विरोध का धंधा संसार का सबसे चौचक धंधा

Sarvesh Kumar Srimukh

सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज
: ये रुचिका जी हैं, कुख्यात बुद्धिजीवी! जलाने विश्वविद्यालय की पढ़ी लिखी हैं। इन्होंने पूरा जीवन हिन्दू धर्म का विरोध करने में लगा देने की सौगंध उठाई हैं। उर्फी जावेद जैसे कपड़े पहन कर इंस्टा आदि पर इतिहास पढ़ाती हैं।
ऐसा नहीं है कि ये कुरीतियों पर बोलती हों। ये भारतीय इतिहास को लेकर लगातार झूठ परोसती हैं। कभी किसी मन्दिर के लिए अनाप शनाप, कभी किसी परम्परा के लिए उलूल जुलूल… भारतीय राजाओं के तो मेकप लगा कर पीछे पड़ी रहती हैं। मुफ्त की भरपूर हड्डियां मिलने लगें तो आपस में लड़ने वाले जानवर भी अपनी फौज बना लेते हैं। तो इनके पीछे भी पूरी फौज है। इनके हर झूठ पर “क्रांतिकारी, बहुत क्रांतिकारी” कहने वालों की बड़ी संख्या है।
रुचिका जी के झूठ का जब कोई विरोध करता, तो उनकी फौज टूट पड़ती उसके ऊपर… बेचारे लोग चुपचाप निकल जाते। पराजित हो कर नहीं, बस यह सोच कर कि कौन जाय गूह पर पत्थर फेंकने… रुचिका जी इसी को अपनी विजय समझती थीं, और उनका मस्तक गर्व से चौड़ा हो जाता था।
विरोध का धंधा संसार का सबसे चौचक धंधा है। इससे सबसे तेज प्रसिद्धि मिलती है। पर दोस्त, इसमें लत लगने का जोखिम भी सबसे अधिक होता है। रुचिका जी के साथ भी यही हुआ।
तो हुआ यूँ कि हिन्दू जनता की सहिष्णुता का नाजायज लाभ ले रही क्रांतिकारी देवीजी को लगा कि दुनिया ऐसी ही है। वे जिसके ऊपर चाहें, पत्थर फेंक सकती हैं, गाली दे सकती हैं। इसी भरम में पड़ कर उन्होंने ईरान में नग्न हो कर हिजाब का विरोध कर रही औरत के समर्थन में दलीलें दे दीं।
फिर क्या हुआ? एक बड़ा ग्रुप टूट पड़ा उनके ऊपर। दे गालियां, दे ट्रोलिंग… यहाँ एक बात स्पष्ट कर दूं, मैं उस टूट पड़े ग्रुप का विरोध नहीं कर रहा। जाने जौ, जाने पिसान, हमें क्या?
हाँ तो क्रांतिकारी देवीजी बौखला गईं। यह उनके साथ पहली बार हो रहा था। अपने झूठ के बल पर उन्होंने समूचे हिंदुस्तान पर निर्विरोध जीत पाई थी, पर सीमा लांघते ही उनके साथ यह होगा, इसका उन्हें अंदेशा नहीं था।
उन्होंने पलट कर देखा अपनी फौज की ओर… पर यह क्या? फौज का कहीं नामोनिशान तक नहीं। एक ऊंची जगह पर खड़े हो कर दूरबीन से देखने का प्रयास किया उन्होंने! जानते हैं उन्होंने क्या देखा? उन्होंने देखा, उल्टे पाँव भागती फौज लगभग दस किलोमीटर दूर अपना गीला पैजम्मा सूखा रही है।
देवीजी आज अकेली खड़ी हैं। वे कभी इस न्यूज पोर्टल को मेंशन कर के दुखड़ा रो रही हैं, तो कभी कभी उस यूट्यूब चैनल से मदद की गुहार लगा रही हैं। दिक्कत यह है कि कोई उनकी सुन नहीं रहा है। उन्होंने लगभग माफी मांगते हुए कहा है कि वे हिंदुओं के अलावे किसी और के विरुद्ध बोलने से पहले हजार बार सोचेंगी। मतलब साफ है कि नहीं बोलेंगी।
वैसे देवीजी के लिए चिन्ता की कोई बात नहीं है। वे कल से फिर हिन्दू परंपराओं, तीर्थों, राजाओं पर अनर्गल बातें बोलना शुरू करेंगी। तबतक उनकी फौज अपना गंदा पैजामा धो सूखा कर वापस भी आ गयी रहेगी। क्रान्ति जारी रहेगी…

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