालय को निशाना बनाया था और व्यापक क्षति पहुंचाई थी।

परवेज उल हसन की वर्तमान तैनाती बहावलपुर में ही है, और यह तथ्य बेहद संदिग्ध है कि वो जैश के मुख्यालय वाले शहर में काम करता है। यह कनेक्शन केवल संयोग नहीं है बल्कि यह पाकिस्तानी सेना, आईएसआई और जैश-ए-मोहम्मद के बीच गहरे समन्वय का संकेत है।

निश्चय ही इसी संपर्क के माध्यम से डॉ. शाहीन सईद को मसूद अजहर ने औपचारिक रूप से “जमात-उल-मोमीनात” इंडिया का कमांडर नियुक्त किया है।

जैश की महिला शाखा “मसूद अजहर” की बहन “सादिया अजहर” के नेतृत्व में संचालित होती है,जो ऑपरेशन सिंदूर में मारे गये कंधार हाईजैकिंग के मास्टरमाइंड “युसुफ अजहर” की विधवा हैं।

सादिया अजहर के साथ, पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड “उमर फारूक” की बेवा “अफीरा बीबी” को भी इस महिला शाखा की शूरा (सलाहकार परिषद) में शामिल किया गया है।

बस “अफीरा बीबी” ही वो पुलवामा कनेक्शन है जिससे इस “व्हाइट कॉलर मॉड्यूल” के डॉक्टर जुड़े हुये थे, जिसमें लगभग सारे के सारे पुलवामा के ही रहने वाले हैं।

डॉ. शाहीन सईद की लिंक्डइन प्रोफाइल पर केवल पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी ही नहीं, बल्कि सऊदी अरब में स्थित अन्य डॉक्टरों से भी एंडोर्समेंट मिले हुए हैं। यह बात साफ है कि शाहीन का नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ था।

सऊदी अरब का खाड़ी क्षेत्र में कट्टरपंथी विचारधाराओं के फैलाव और फंडिंग का पुराना इतिहास है। डॉ. परवेज उल हसन भी सऊदी अरब और लाहौर के बीच आवाजाही करता रहता है, जो यह संकेत देता है कि यह नेटवर्क केवल पाक-भारत तक सीमित नहीं है बल्कि मध्य पूर्व तक विस्तारित है।

और यहीं से गिरफ्तार किये गये डाक्टरों के संपर्क बड़ी चालाकी से ISI ने तुर्की और कतर में बैठे अपने हैंडलर से स्थापित कराया। इससे सुविधा यह हुयी कि ISI वाया तुर्की और कतर उन्हें निर्देशित करती रही ताकि उसका सीधा involvement ट्रेस ही ना हो सके।

Share This Article
Leave a Comment