GPS : नितिन गडकरी की नई टोल नीति से भारत में टोल टैक्स वसूली का तरीका बदलने वाला है। जानिए GPS आधारित टोल सिस्टम कैसे काम करेगा, क्या हैं इसके फायदे और कैसे होगा सफर अब और भी आसान।
भारतीय हाईवे पर शुरू होने वाला है टोल वसूली का नया युग
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक बड़ी घोषणा करते हुए बताया कि भारत सरकार अगले 15 दिनों में नई टोल नीति लाने जा रही है। यह नीति देश के टोल टैक्स सिस्टम में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी और यात्रियों को हाईवे पर बेवजह रुकने और गलत चार्जिंग से राहत दिलाएगी।
1 मई 2025 से फास्टैग के The End की शुरूआत
अब तक हम टोल प्लाजा पर फास्टैग (FASTag) के जरिए भुगतान कर रहे थे। लेकिन अब केंद्र सरकार एक और आधुनिक कदम उठाने जा रही है – जीपीएस आधारित टोल प्रणाली। यह नया सिस्टम तकनीकी रूप से न सिर्फ एडवांस होगा, बल्कि सटीकता, ट्रांसपेरेंस और कंविनियंस में भी एक बड़ा बदलाव लाएगा।
फास्टैग से जीपीएस तक
2016 में फास्टैग की शुरुआत हुई, जिसमें RFID तकनीक के ज़रिए टोल गेट से बिना रुके वाहन पार हो सकते थे। 2025 में अब फास्टैग को रिप्लेस करेगा GPS आधारित सिस्टम जो गाड़ी की दूरी के हिसाब से टोल चार्ज करेगा।
GPS आधारित टोल सिस्टम कैसे करेगा काम?
- हर गाड़ी में लगेगा On-Board Unit (OBU)।
- यह डिवाइस GNSS तकनीक से वाहन की मूवमेंट ट्रैक करेगा।
- जितनी दूरी गाड़ी हाईवे पर तय करेगी, उसी के अनुसार टोल कटेगा।
- पैसा सीधे बैंक खाते या डिजिटल वॉलेट से कटेगा।
- किसी टोल प्लाजा पर रुकने की ज़रूरत नहीं
कॉमर्शियल व्हीकल से होगी शुरूआत
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) इस सिस्टम को फेज वाइज़ लागू करेगा। पहले ट्रक और बसों जैसे कमर्शियल वाहनों पर फिर धीरे-धीरे निजी वाहनों में यूज होगा। इससे तकनीकी दिक्कतों को समय रहते सुधारा जा सकेगा।
GPS टोलिंग सिस्टम के जबरदस्त फायदे
दूरी के आधार पर चार्ज, न अधिक न कम।
कम ट्रैफिक जाम, टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं।
ट्रांसपेरेंट, पूरा सिस्टम ऑटोमैटिक, घोटाले की संभावना न्यूनतम।
कार्बन उत्सर्जन में कमी, इनवायरमेंट के लिए फायदेमंद।
सुविधाजनक यात्रा, बिना रुकावट, बिना लाइन में लगे आगे बढ़ें।