- जिस देश के पास ज्यादा तोपें हों, उसे युद्ध जितने में आसानी…
Dhanush : भारतीय सेना ने अपनी तीसरी धनुष रेजिमेंट का गठन शुरू कर दिया है, जिसका लक्ष्य मार्च 2026 तक 114 स्वदेशी 155 मिमी हॉवित्जर शामिल करना है. धनुष तोप को देसी बोफोर्स भी कहा जाता है. मोदी सरकार आने के बाद, भारतीय सेना के लिए यह चौथी धनुष रेजिमेंट होने जा रही है. एक जमाना था, जब भारतीय सेना अस्त्र शस्त्र की कमी से जूझ रही थी, और वर्तमान समय में भारतीय सेना हर रोज़ कुछ न कुछ अस्त्र शस्त्र खरीद करती रहती है। इसके लिए सरकार की तरफ से फंड की कमी नहीं होने दी जा रही है….
धनुष एक अत्याधुनिक 155 मिमी/45 कैलिबर की टोइड आर्टिलरी गन है, जो बोफोर्स गन का एडवांस वर्जन है. इसकी मारक क्षमता 36 से 38 किलोमीटर तक है और यह हर मौसम और हर लोकेशन में इस्तेमाल की जा सकती है. करीब ₹14 करोड़ की लागत वाली हर धनुष तोप NATO के 155 मिमी गोला-बारूद के साथ भी इस्तेमाल की जा सकती है.
इसमें लगे हैं:
- GPS-आधारित फायरिंग कंट्रोल सिस्टम
- ऑनबोर्ड बैलिस्टिक कंप्यूटर
- थर्मल इमेजिंग, लेजर रेंज फाइंडर और कैमरा
- मजल वेलोसिटी रिकॉर्डर
क्या है खासियत
इस सिस्टम में एक स्वचालित गन साइटिंग प्रणाली भी है, जो कैमरा, थर्मल इमेजिंग और लेजर रेंज फाइंडर से सुसज्जित है. धनुष की ताकत यह भी है कि इसको दुर्गम इलाकों में ले जाया जा सकता है और दिन-रात दोनों समय दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाया जा सकता है.
भारतीय सेना अपने तोपखाने की ताकत को बढ़ाने के लिए तेजी से काम कर रही है. टारगेट है कि साल 2040 तक सभी तोपें 155 एमएम कैलिबर की हो. ज्यादा कैलिबर का मतलब होता है ज्यादा घातक जो दुश्मन को ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगी.