रमेश सिंह
Giridih Violence in Holi : झारखंड के गिरिडीह जिले के घोड़थम्भा में 14 मार्च को होली के दिन दो गुटों के बीच हिंसक झड़प की घटना और उसके बाद पुलिस की कार्रवाई को लेकर राज्य में सियासी आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने जहां इस घटना को हेमंत सोरेन की सरकार और प्रशासन की नाकामी बताया है, वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भाजपा पर हिंदू-मुस्लिम की विभेदकारी राजनीति करने का आरोप लगाया है।
FIR के मुताबिक हिंसा की वजह क्या रही
दंडाधिकारी सुरेंद्र कुमार बर्णवाल द्वारा दर्ज एफआईआर में स्पष्ट किया गया है कि 14 मार्च की शाम 15-20 लोगों की टोली गाजे-बाजे के साथ मस्जिद गली से गुजरना चाह रही थी। उनको नमाज के वक्त का हवाला देते हुए रोका गया। टोली की दलील थी कि वह हर साल इसी गली से गुजरती हैं। काफी समझाने के बावजूद होली वाली टोली सरकारी कार्य में बाधा डालते हुए धक्का मुक्की कर गली में आगे बढ़ गई। इसी बीच दूसरे पक्ष के लोगों ने पेट्रोल बम, बोतल, ईंट और पत्थर फेंकना शुरू कर दिया। देखते देखते बाजार चौक के पास पेट्रोल बम फेंककर कई दुकानों, बाइक और गाड़ियों में आग लगा दी गई। एक धार्मिक स्थल में भी तोड़फोड़ की गई। मना करने पर पुलिस की तीन गाड़ियों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया।
कितने लोगों पर दर्ज हुई प्राथमिकी, कौन-कौन सी धाराएं लगीं
इस मामले में कुल 80 लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसके अलावा 200 से 250 अज्ञात लोगों को भी साजिश का हिस्सा बताया गया है। प्राथमिकी में एक पक्ष के लोगों की संख्या 39 है तो दूसरे पक्ष के लोगों की संख्या 41 है। उपद्रव के दौरान चार पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। जमुआ सर्किल के इंस्पेक्टर रोहित कुमार महतो मामले की जांच करेंगे। एफआईआर नंबर 66/25 दर्ज करते हुए बीएनएस की धारा 191 (1), 192(1), 190/ 132/196/299/293/326()g/326(f)/121(1)/121(2)/324(5)/125(a)/125(b) के अलावा प्रिवेंशन ऑफ़ डैमेज तो पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट 1984 के अलग-अलग धाराएं लगाई गई हैं।
बाबूलाल मरांडी ने दर्ज एफआईआर पर उठाए सवाल
झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि घोड़थम्भा हिंसा के मामले में प्रशासन की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर को देखने से ऐसा लगता है जैसे यह कोई शिकायतवाद नहीं, बल्कि हिंदुओं पर हुए हमले का एक पूर्व नियोजित खाका हो। एफआईआर में जिस प्रकार से घटना को वर्णित किया गया है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस-झामुमो के शासन में हिंदुओं ने होली मनाकर कोई अपराध कर दिया है।
बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘यदि हिंदू अपना त्योहार मनाएंगे तो उन पर बोतल बम और पत्थर से हमला होगा, फिर उसके बाद घटना का दोषी बताते हुए उन पर ही मुकदमा भी दर्ज होगा!इस घटना की एफआईआर पूरी तरह तुष्टिकरण से प्रभावित लगती है, जिसमें हेमंत सरकार की हिंदूविरोधी मानसिकता स्पष्ट नज़र आती है। सिर्फ पीड़ित हिंदू पक्ष को कठघरे में खड़ा कर उन्हें ही दोषी ठहराए जाने की सुनियोजित साजिश रची गई है।’
शासन और प्रशासन मूक दर्शक-रघुवर दास
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने लिखा कि ‘जब से झारखंड में हेमंत सरकार आई है, कोई भी हिंदू त्योहार बिना हिंसक घटना के पूरा नहीं हो रहा है। यह वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति की पराकाष्ठा है। सरहुल का जुलूस हो या सरस्वती प्रतिमा का विसर्जन, रामनवमी हो या होली जुलूस, समुदाय विशेष द्वारा पथराव और आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। दुखद यह है कि शासन और प्रशासन मूक दर्शक बना रहता है।’
बीजेपी को हिन्दू-मुस्लिम के सिवा कुछ नहीं दिखता-जेएमएम
इन आरोपों का जवाब देते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि भाजपा नेताओं को हर जगह हिंदू-मुस्लिम के सिवा कुछ नहीं दिखता। हेमंत सोरेन सरकार के कामकाज और इसकी लोकप्रियता से इनमें इस कदर बौखलाहट है कि ये केवल धार्मिक उन्माद फैलाना चाहते हैं। उन्होंने रविवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि हिंदू-हिंदू की बात करने वाले भाजपा के ये नेता उत्तराखंड की हिंदू बेटी अंकिता भंडारी के साथ रेप और इसके बाद उसकी हत्या पर क्यों चुप रहे? उनकी पार्टी के कई अन्य नेताओं पर भी इसी तरह के आरोप लगे। क्या ऐसी पीड़िताएं हिंदू समाज की नहीं थीं? झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि गिरिडीह की घटना के पीछे बीमार मानसिकता वाले लोग हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ प्रशासन सख्त कार्रवाई कर रहा है।
