Gautam Adani: कौन हैं गौतम अदाणी का केस सुनने वाली ग्रैंड जूरी, आरोपों पर करेगी बड़ा फैसला

Bindash Bol

नई दिल्ली : इन दिनों एक बार फिर गौतम अडानी देश से लगाए विदेश में भी चर्चा का विषय बने हुए हैं। वजह है सौर बिजली खरीदने के समझौते के लिए रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोपों का सामना कर रहे अदाणी समूह के सर्वेसर्वा गौतम अदाणी, उनके भतीजे सागर अदाणी और अन्य पांच लोगों के खिलाफ फिलहाल ग्रैंड ज्यूरी ने आरोप तय करने के साथ वारंट जारी किया है। तो फिर यह जानना जरूरी है कि कौन हैं गौतम अदाणी का केस सुनने वाली ग्रैंड जूरी, आरोपों पर करेगी बड़ा फैसला। अमेरिकी न्याय व्यवस्था में ग्रैंड ज्यूरी असली ट्रायल कोर्ट नहीं बल्कि जांच एजेंसियों और सजा देने वाले ट्रायल कोर्ट के बीच की कड़ी है। आइए जानते हैं क्या है व्यवस्था और इसमें आगे क्या होगा?

अभियोग पत्र (इंडिक्टमेंट) क्या है?


अभियोग एक औपचारिक लिखित आरोप है, जो किसी अपराध के लिए आरोपी पक्ष के विरुद्ध चरण-दर-चरण प्रक्रिया के बाद जारी किया जाता है। अदाणी मामले में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।

ग्रैंड ज्यूरी के पास मामला कैसे जाता है?

पुलिस आदि जांच एजेंसी कथित अपराध की जांच करने के बाद जुटाए गए सबूत सरकारी वकील (अपराध के हिसाब से केंद्र या राज्य सरकार का अभियोजक) को सौंपती है। अगर अभियोजक को लगता है कि कोई गंभीर अपराध किया गया है तो वह ग्रैंड ज्यूरी के चयन की पहल कर सकता है।

ग्रैंड जूरी क्या है और इसके सदस्य कौन हैं?

ग्रैंड जूरी एक पैनल है, जो न्यायालय के क्षेत्राधिकार में रहने वाले समाज के विभिन्न वर्गों के नागरिकों में से चुनकर बना होता है। न्यूयॉर्क में जहां अदाणी समूह पर मामला चल रहा है वहां इस ज्यूरी में 23 सदस्य हैं और सुनवाई के लिए 16 सदस्यों का मौजूद होना जरूरी है। न्यूयॉर्क राज्य के कानून के अनुसार किसी व्यक्ति पर तब तक घोर अपराध का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता जब तक कि उसे ग्रैंड ज्यूरी आरोपी साबित न कर दे।

ग्रैंड जूरी क्या करती है?

आपराधिक मुकदमे की प्रक्रिया के एक अतिरिक्त चरण के रूप में, ग्रैंड जूरी को यह तय करना होता है कि रिकॉर्ड पर मौजूद सबूत ट्रायल आयोजित करने के लिए पर्याप्त हैं या नहीं। यदि ग्रैंड ज्यूरी को सबूत पर्याप्त लगते हैं, तो वह अभियुक्त के खिलाफ औपचारिक आरोपों की सूची के साथ एक अभियोग पत्र जारी करती है। इसके बाद मामला अंतिम सुनवाई और निर्णय के लिए ट्रायल कोर्ट में ले जाया जाता है।

क्या ग्रैंड ज्यूरी की प्रक्रिया खुले में होती है?

नहीं, ग्रैंड जूरी की कार्यवाही गुप्त रूप से की जाती है, जबकि ट्रायल कार्यवाही जनता के लिए खुली होती है। अभियोग लगाने के लिए कम से कम 12 सदस्यों की सहमति जरूरी है। अदाणी समूह को ग्रैंड ज्यूरी ने अभियोग पत्र जारी कर दिया है।

अब आगे क्या होगा?

ग्रैंड ज्यूरी से आरोप तय होने के बाद यह मुकदमा असली ट्रायल कोर्ट में जाएगा। कोर्ट अभियुक्तों को आरोपों के बारे में बताएंगे और तय करेंगे कि उन्हें जमानत दी जाए या नहीं? आरोप स्वीकार करने या नहीं करने के आधार पर आगे मुकदमा चलेगा।

वारंट तामील कौन कराएगा

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, अभियोजक कथित तौर पर गिरफ्तारी वारंट को विदेशी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सौंपने की तैयारी कर रहे हैं।

इस मामले में कौन-कौन हैं आरोपी

गौतम अदाणी – अदाणी समूह के प्रमुख
रंजीत गुप्ता – एज्योर पावर ग्लोबल के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ)
रूपेश अग्रवाल – एज्योर पावर ग्लोबल के पूर्व मुख्य रणनीति और वाणिज्यिक अधिकारी
सिरिल कैबनेस – एज्योर पावर ग्लोबल के निदेशक मंडल के पूर्व सदस्य
विनीत जैन – अदाणी ग्रीन एनर्जी में कार्यकारी
सौरभ अग्रवाल
दीपक मल्होत्रा

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