Good News : 79 आदिवासी परिवारों की बदल गई किस्मत!

Sushmita Mukherjee

Good News : जंगलों और पहाड़ों से घिरा यह टाइगर रिजर्व एक अद्वितीय सौंदर्य है. मड हाउस और ट्री हाउस से मोरों का दृश्य बेहद सुंदर लगता है. हनीमून और प्रकृति प्रेमियों के लिए यह एक आदर्श स्थान बन चुका है. मगर पलामू रिजर्व कोर एरिया में रहने वाले आदिवासी परिवारों का जीवन उतना आसान नहीं है। परिवार कभी पानी, पढ़ाई और इलाज के लिए 20 से 25 किलोमीटर पैदल सफर तय करना पड़ता है. लेकिन अब पलामू टाइगर रिजर्व की वजह से आदिवासियों की किस्मत संवरने वाली है. अब इन परिवारों को भी सुविधाओं से लैस शहर के दर्शन हो पाएंगे.

दरअसल, वन्य जीव की सुरक्षा को लेकर पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में बसे एक दर्जन गांवों को दूसरी जगह पर बसाने की योजना है. इसी कड़ी में दो गांवों 79 आदिवासी परिवारों को सबसे पहले बसाया गया है. इन आदिवासी परिवारों की किस्मत बदल गई है. ये परिवार कभी पानी, पढ़ाई और इलाज के लिए 20 से 25 किलोमीटर पैदल सफर तय करते थे. सरकार की पहल सभी परिवारों को शहर के नजदीक बसाया गया है. सरकार के तरफ से आवास के साथ साथ अन्य तरह के मूलभूत सुविधा उपलब्ध करवाई गई हैं.

दरअसल, पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में रहने वाले कुजरूम और जयगिर गांव के 79 परिवारों को पलामू के सतबरवा प्रखंड के पोलपोल गांव में बसाया गया है. दोनों गांव लातेहार जिले में हैं. झारखंड के इतिहास में पहली बार हुआ है कि दो गांव को किसी दूसरे जिला में बसाया गया है.

इलाज और पढ़ाई के लिए कई किलोमीटर का सफर तय करते थे ग्रामीण

पोलपोल में बसने वाले आदिवासी कई दशकों से जंगल में रह रहे हैं. आदिवासी परिवार सरकारी लाभ एवं मूलभूत सुविधा से काफी दूर थे. ग्रामीणों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए 20 से 25 किलोमीटर का पैदल सफर तय करना होता था. स्थिति इतनी खराब थी कि सड़क नहीं होने के कारण कोई भी गाड़ी गांव तक नहीं पहुंच पाती थी. ऐसे में गंभीर रूप से बीमार लोगों को अस्पताल ले जाने के लिए लोग खाट पर टांग कर ले जाते थे. स्कूल जाने के लिए बच्चों को कई किलोमीटर पैदल सफर तय करना होता था. इलाज के अभाव में कई ग्रामीणों की मौत भी हुई है.
बकौल अर्जुन लोहरा, हम लोगों का गांव पहाड़ पर था कहीं भी आने-जाने के लिए पहाड़ को पार करना पड़ता था. किसी के बीमार होने के बाद बहुत अधिक परेशानी हो जाती थी. बीमार व्यक्ति को खटिया या मचिया पर ले जाना होता था. सरकार द्वारा बसाए जाने के बाद कई सुविधाएं मिली हैं. सबसे बड़ी बात है कि बीमार होने के बाद इलाज आसानी से होगी और बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलेगी. तो गांव की ही पूनिया देवी कहती है कि
गांव में कई तरह की परेशानी थी. पढ़ाई के साथ-साथ पानी बिजली की भी दिक्कत होती थी. पोलपोल में बसने के बाद कई तरह की परेशानी खत्म हो गई है.

पोलपोल में बसने वाले आदिवासी परिवारों को सरकार के तरफ से आवास एवं जमीन उपलब्ध करवाया गया है. ग्रामीणों को मिलने वाले सुविधा को लेकर राज्य के मुख्य सचिव पोलपोल का दौरा कर चुकी हैं. बसने वाले सभी ग्रामीणों का पलामू का आधार कार्ड एवं वोटर आईडी कार्ड बनवाया जा रहा है. बसने वाले ग्रामीणों को जमीन भी बंदोबस्त किया जाना है.

अधिकारियों ने कई रात गांव में किया स्टै

पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया के गांवों को दूसरी जगह बसाना बड़ी चुनौती थी. अधिकारियों ने कई रात गांव में गुजारी और ग्रामीणों को मुआवजा एवं सुविधा को लेकर विश्वास दिलाया. पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक कुमार आशीष खुद जयगिर जैसे नक्सली प्रभावित इलाके में अपने परिवार के साथ रात बिताया था और ग्रामीणों के साथ बातचीत किया था. ग्रामीणों के सभी तरह के आशंका को दूर किया गया है. वाकई में आज इन आदिवासी परिवारों में रौनक लौटने लगी है.

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