India Economy : भारत में जो भी होता है कमाल होता है और इस बात के कायल दुनिया के तमाम अर्थशास्त्री भी हैं. दुनिया की तमाम बड़ी इकोनॉमीज हैरत में है. और हैरान हैं आईएमएफ जिसने करीब एक महीना पहले भविष्यवाणी की थी कि भारत की ग्रोथ रेट 6.2 फीसदी के आसपास ही रहेगी उसके आगे नहीं जाएगी. लेकिन भारत की वित्त वर्ष 2025 की ग्रोथ रेट ने सभी अनुमानों को मिट्टी में मिला दिया.
खास बात तो ये है भारत सरकार के जो आंकड़े सामने आए हैं वो ना तो चीन को हजम हो रहे होंगे और ना ही अमेरिकी सरकार को. जिसके कब्जे में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड की तिजौरी की चाबी है. जिसने भारत और पाकिस्तान के संघर्ष के बीच एक बिलियन डॉलर से ज्यादा का कर्ज दिया और आने वाले दिनों में और कर्ज देने की बात कर रहा है.
वहीं दूसरी ओर वर्ल्ड बैंक भी पाकिस्तान को अगले 10 साल में मोटा कर्ज देने की तैयारी कर रहा है. वो भी ऐसे समय पर जब पाकिस्तान में आतंकवाद अपने चरम पर है. इसके अलावा चीन भी भारत की ग्रोथ को हजम नहीं कर पा रहा है. उसका कारण भी है. उसकी खुद की ग्रोथ 5 फीसदी से ऊपर नहीं बढ़ पा रही है.
साथ ही पाकिस्तान को कर्ज देते देते उसकी भी सांसे फूलती हुई दिखाई दे रही है. वैसे कुछ दिन पहले खबर आई थी कि वो जल्द ही आतंक के गढ़ को 2.5 बिलियन डॉलर का कर्ज दे सकता है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर पाकिस्तान की मदद करने वाले आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक ने भारत की ग्रोथ का क्या अनुमान लगाया था. भारत ने इन अनुमानों को किस तरह से धूल में मिला दिया है.
आईएमएफ ने क्या दिया था अनुमान
करीब तीन हफ्ते पहले आईएमएफ ने भारत की ग्रोथ को लेकर अनुमान जारी किया था. आईएमएफ का अनुमान था कि इंडियन इकोनॉमी के 2025 में 6.2 फीसदी और 2026 में 6.3 फीसदी रह सकती है. आईएमएफ ने अपने आउटलुक में कहा था कि 2025 में ग्रोथ आउटलुक 6.2 फीसदी पर अपेक्षाकृत अधिक स्थिर है, जिसे विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में निजी खपत का समर्थन प्राप्त है. हालांकि, इसने माना कि यह दर जनवरी में प्रकाशित उनके अनुमानों से 0.3 फीसदी कम थी, जो व्यापार तनाव और वैश्विक अनिश्चितता के उच्च स्तर का संकेत है. लेकिन भारत सरकार ने जो रिपोर्ट पेश की है वो आईएमएफ के अनुमान को धूल में मिलाती हुई दिखाई दे रही है. भारत सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2025 में भारत की ग्रोथ 6.5 फीसदी देखने को मिली है.
वर्ल्ड बैंक ने की थी ये भविष्यवाणी
वहीं दूसरी ओर वर्ल्ड बैंक ने बुधवार को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर के अनुमान को संशोधित कर 6.3 फीसदी कर दिया था. जो इसके पिछले अनुमान 6.7 फीसदी से 0.4 प्रतिशत कम है. बैंक के अर्धवार्षिक दक्षिण एशिया विकास अपडेट टैक्सिंग टाइम्स के अनुसार, डाउनग्रेड वैश्विक आर्थिक हेडविंड और घरेलू नीति अनिश्चितताओं की वजह से किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में, वित्त वर्ष 2024-25 में विकास दर 6.5 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2025-26 में 6.3 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, क्योंकि मौद्रिक सहजता और नियामक सुव्यवस्थितता से निजी निवेश को होने वाले लाभ वैश्विक आर्थिककमजोरी और नीति अनिश्चितता से ऑफसेट होने की उम्मीद है. विश्व बैंक ने कहा कि अनुमान से कम निजी निवेश और सार्वजनिक पूंजीगत व्यय लक्ष्यों में कमी के कारण भारत की वृद्धि ने चालू वित्त वर्ष में उम्मीदों से कम प्रदर्शन किया. वर्ल्ड बैंक की भविष्यवाणी भारत के आंकड़ों के अनुरूप ही देखने को मिली है.
सच हुआ आरबीआई का प्रोजेक्शन
इसके अलावा भारत के सेंट्रल बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी अपने पिछले अनुमान में कहा था कि भारत की ग्रोथ रेट 6.5 फीसदी रह सकती है. जोकि पूरी तरह से सटीक बैठी है. वैसे आरबीआई ने उससे पहले अपने अनुमान को थोड़ा ज्यादा रखा था. लेकिन जिस तरह से अमेरिकी टैरिफ का खौफ पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है. साथ जियो पॉलिटिकल टेंशन की वजह से सप्लाई चेन में जिस तरह से बाधा देखने को मिल रही है वो काफी हैरान करने वाली हैं. जिसकी की वजह से आरबीआई की ओर से वित्त वर्ष 2025 की ग्रोथ का अनुमान 6.5 फीसदी दिया था.
सरकार ने जारी किए आंकड़े
सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार देश की आर्थिक वृद्धि दर जनवरी-मार्च तिमाही में सालाना आधार पर धीमी होकर 7.4 प्रतिशत पर आ गई. इससे पूरे वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी ग्रोथ 6.5 प्रतिशत पर रही. वित्त वर्ष 2023-24 की जनवरी-मार्च तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत जबकि समूचे वित्त वर्ष में 9.2 प्रतिशत रही थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक, चौथी तिमाही में वृद्धि दर के सुस्त पड़कर 7.4 प्रतिशत रह जाने से समूचे वित्त वर्ष (2024-25) में जीडीपी वृद्धि दर घटकर 6.5 प्रतिशत पर आ गई.
पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में वृद्धि दर भले ही सालाना आधार पर नरम पड़ी है लेकिन अन्य तिमाहियों की तुलना में इसका प्रदर्शन बेहतर हुआ है. देश की अर्थव्यवस्था अक्टूबर-दिसंबर 2024 तिमाही में 6.4 प्रतिशत, जुलाई-सितंबर तिमाही में 5.6 प्रतिशत और अप्रैल-जून तिमाही में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी.वित्त वर्ष 2024-25 में 6.5 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि फरवरी में जताए गए सरकारी अनुमानों के अनुरूप ही है. एनएसओ ने राष्ट्रीय खातों के अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में 2024-25 के लिए देश की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत आंकी थी. इस समग्र प्रदर्शन के दम पर भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार बढ़कर 330.68 लाख करोड़ रुपये यानी लगभग 3.9 लाख करोड़ डॉलर हो गया जो वित्त वर्ष 2023-24 में 3.6 लाख करोड़ डॉलर था.
लगातार चौथे साल सबसे तेज
देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ग्रोथ के आंकड़े आने के बाद कहा कि भारत लगातार चौथे साल सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है. उन्होंने कहा कि जीडीपी वृद्धि की गति को बनाए रखने में छोटे, मध्यम और बड़े उद्योगों, सेवाओं और कृषि क्षेत्र से मदद मिली. सीतारमण ने कहा कि 2024-25 की मार्च तिमाही के दौरान भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर अच्छा रहा है. इसने पूरे वित्त वर्ष में 6.5 फीसदी की जीडीपी वृद्धि हासिल करने में मदद की. वित्त मंत्री ने कहा कि भारत लगातार चौथे साल बिना रुके सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी वृद्धि को बनाए रखने में सफल रहा. इसका श्रेय छोटे, मध्यम और बड़े उद्योगों को जाता है, जो आगे आकर सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारी विनिर्माण क्षमता, हमारी सेवा क्षमता की गति बनी रहे. कृषि ने भी कोविड महामारी के दौरान और उसके बाद अपनी गति बनाए रखी है.
आगे कितनी रहेगी ग्रोथ
भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी अप्रैल पॉलिसी मीटिंग में कहा था कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की ग्रोथ रेट 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. अगर बात पहली तिमाही की करें तो भारत की ग्रोथ 6.5 फीसदी, दूसरी तिमाही में 6.7 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.3 फीसदी रहने का अनुमान है. खास बात तो ये है कि यह अनुमान आरबीआई की फरवरी पॉलिसी के अनुमान से 20 बेसिस प्वाइंट कम है. आरबीआई के अनुसार एग्री सेक्टर सकारात्मक स्थिति में बना हुआ है, जिसे जलाशयों के स्वस्थ स्तर और मज़बूत फ़सल उत्पादन का समर्थन प्राप्त है, जिससे ग्रामीण मांग को बनाए रखने की उम्मीद है. बेहतर कारोबारी भावना के बीच मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सुधार के शुरुआती संकेत दिखाई दे रहे हैं, और सर्विस सेक्टर में लचीलापन जारी है.
चीन के उड़े होश
भारत की ग्रोथ को देखकर चीन के होश उड़े हुए हैं. उसका कारण भी है. भारत की ग्रोथ के आगे चीन की इकोनॉमी की ग्रोथ काफी धीमी है. इस बात की गवाही दोनों देशों के तिमाही आंकड़े दे रहे हैं. चीन के आंकड़ों की बात करें तो मार्च तिमाही में एशिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी की ग्रोथ रेट 5.4 फीसदी रही है. जबकि भारत की चौथी तिमाही में ग्रोथ 7.4 फीसदी देखने को मिली है. इसका मतलब है कि भारत की ग्रोथ चीन के मुकाबले में 2 फीसदी ज्यादा है. जोकि आगे भी रहने का अनुमान है. चीन को डर है कि जिस तरह से ग्लोबल इकोनॉमी के सुस्त रहने के बाद भी 7 फीसदी से ज्यादा का ग्रोथ मेंटेन किए हुए है. जिसकी वजह से विदेशी निवेशक भारत की ओर आकर्षित हो सकते हैं.