Hydrogen Train : देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन: हरियाणा में आज से ट्रायल शुरू

Siddarth Saurabh

Hydrogen Train : आज एक ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन हरियाणा के जींद-सोनीपत रूट पर अपनी पहली यात्रा शुरू करने जा रही है। यह पर्यावरण के अनुकूल ट्रेन चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) द्वारा निर्मित की गई है और 89 किलोमीटर के इस रूट पर इसका ट्रायल आज से शुरू हो रहा है। भारतीय रेलवे के विशेष प्रोजेक्ट ‘हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज’ के तहत यह ट्रेन हरित परिवहन की दिशा में एक बड़ा कदम है। आइए, इस ट्रेन की खासियत और इसके काम करने के तरीके को विस्तार से समझते हैं।

हाइड्रोजन ट्रेन क्या है और वे कैसे काम करती हैं?

हाइड्रोजन ट्रेन एक ऐसी रेलगाड़ी है जो हाइड्रोजन ईंधन सेल तकनीक पर आधारित होती है। यह ट्रेन पारंपरिक डीजल ट्रेनों का एक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है। हाइड्रोजन ट्रेन में हाइड्रोजन गैस को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जो ऑक्सीजन के साथ मिलकर बिजली पैदा करती है। इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन एक फ्यूल सेल में रासायनिक प्रतिक्रिया करते हैं, जिससे बिजली उत्पन्न होती है। यह बिजली ट्रेन के इलेक्ट्रिक मोटर को चलाने के लिए उपयोग की जाती है। इस प्रक्रिया का एकमात्र उप-उत्पाद पानी (H₂O) है, जिसके कारण यह ट्रेन शून्य कार्बन उत्सर्जन करती है।

हाइड्रोजन ट्रेनें मौजूदा रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ आसानी से काम कर सकती हैं और इन्हें डीजल ट्रेनों की तुलना में अधिक ऊर्जा-कुशल माना जाता है। यह तकनीक न केवल पर्यावरण को स्वच्छ रखती है, बल्कि शोर प्रदूषण को भी कम करती है, क्योंकि हाइड्रोजन ट्रेनें डीजल इंजनों की तुलना में बहुत कम शोर पैदा करती हैं।

क्या है हाइड्रोजन ट्रेन की खासियत?

शून्य कार्बन उत्सर्जन

हाइड्रोजन ट्रेनें पर्यावरण के लिए बेहद अनुकूल हैं, क्योंकि ये कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य हानिकारक गैसों का उत्सर्जन नहीं करतीं। इनका एकमात्र उत्सर्जन पानी है, जो इसे हरित परिवहन का एक आदर्श विकल्प बनाता है।

उच्च क्षमता और रफ्तार

यह ट्रेन 1200 हॉर्सपावर की शक्ति के साथ 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने में सक्षम है। एक बार में यह 2638 यात्रियों को ले जा सकती है, जो इसे बड़े पैमाने पर यात्री परिवहन के लिए उपयुक्त बनाता है।

लंबी दूरी की यात्रा

8 कोच वाली यह हाइड्रोजन ट्रेन दुनिया की सबसे लंबी हाइड्रोजन ट्रेनों में से एक है। यह लंबी दूरी के रूट्स पर भी प्रभावी ढंग से काम कर सकती है, खासकर हेरिटेज और पहाड़ी मार्गों पर।

ऊर्जा दक्षता

हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक डीजल इंजनों की तुलना में अधिक ऊर्जा-कुशल है। यह ट्रेन कम ईंधन में ज्यादा दूरी तय कर सकती है, जिससे परिचालन लागत में कमी आती है।

स्वच्छ और शांत संचालन

हाइड्रोजन ट्रेनें डीजल ट्रेनों की तुलना में बहुत कम शोर पैदा करती हैं, जिससे यात्रियों को एक शांत और आरामदायक यात्रा का अनुभव मिलता है।

हरियाणा में ट्रायल और भारतीय रेलवे की योजना

हरियाणा के जींद-सोनीपत रूट पर आज से शुरू होने वाला यह ट्रायल भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। 89 किलोमीटर के इस रूट पर ट्रेन की तकनीकी क्षमता, सुरक्षा मानकों और परिचालन दक्षता का मूल्यांकन किया जाएगा। सफल परीक्षण के बाद इसे नियमित संचालन में लाने की योजना है। यह ट्रेन चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) द्वारा निर्मित की गई है और यह स्वच्छ व टिकाऊ परिवहन को बढ़ावा देने की दिशा में भारतीय रेलवे की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

भारत में दुनिया का सबसे ताकतवर हाइड्रोजन लोकोमोटिव

भारत ने हाल ही में दुनिया में सबसे ज्यादा क्षमता वाला हाइड्रोजन फ्यूल-बेस्ड ट्रेन इंजन बनाया है। जहां ज्यादातर देशों ने 500 से 600 हॉर्सपावर (HP) की क्षमता वाली हाइड्रोजन ट्रेनें बनाई हैं, वहीं भारत ने 1,200 हॉर्सपावर (HP) की क्षमता वाला इंजन बनाकर एक बड़ी सफलता हासिल की है। पहली हाइड्रोजन ट्रेन नॉर्थ रेलवे के दिल्ली डिवीजन को मिली है। इसका ट्रायल रन 89 किलोमीटर लंबे जींद-सोनीपत सेक्शन पर होगा। इस प्रोजेक्ट पर प्रति ट्रेन 80 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। प्रत्येक रूट पर अतिरिक्त 70 करोड़ रुपये इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए इंवेस्ट किए जाएंगे।

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