Diplomatic Strike : एक्शन मोड में भारत, पाकिस्तान की बढ़ गई बेचैनी

Siddarth Saurabh

Diplomatic Strike : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को एक बड़ा आतंकी हमला हुआ. इस हमले में 28 लोगों की मौत हुई. हमले के 24 घंटे के भीतर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक की. इसमें भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ एक के बाद एक 5 बड़े फैसले लिए. इससे पूरी दुनिया को साफ संदेश दे दिया गया कि भारत अब सिर्फ निंदा नहीं करेगा, कार्रवाई करेगा. है.

सिंधु जल समझौता रद्द : बूंद बूंद को तरसेगा पाकिस्तान

भारत और पाकिस्तान के बीच बहने वाली सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों सतलुज , व्यास, रावी, झेलम और चिनाव के जल को दोनों देशों के बीच बांटने के समझौते को ही सिंधु जल समझौता कहते हैं.यह समझौता 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुआ था.इस पर पाकिस्तान के तत्कालीन फील्ड मार्शल अयूब खान ओर भारत के तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू सहमत हुए थे.इसके तहत पूर्वी नदियों व्यास, रावी और सतलुज के जल का प्रयोग भारत करता है, जबकि पश्चिमी नदियां चिनाव, सिंधु और झेलम का पानी पाकिस्तान को आवंटित किया जाता है.हालांकि अगर ओवरऑल देखें तो इस संधि के तहत छह नदियों का महज 20 प्रतिशत पानी ही भारत को मिलता है, जबकि 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान प्रयोग करता है. संधि के दौरान ही देानों देशों के बीच एक स्थायी सिंधु आयोग का भी गठन हुआ था, जिसकी हर साल बैठक होती है.

पहली बार तोड़ा गया समझौता

1960 से लेकर अब तक भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार युद्ध हो चुका है, लेकिन भारत ने कभी भी इस समझौते को नहीं तोड़ा था.दरअसल संधि के दौरान ये नियम था कि दोनों देश मिलकर ही इस संधि में बदलाव कर सकते हैं.हालांकि लगातार आतंकी हमलों के बाद इस तरह के सवाल उठते रहे हैं कि समझौते को रद्द कर दिया जाए.अब पहलगाम हमले के बाद भारत ने ये कर दिया है.

अब पाकिस्तान का क्या होगा?
सिंधु जल समझौते के बाद पाकिस्तान बूंद-बूंद पानी को तरस जाएगा. इसे विस्तार से समझने के लिए इतिहास में वापस लौटना होगा. दरअसल आजादी के बाद 1948 में भारत ने अपनी दो प्रमुख नहरों का पानी रोक दिया था.इसके पाकिस्तानी पंजाब में 17 लाख एकड़ जमीन पानी को तरस गई थी.इसके बाद विश्व बैंक ने मध्यस्थता कर दोनों देशों के बीच सिंधु जल समझौता कराया था. अब भारत के फैसले के बाद एक बार फिर पाकिस्तान को गंभीर जल संकट से गुजरना पड़ सकता है.
सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के जल पर पाकिस्तान की 80% खेती निर्भर करती है. इन नदियों पर बने कई डैम और हाइड्रो प्रोजेक्ट से पाकिस्तान बिजली भी पैदा करता है. ऐसे में पानी रोकने का भारत का यह कदम पाकिस्तान में पानी और बिजली दोनों की भारी किल्लत पैदा कर सकता है. इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और आम जनजीवन दोनों प्रभावित होंगे.
हालांकि उसके बाद विश्व बैंक में इसके लिए अपील करने का अधिकार होगा.

अटारी पोस्ट बंद करने से पाक पर लगा ताला

दूसरा बड़ा फैसला अटारी बॉर्डर पोस्ट को बंद करने का हुआ है. भले ही भारत-पाक के बीच औपचारिक व्यापार पहले ही बंद था, लेकिन छोटे व्यापारियों के स्तर पर कुछ चीजों का लेन-देन चलता रहता था. अब अटारी पोस्ट बंद होने से ये छोटा लेन-देन भी पूरी तरह ठप हो जाएगा, जिससे पाकिस्तानी व्यापारियों को सीधा नुकसान होगा.

SAARC वीजा पर रोक लगाने अब पूरी एंट्री बंद

तीसरे बड़े फैसले के तहत भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए SAARC वीजा स्कीम को पूरी तरह खत्म कर दिया है. साथ ही उन पाकिस्तानी नागरिकों को भी भारत आने की इजाजत नहीं दी जाएगी जो पारिवारिक कारणों से यहां आते थे. इससे दोनों देशों के बीच मानव स्तर पर भी संपर्क खत्म हो जाएगा. साथ ही सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के अंदर भारत छोड़ने का अल्टीमेटम भी दे दिया गया.

पाकिस्तानी उच्चायोग पर भी बड़ी कार्रवाई

भारत ने नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात रक्षा, थलसेना, वायुसेना और नौसेना सलाहकारों को सात दिन के अंदर देश छोड़ने का आदेश दिया है. इसके साथ ही भारत ने इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग से भी सभी सलाहकारों को वापस बुला लिया है. इसका मतलब है कि अब दोनों देशों के बीच सैन्य या कूटनीतिक स्तर की कोई बातचीत संभव नहीं रह जाएगी.

पाकिस्तान पर भारत का सबसे बड़ा एक्शन

इन फैसलों के साथ भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अब पाकिस्तान से हर तरह का रिश्ता खत्म करने की दिशा में बढ़ रहा है. न वीजा, न व्यापार और न ही कूटनीतिक संवाद. हर मोर्चे पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति पर भारत ने अमल शुरू कर दिया है. पहलगाम के शहीदों का यह बदला कूटनीतिक हथियारों से लिया गया है, जिसने पाकिस्तान को पूरी तरह से हिला कर रख दिया है.

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