डॉ प्रशान्त करण (आईपीएस) रांची
Flyover : किसी देश के किसी जनपद के किसी शहर में दो फ्लाईओवर बने . शिलान्यास के बाद संघर्ष करते हुए अंततः ये बन गए .लोगों के आश्चर्य की सीमा ही नहीं रही . उनकी आँखें उन्हें देख फ़टी की फ़टी रह गयीं . कोरों से खून तब बहने लगा जब एक का उद्घाटन हो चुका . यह नामाकरण भी अक्षरंश और विधिवत , पारम्परिक और परिवारवादी सिद्धांत पर हुआ . इस नामकरण के लिए एक परिवारवाद के एक साधक ने पूरे विधि – विधान से कर्मकांड कराया और जजमान स्वयं बन डटे रहे . ताकि किसी को इस यज्ञ के जजमान के रूप में उनके होने में लेशमात्र भी संदेह न हो . विधि – विधान से किए गए इस यज्ञ में कोई कमी नहीं की गयी . घेराव , सड़क अवृद्धिकरण , शहर बंद और राज्य बंद जैसे अनुष्ठान पूरी मर्यादा से सफलतापूर्वक सम्पन्न किए गए . सफल यज्ञ से देवता प्रसन्न हुए . राजा को देवता ने स्वप्न में कहा कि अमुक जजमान का यज्ञ सफलतापूर्वक पूरा हुआ है . इससे मैं प्रसन्न हूँ . तुमको आदेश देता हूँ कि जजमान के दिवंगत पिता के नाम पर फ्लाईओवर की घोषणा कर दो , नहीं तो बड़ा अनिष्ट होगा . तुम्हारे सिंघासन की एक कील टूट जाएगी और इधर कील टूटी नहीं कि तुम उधर धड़ाम से गिरोगे . राजा अपनी गहरी नींद में पसीने – पसीने हो उठा और उसकी निद्रा भंग हो गयी . राजा ने रात्रि में ही मंत्री को बुलाकर कह दिया कि देखो फ्लाईओवर का नामाकरण फ्लाईओवर के विषय पर चल रहे यज्ञ के जजमान के पिता के नाम पर करो . वैसे चाहता तो मैं अभी भी हूँ कि मुझसे पूर्व हुए राजा , जिन्होँने मुझे लाख प्रपंच रचाकर राजगद्दी दिलाई और जो मेरे पिता हैं , के नाम पर ही इस फ्लाईओवर का नामाकरण करूँ . पर मामला ईश्वरीय हो गया है . ईश्वर ने स्वप्न में मुझे आदेश दिया है कि ऐसा न करने से अनिष्ट हो जाएगा . मैं विवश हूँ . पर उद्घाटन मैं ही विवश हो भारी मन से करूँगा .
इसके कुछ दिनों बाद दूसरे फ्लाईओवर के नामाकरण की परिस्थिति आ धमकी . राजा ने इसे टालने का आदेश इस विचार से दे दिया कि मामला ठंढा हो जाए तब अपने पिता के नाम से नामकरण कर उसका उद्घाटन अपने अप्रासांगिक पिता से ही करा देंगे . ऐसे में वंशवाद , परिवारवाद का उत्कृष्ट उदाहरण भी स्थापित होगा साथ ही विकट परिस्थिति में रानी को राजगद्दी सौंप सकेंगे . उधर कभी सनातनी राजा रहे ,सम्प्रति राजगद्दी से निष्कासित , के गुट के गुप्तचर को वर्तमान राजा की इस मंशा की भनक लगी . बात उन तक पँहुची फिर कानों – कान उस पक्ष के सब तक पँहुची . कानाफूसि तक होने लगी . प्रजा भी जान गयी . अब छोटे – बड़े सभी परिवारवादियों में आशा की लहर जगी . सभी ने अलग – अलग रूप से अपने – अपने परिवार के पुरुखों के नाम पर इस फ्लाईओवर के नामाकरण के लिए पृथक – पृथक यज्ञ प्रारम्भ करने की घोषणा करने लगे . जजमान अनेक और फ्लाईओवर बेचारी एक . इधर यज्ञों के लिए शंख फूके जाने से वतावरण सनातन होने लगा . वर्तमान राजा चिंतित हो गया . वह नामाकरण में टाल – मटोल करने लगा. मामला संग्राम की ओर बढ़ता देख राजा ने चुप्पी साध ली . परिवारवादी सभी एक से बढ़कर एक कर्मकांडी आचार्यों की शरण गहने लगे . कोई टोटकों का भी सहारा लेने लगे तो कोई तंत्र – मंत्र के . राजा सन्न रह गया . आंदोलनों की भूमिका और पटकथा लिखी जाने लगी . राजा ने फ्लाईओवर का काम ही लटका दिया . अब यज्ञ की अग्नि के आह्वान व प्रज्वलन का मंत्रोचार होने की शुभ घड़ी की गणना की जाने लगी है . भविष्यवक्ताओं , पुरोहितों , तांत्रिकों , टोटके करने वाले बाबाओं की बन आयी है . ढेर सारे जजमान तैयारी में लगे हैं . राजमहल में भी ओझा – गुनी आते – जाते दिखने लगे . अब मूक प्रजा देखने में लगी है कि इन यज्ञों में से किस जजमान को यज्ञ का फल मिलता है अथवा राजा तो राजा ही होता है , सिद्ध होगा !