Delhi Election 2025: दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर चुनावों का एलान हो गया है।तारीखों के ऐलान के साथ ही दिल्ली में आचार संहिता लागू हो गई है। दिल्ली में एक चरण में पांच फरवरी को मतदान होगा। आठ फरवरी को मतगणना होगी। साल 2020 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 62 सीटों पर जीत दर्ज की थी। भाजपा के खाते में आठ सीटें आई थीं। जबकि, कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था।
एक करोड़ 55 लाख वोटर्स डालेंगे वोट
चुनाव आयोग के मुताबिक दिल्ली में कुल एक करोड़ 55 लाख वोटर्स हैं। इसमें 83 लाख से ज्यादा पुरुष मतदाता और 79 लाख महिला वोटर्स हैं। 830 ऐसे वोटर्स हैं, जिनकी उम्र 100 से अधिक है। पहली बार वोट डालने वाले युवाओं की संख्या 0.8 लाख है। 33 हजार 330 पोलिंग स्टेशन बनाये जाएंगे।
2020 के परिणाम
2020 विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा 6 जनवरी को हुई थी। सभी 70 सीटों पर एक चरण में 8 फरवरी 2020 को वोटिंग हुई थी और नतीजों की घोषणा 11 फरवरी को हुई थी। 2020 में आम आदमी पार्टी ने 62 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं भाजपा सिर्फ 8 सीटें जीतने में कामयाब रही। आम आदमी पार्टी ने 53.57% वोट शेयर हासिल किया था। कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी।
Delhi Assembly Election 2025: क्यों लागू होती है आचार संहिता?
किसी भी राज्य में आचार संहिता लागू होने के बाद कई कामों पर पाबंदियां लग जाती हैं. राज्य में चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ आचार संहिता यानी मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू हो जाता है. आचार संहिता को लागू करने का मकसद है कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से हो सकें. अगर कोई राजनीतिक दल इस आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। ऐसे हालातों में उसके चुनाव लड़ने पर पाबंदी भी लगाई जा सकता है।
दिल्ली में आचार संहिता लागू, क्या कर सकते हैं, क्या नहीं
अगर राज्य में आचार संहिता लागू कर दी गई है तो सरकार किसी भी तरह की सरकारी घोषणाएं, योजनाओं की घोषणाएं, परियोजनों का शिलान्यास, लोकार्पण या भूमिपूजन नहीं कर सकती। अगर किसी पार्टी के कैंडिडेट, प्रत्याशी या समर्थक को रैली करनी है या जुलूस निकालना है तो पहले पुलिस से परमिशन लेनी होगी।
चुनाव आयोग की गाइडलाइन कहती है, कोई भी नेता धर्म या जाति के नाम पर जनता से वोटों की मांग नहीं कर सकता। इसके अलावा उसे ऐसा भी कुछ भी करने की इजाजत नहीं है जो जाति या धर्म के बीच मतभेद पैदा करे। बिना किसी की अनुमति के उसके घर या दीवार पर झंडे-बैनर नहीं लगाए जा सकते। मतदान के दिन शराब दुकानें बंद रहेंगी और शराब के जरिए मतदाताओं को रिझाने पर सख्त पाबंदी है।
आचार संहिता की गाइडलाइन कहती है, मतदान के दिन यह सुनिश्चित करना होगा कि बूथों के करीब राजनीतिक दलों या उम्मीदवार के शिविर में भीड़ न हो। इसके अलावा उनके शिविर में किसी तरह की कोई भी प्रचार सामग्री न मौजूद हो। किसी भी तरह की खाने की चीज न परोसी जाए।
चुनाव आयोग की तरफ से स्पष्ट निर्देश हैं कि राजनीति दल, प्रत्याशी या उनसे जुड़े लोग ऐसा कुछ भी करे सकते जो आचार संहिता के गाइडलाइन के खिलाफ हो। जैसे मतदाताओं को पैसे देकर अपने पक्ष में वोट करने का लालच देना। उन्हें किसी भी रूप में डराना या धमकाना। फर्जी वोटिंग कराना या फिर वोटर्स को मतदान केंद्र तक लाने और ले जाने के लिए वाहन उपलब्ध करना।
नेताओं के राजनीतिक कार्यक्रमों को मॉनिटर करने के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षकों या ऑब्जर्वर की नियुक्तियां करता है। जब तक आचार संहिता लागू होती है तब तक किसी भी सरकारी कर्मचारी का तबादला नहीं किया जा सकता।